कहते हैं कि समाज सेवा से बड़ा कोई कर्म और धर्म नहीं है. यह मुरादाबाद के डा. अरविंद कुमार गोयल ने कर दिखाया है. उन्होंने इस के लिए कितना किया है, इस का हिसाब लगाना आसान नहीं. लेकिन इतना जरूर है कि उन्होंने सामाजिक जरूरतों को महसूस करते हुए अपनी 600 करोड़ रुपए की प्रौपर्टी दान करने का जो कदम उठाया, उसे एक मिसाल कह सकते हैं.

25 साल पहले बात उस समय की है, जब एक बार डा. अरविंद कुमार गोयल अपने मैडिकल प्रोफेशन के सिलसिले में ट्रेन से दिल्ली जा रहे थे. दिसंबर महीने की सर्दी की रात थी. उन की ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी थी. तब उन्हें चाय पीने की तलब हुई.

वह चाय पीने के लिए प्लेटफार्म पर उतरे. उन्हें कहीं चाय बेचने वाला नहीं दिखा. कुहासे में बहुत कुछ साफ भी नहीं दिख रहा था. इधरउधर नजरें घुमाईं. चार कदम पर ही बेंच पर लेटे एक आदमी को ठिठुरता देख उन की निगाहें उस पर टिक गईं.

उन्होंने देखा कि वह आदमी ठंड के कारण बुरी तरह से ठिठुर रहा था. उस के पास कोई कंबल नहीं था. साधारण सी चादर से वह खुद को किसी तरह से ढंके हुए था. उस के पैर चादर से बाहर निकले हुए थे. पैरों में कोई जुराब या चप्पल तक नहीं थे.

डा. गोयल ट्रेन में तुरंत अपनी सीट पर गए. अपना कंबल समेटा, जूते खोले, उन में जुराबें डालीं और ठिठुरने वाले उस आदमी के पास जा पहुंचे. उन्होंने उसे अच्छी तरह से कंबल ओढ़ाया और उसे जूतेमोजे पहना दिए.

वापस गाड़ी में आ गए. बैग से अपना शाल निकाला और ओढ़ कर बैठ गए. उन्होंने पानी के 2-4 घूंट पिए तो लगा चाय की तलब खत्म हो गई हो. गाड़ी चल पड़ी. इसी के साथ उन के दिमाग में कई बातें भी चलती रहीं.

कुछ देर तक उन्होंने सर्दी सहन करने की कोशिश की. कड़ाके की ठंड होने की वजह से उन की हालत भी खराब होने लगी थी. लेकिन उस आदमी की हालत उन के जेहन में बस चुकी थी. इस के बाद उन्होंने गरीब बेसहारों के लिए काम करना शुरू कर दिया था. यहीं से समाज सेवा न केवल उन की दिनचर्या का हिस्सा बनी, बल्कि जीवन का लक्ष्य भी.

उस के बाद से ठंड हो या बारिश, वह रोजाना ही गरीबों की आर्थिक मदद करने लगे थे. लिहाफ या कंबल वितरण वह स्वयं करते हैं.

सारी संपत्ति दान कर के बचा है सिर्फ स्कूटर

इस बात का जिक्र डा. गोयल ने पिछले दिनों तब किया, जब उन्होंने 18 जुलाई, 2022 को मीडिया के सामने अपनी 600 करोड़ रुपए की संपत्ति दान में देने की घोषणा की. इस बारे में उन्होंने राज्य सरकार को लिखा पत्र भी दिखाया. उन्होंने बताया कि दान की संपत्ति को इस्तेमाल करने के लिए सरकार को एक कमेटी बनाने की सलाह दी है.

पुरानी घटना का जिक्र करते हुए डा. गोयल ने बताया, ‘‘उस रात मैं ने सोचा कि न जाने कितने लोग ठंड में ठिठुरते होंगे. तब से मैं ने गरीब और बेसहारा लोगों की मदद करने की कोशिश शुरू की थी. मैं ने काफी तरक्की की है, लेकिन जीवन का कोई भरोसा नहीं है. इसलिए जीवित रहते अपनी संपत्ति सही हाथों में सौंप रहा हूं. ताकि ये किसी जरूरतमंद के काम आ सके. गरीबों की शिक्षा और चिकित्सा के लिए राज्य सरकार को सहयोग मिल सके.’’

अपने जीवन भर की कमाई से डा. गोयल ने मुरादाबाद के सिविल लाइंस का सिर्फ बंगला ही अपने पास रखा है, जिस में वह अपने परिवार के साथ रहते हैं. परिवार में उन की पत्नी रेणु गोयल के अलावा उन के 2 बेटे और एक बेटी है.

उन के बड़े बेटे मधुर गोयल मुंबई में रहते हैं. छोटा बेटा शुभम प्रकाश गोयल मुरादाबाद में रहते हैं और अपने पिता को समाजसेवा और व्यवसाय में मदद करते हैं. दान के बाद आनेजाने के लिए उन के पास मात्र एक स्कूटर बचा हुआ है. उन की इसी पुराने स्कूटर की वजह से सादगी को ले कर भी चर्चा होती रही है.

वह जब भी अपने वृद्धाश्रम जाते हैं तो वहां रह रही महिलाओं के आशीर्वाद के हाथ स्वत: उठ जाते हैं. सभी उन्हें अपने बेटे की तरह स्नेह करती हैं. वह भी उन के साथ घंटों गुजारते हैं. घरेलू खेल और दूसरे कार्यों में सहभागी बनते हैं. उन्हें वृद्ध महिलाओं के साथ कैरम बोर्ड खेलते हुए और मां की तरह सेवा करते अकसर देखा जा सकता है.

गरीबों और असहायों की सेवा में जुटे रहने वाले शहर के समाजसेवी एवं शिक्षाविद डा. गोयल का नाम उन की सेवा कार्यों को ले कर ही चर्चा में बना रहता है. देश और विदेश तक उन की चर्चा होती है.

वृद्धों की सेवा के साथ ही हजारों निराश्रित बच्चों की पढ़ाई के खर्च का भी जिम्मा उन्होंने उठा रखा है. देश के अलगअलग राज्यों में उन की शिक्षण संस्थाओं में गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है.

इस संबंध में बीते साल 2021 में उन्हें दिल्ली में आयोजित एक निजी कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था. इस दौरान उन्होंने बच्चों को कैसे संस्कार दिया जाएं, के बारे में संबोधित किया था. इस कार्यक्रम में अलगअलग राज्यों से आए समाजसेवी और कारोबारियों को सम्मानित किया गया था.

इसी कार्यक्रम का एक वीडियो उन की एक प्रशंसक द्वारा फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपलोड कर दिया गया था. वह वीडियो इस कदर वायरल हुआ कि 2 दिनों में ही फेसबुक पर इस वीडियो को 50 लाख और इंस्टाग्राम में 89 लाख लोगों ने देखा.

देशविदेश की अनेक हस्तियों ने किया सम्मानित

इस उपलब्धि पर उन्हें लोगों ने बधाइयां दीं. वीडियो के वायरल होने का एक कारण यह भी बताया जाता है कि समाजसेवा के साथ ही शिक्षा क्षेत्र में किए गए कार्यों को ले कर देश और विदेश में कई बार उन्हें सम्मानित किया जा चुका है. उन के बारे में एक बात सर्वमान्य हो चुकी है कि वह हमेशा असहायों की मदद को तत्पर रहते हैं.

डा. गोयल के पिता प्रमोद कुमार गोयल और मां शकुंतला देवी स्वतंत्रता सेनानी थे. पिता का भी बड़ा कारोबार था. उन के कई कोल्डस्टोरेज, राइस मिल, स्टील फैक्ट्री आदि थे. समाज सेवा की भावना डा. अरविंद के अंदर अपने मातापिता के संस्कार के कारण ही आई.

डा. अरविंद गोयल को देश के 4 राष्ट्रपति सम्मानित कर चुके हैं. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रणव मुखर्जी, प्रतिभा देवी पाटिल, डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने इन्हें सम्मानित किया तो इन्हें भी अपार खुशी महसूस हुई.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, शाहरुख खान, सदी के महानायक अमिताभ बच्चन, अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ भी इन्हें सम्मानित कर चुके हैं.

थाईलैंड सरकार द्वारा इन्हें ग्लोब लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. फिल्म इंडस्ट्री के सब से बड़े आइफा अवार्ड समारोह में वह 3 बार मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए हैं.

उत्तराखंड की तत्कालीन राज्यपाल मार्गरेट अल्वा ने अरविंद गोयल को उत्तराखंड रत्न सम्मान से सम्मानित किया था. कपिल सिब्बल भी एकता सम्मान से इन्हें सम्मानित कर चुके हैं. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने गोयल को भारत के गौरव रत्न दे कर सम्मानित किया था. 2015 में टाइम्स औफ इंडिया द्वारा आयोजित इकोनौमिक टाइम्स इंडिया कार्यक्रम में राजनेता राजीव प्रताप रूड़ी ने इन्हें सम्मानित किया था.

अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी डा. अरविंद गोयल को स्टार्टअप योजना के शुभारंभ पर लखनऊ में उन्हें प्रतीक चिह्न दे कर सम्मानित किया.

यही नहीं, उन के परिवार में कई सदस्य जिम्मेदार पदों पर काम कर चुके हैं. बहनोई मुख्य चुनाव आयुक्त और ससुर जज रह चुके हैं, जबकि उन के दामाद सेना में कर्नल हैं.

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर के रहने वाले डा. अरविंद गोयल के पास उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में 100 से ज्यादा शिक्षण संस्थान, वृद्धाश्रम और अस्पताल हैं. उन में  वह ट्रस्टी हैं. कोविड 19 लौकडाउन के दौरान उन्होंने मुरादाबाद के 50 गांवों को गोद ले कर लोगों को मुफ्त खाना और दवा दिलवाई थी. वह भी अपनी जान जोखिम में डाल कर.

डा. गोयल का यह फैसला व्यक्तिगत नहीं था. बल्कि इस में उन्हें पूरे परिवार वालों की सहमति मिली. पत्नी रेणु और तीनों बच्चों ने इस फैसले पर खुशी जताई.

डा. गोयल द्वारा संपत्ति दान करने की घोषणा से नगर के लोग खुश हैं तो हतप्रभ भी हैं कि आखिर वह क्या वजह रही, जो उन्होंने अपनी मेहनत से अर्जित की गई संपत्ति 3 बच्चों के होते हुए भी सरकार के हवाले करने का निर्णय लिया. जबकि सरकार की संस्थाएं घिसटती हुई चलती हैं.

बहरहाल, डा. गोयल द्वारा दान की गई संपत्ति की निगरानी को लेकर भी लोगों के मन में कई सवाल हैं, हालांकि उस के लिए कमेटी बनाने का बात कही गई है.

आईएएस और आईपीएस की टीम करेगी निगरानी

सरकार संपत्ति लेने से पहले 5 सदस्यीय टीम गठित करेगी, जिस में आईएएस और आईपीएस अफसर शामिल होंगे. इस टीम के द्वारा दान की गई जमीन में परियोजनाओं का संचालन करने की योजना बनाई जाएगी.

टीम द्वारा संपत्ति का पूर्ण आकलन कर गरीबों के लिए बेहतर उपचार, शिक्षा की व्यवस्था के केंद्र खोले जाएंगे.

अरविंद गोयल ने मुरादाबाद के जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह को पत्र द्वारा अपनी 600 करोड़ रुपए की संपत्ति राज्य सरकार को दान देने की घोषणा कर दी है. दान की प्रक्रिया जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह के माध्यम से पूरी की जाएगी.

डा. अरविंद गोयल की मदद से देश में सैकड़ों स्कूल, हजारों प्याऊ, अनेकों वृद्धाश्रम, बड़ी संख्या में अस्पताल, सैकड़ों सुलभ शौचालय, रैन बसेरे, अनेक विकलांग आश्रम, विधवा आश्रम संचालित हैं. वह अनेक गांवों को गोद ले कर उन्हें आदर्श गांव में बदल चुके हैं.

अरविंद गोयल व उन के परिवार के पास देश भर में 250 से ज्यादा स्कूल थे. कोरोना काल में कुछ स्कूल बंद हो गए. वर्तमान में करीब 200 से ज्यादा स्कूल चल रहे हैं.

इन स्कूलों का संचालन डा. अरविंद गोयल की मदद से होता है. विभिन्न प्रदेशों में जो स्कूल गोद लिए हैं, उन का नाम तक नहीं बदला है. प्रदेश में स्थित संपत्तियों को दान करने का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश शासन को भेजा जा चुका है, जल्द ही इस की प्रक्रिया पूर्ण हो जाएगी.

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