आजकल देश में एक तरह से राजनीतिक गृह युद्ध के हालात हैं. एक तरफ है केंद्र की सरकार, जिस का नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ है देश के अनेक प्रदेशों के मुख्यमंत्री और क्षेत्रीय राजनीतिक दल, साथ में कांग्रेस. भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र में सरकार बनाने के बाद यह टारगेट तय कर लिया है कि देशभर में भाजपा की सरकार ही होनी चाहिए और यह कोई दबीछिपी बात भी नहीं है. इस की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई दफा कर चुके हैं. अब जो सीन दिखाई दे रहा है, उस में प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा लगातार विपक्ष की सरकारों, मुख्यमंत्रियों और उन की गुड लिस्ट में शामिल लोगों को निशाने पर लेने की घटनाएं आम हैं.
यह देश देख चुका है कि किस तरह सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत प्रियंका गांधी और अनेक बड़े नेताओं पर प्रवर्तन निदेशालय का शिकंजा कसा गया और माहौल यह बना दिया है कि यही लोग सब से बड़े अपराधी हैं. हां, यह हो सकता है कि गलतियां हुई हों, अपराध भी हुए हों, मगर इन सब हालात से जो माहौल देश का बन रहा है, वह खतरनाक साबित हो सकता है. आज देशभर में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का एक बयान चर्चा में है कि अगर मैं अपराधी हूं, तो मुझे गिरफ्तार कर लिया जाए. उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय के नोटिस को एक तरह से नजरअंदाज किया है. यह घटना देश के इतिहास में एक ऐसा टर्निंग पौइंट बन सकती है, जहां से देश का एक नया राजनीतिक राजमार्ग बन सकता है. दरअसल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी के समन के बाद तेवर कड़े कर के एक संदेश दिया है. वे चुनौती की मुद्रा में हैं और उसी अंदाज में विरोधियों पर पलटवार की भी तैयारी है. झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोरचा ने साफतौर पर ऐलान किया है कि अगर सरकार के साथ साजिश हुई, तो छोड़ेंगे नहीं.
4 नवंबर, 2022 को रांची में झारखंड मुक्ति मोरचा समर्थकों की जुटी भीड़ का भी अंदाज तल्ख था. झामुमो के निशाने पर प्रवर्तन निदेशालय, राज्यपाल और भाजपा है. समर्थकों को आंदोलन के आगाज का निर्देश दिया गया है. झारखंड मुक्ति मोरचा के कार्यकर्ता सभी जिला मुख्यालयों में सरकार को अस्थिर करने की कोशिशों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और प्रदेशभर में यह संदेश दिया जा रहा है कि हेमंत सोरेन की सरकार को भारतीय जनता पार्टी कमजोर करने का काम कर रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने सभी जिला इकाइयों को निर्देश जारी किया है कि कार्यकर्ता पूरी मजबूती के साथ प्रदर्शन में शामिल हों. अब जैसा कि सारा देश जानता है कि भारतीय जनता पार्टी के तेवर हमेशा आक्रामक रहते हैं. जब से देश में नरेंद्र मोदी की सरकार आई है और गृह मंत्री के रूप में अमित शाह हैं, भाजपा हर मौके पर वार करने की हालत में रहती है. यहां भी भाजपा के तेवर यह बता रहे हैं कि हेमंत सोरेन से सत्ता हासिल करने के लिए और उन की छवि को खराब करने की कोशिश में भाजपा पीछे नहीं रहेगी. इधर भाजपा ने प्रखंड मुख्यालयों से आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है.
शक्ति प्रदर्शन की इस कवायद से राजनीतिक टकराव की बैकग्राउंड तैयार हो रही है. हालात की गंभीरता को देखते हुए राजधानी में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं. ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय और राजभवन की सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ाई गई है. उठ खड़ा होगा संवैधानिक संकट जैसे हालात झारखंड समेत देश के कुछ राज्यों में बन रहे हैं, इस सिलसिले में कहा जा सकता है कि आने वाले समय में संवैधानिक संकट खड़े होने का डर है. सच तो यह है कि चाहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो हो या प्रवर्तन निदेशालय, उन का इस्तेमाल नैतिक रूप से ईमानदारी से किया जाना चाहिए, ताकि कोई भी यह न कह सके कि उन का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसा पहले कई दफा हुआ है, जिस का सब से बड़ा उदाहरण लालू प्रसाद यादव हैं, जिन्होंने हमेशा कानून पर आस्था जाहिर की है और हर एक कार्यवाही को सम्मान के साथ स्वीकार किया है. यह भी सच है, जिस से इनकार नहीं किया जा सकता कि आज की कई सरकारें भ्रष्टतम आचरण कर रही हैं, अनेक बड़े घोटाले का खेल जारी है. ऐसे में अगर केंद्रीय एजेंसियां शिकंजा कस रही हैं, तो नैतिकता के नाम पर आप विरोध कैसे कर सकते हैं? नतीजतन, आंदोलन के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष के अपनेअपने मुद्दे हैं.
भाजपा, ईडी और राजभवन के खिलाफ आंदोलन का आह्वान कर विरोधी दल शक्ति प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं. उधर भाजपा ने राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए घेराबंदी तेज की है. देश और प्रदेश की जनता आज दुविधा में है कि वह राज्य सरकार के पक्ष में खड़ी हो या केंद्र सरकार के पक्ष में. आवाम प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो के खिलाफ झारखंड मुक्ति मोरचा के हेमंत सोरेन के पक्ष में खड़ी हो या केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्यवाही के पक्ष में. ऐसे में आने वाला समय संवैधानिक संकट का आगाज कर रहा है.