शकील दुकान पर बैठेबैठे बेवजह सिगरेट पर सिगरेट फूंकता जा रहा था. उस की दुकान में सिगरेट का कसैला धुआं भर गया था, जिस वजह से उस की दुकान पर आने वाले ग्राहकों ने भी नाराजगी दिखाई थी. लेकिन, फिर भी वह लगातार सिगरेट पीता जा रहा था.

शकील के सिगरेट पीने की वजह थी उस की बीवी शायना, जिस पर उसे आज काफी गुस्सा आ रहा था. उस का मन कर रहा था कि वह शायना को तलाक दे दे.

शकील की बीवी शायना  खुद को कुछ ज्यादा ही स्मार्ट समझने लगी है. जरा सा पढ़ीलिखी है, तो वह उस के सिर पर सवार होगी और गैरमुसलिम की तरह एक बच्चा होने के बाद आपरेशन कराने की बात करेगी, इसीलिए गुस्से में उस ने शायना को 2-3 तमाचे जड़ दिए थे. बात आगे बढ़े, इस से पहले ही उस का दोस्त जाबिर घर पहुंच गया और उसे समझाबुझा कर दुकान पर ले आया.

अभी कल की ही बात थी. रात को दुकान बंद कर के शकील घर पहुंचा. खानापीना निबटने के बाद जब वह और शायना सोने के लिए बिस्तर पर पहुंचे, तो शायना ने बताया, ‘‘आप अब्बू बनने वाले हो.’’

‘‘मुबारक हो,’’ कहते हुए शकील ने शायना को अपनी बांहों में भर लिया था. बाप बनने की खबर सुन कर उस की खुशी का ठिकाना न था. उस ने शायना के साथ पूरी रात जश्न में ही गुजार दी. उस की और शायना की यह दूसरी सुहागरात बन गई.

7 महीने पहले ही शकील की शादी शायना से हुई थी. शायना पढ़ीलिखी और काफी समझदार लड़की थी. शायना के अब्बू ने ही शकील को पसंद किया था.

शकील केवल उर्दूअरबी ही पढ़ा था. वह मदरसे के अलावा कभी स्कूल गया ही नहीं था. उस की बाजार में ही किराने की दुकान थी और जो काफी अच्छी चलती थी. उस ने 2 कमरे बनवा लिए थे और उस का खानाखर्चा काफी अच्छे से चल रहा था.

शकील के बारे में सबकुछ जानने के बावजूद शायना ने बिना अपने अब्बू से कुछ कहे शकील से निकाह कर लिया था. घर में आने के बाद वह काफी अच्छे से बहू और बीवी बनने का फर्ज निभा रही थी.

लेकिन आज सुबह होते ही शायना ने शकील का सारा मूड खराब कर दिया. उस ने कहा, ‘‘इस बच्चे के

बाद मुझे और बच्चे नहीं चाहिए. मैं आपरेशन करा लूंगी, क्योंकि एक बच्चा होगा, तो हम इतनी महंगाई

में भी उस की अच्छी परवरिश कर सकेंगे और उसे पढ़ालिखा कर कुछ बना सकेंगे.’’

यह सुनते ही शकील गुस्से से लाल हो गया और उस ने 2-3 तमाचे शायना के गाल पर मार दिए, जिस से उस की आंखों में आंसू आ गए थे.

‘‘मुझे तुम से यह उम्मीद नहीं थी. तुम पढ़लिख गई हो तो इतना बड़ा गुनाह करोगी. तुम अल्लाह की नेमतों को दुनिया में आने से रोकना चाहती हो.

मुझे अभी 4-5 बच्चे और चाहिए… समझी?

‘‘सब अपनी किस्मत का खाते हैं. उन की किस्मत में जो होगा वही होगा. इस में हम क्या करेंगे…’’ शकील ने गुस्से में शायना से कहा.

‘‘लेकिन, इस में गलत क्या है. अगर हमारा एक बच्चा होगा, तो कम से कम पढ़लिख कर कुछ बन जाएगा और अगर कल को आप का कामधंधा चौपट हो जाए, तो भी हम उस की आराम से परवरिश कर सकते हैं.

‘‘अगर हमारे ज्यादा बच्चे होंगे, तो उन की परवरिश कैसे करेंगे? फिर कोई रिकशा चलाएगा, तो कोई किसी के यहां मामूली सी नौकरी करेगा,’’ शायना शकील को समझाते हुए बोली. लेकिन शकील के ऊपर तो जैसे बच्चों का भूत सवार था. उस की गुस्से से चीखने की आवाज सुन कर कई लोग उस के घर आ गए थे. तभी उस का दोस्त जाबिर सारा माजरा जान कर शकील को दुकान पर ले आया था.

‘‘अरे शकील मियां, सिगरेट का धुआं क्यों उड़ा रहे हो… कुछ पता है भी कि नहीं?’’ तभी दुकान पर पहुंचे पड़ोसी उस्मान ने शकील से पूछा.

‘‘क्या हुआ?’’ शकील धीरे से बोला.

अभीअभी खबर मिली है कि मेराज ने अपने 5 बच्चों का गला दबा कर मार डाला और खुद ने भी फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली है,’’ उस्मान ने उसे बताया.

यह खबर सुनते ही शकील को जैसे बिजली का तेज झटका लगा. वह एकदम से उछल पड़ा, ‘‘क्या… लेकिन… आखिर मेराज ने ऐसा कदम

क्यों उठाया?’’ शकील ने चौंकते हुए उस्मान से पूछा.

‘‘सुना है कि रहमत की मौत के बाद मेराज काफी परेशान थी. बच्चे छोटे थे, इस वजह से आमदनी का कोई जरीया नहीं था. घरखर्च के लिए पहले जेवर बिके, फिर दूसरा सामान बिकना शुरू हो गया. घर में भुखमरी जैसे हालात हो गए.

‘‘अगर 1-2 बच्चे होते, तो शायद मेराज मेहनतमजदूरी कर के उन्हें पाल भी लेती, लेकिन इतने बच्चों को पालने के लिए बेचारी करती भी तो क्या करती. परेशान हो कर उस ने सभी बच्चों को जहर दे कर खुद भी फांसी पर झूल गई,’’ उस्मान ने अफसोस जाहिर करते हुए उसे बताया.

तभी शकील की दुकान पर कुछ ग्राहक आ गए, तो उस्मान ही अपनी दुकान पर चला आया.

रहमत शकील का काफी अच्छा दोस्त था और वह दूसरे महल्ले में ही रहता था. वे दोनों साथसाथ ही मदरसे में पढ़ाई किया करते थे.

रहमत काफी पैसे वाला था. इस वजह से उस की शादी भी जल्दी हो गई थी. लेकिन शकील के घर के हालात कुछ सही नहीं थे और फिर उसे अपनी 2 छोटी बहनों की भी शादी करनी थी. उस के अब्बू अकसर बीमार रहते थे, इसलिए अब्बू की दुकान उस ने ही संभाल ली थी.

आज शकील की दुकान काफी अच्छी चल रही है, जिस से उस ने अपनी बहनों की भी शादी बहुत धूमधाम से कर दी है और वे खुशी से अपनेअपने परिवार के साथ जिंदगी बिता रही हैं.

जब तक शकील की शादी हुई, तब तक रहमत 5 बच्चों का बाप बन चुका था और छठा बच्चा भी जल्दी आने वाला था.

इसी बीच रहमत काफी बीमार हो गया, जिस के चलते उस का दवादारू में भी काफी पैसा खर्च होने लगा था. फिर धीरेधीरे उस का कारोबार बिलकुल खत्म हो गया.

इसी बीच रहमत का इंतकाल भी हो गया था और पूरी जिम्मेदारी मेराज पर आ चुकी थी.

एक दिन शकील को जानकारी लगी थी कि रहमत के जाने के बाद घर में भुखमरी जैसे हालात से मेराज भाभी को जूझना पड़ रहा था.

एक बार शकील खुद मेराज भाभी से मिलने उन के घर पहुंचा था तो देखा कि घर में एकएक रोटी के लिए बच्चे कैसे आपस में छीनाझपटी कर रहे थे, लेकिन उस ने यह सोचा था कि यह सब खुदा को मंजूर होगा और शायद बच्चों की किस्मत में यही लिखा था. फिर वह मेराज भाभी को कुछ रुपए दे कर वापस आ गया था.

‘रहमत को गुजरे हुए अभी 6 महीने भी नहीं हुए थे और यह सब हो गया. क्या बीती होगी भाभी पर, जब उन्होंने अपने हाथों से बच्चों का गला दबाया होगा,’ यह सोच कर ही शकील को झुरझुरी आ गई. तभी उसे शायना की याद आ गई. यही बात शायना उसे समझाने की कोशिश कर रही थी.

शकील सोच रहा था कि अगर उस के 5-6 बच्चे हो गए और उसे कुछ हो गया, तो क्या शायना भी…

‘‘नहींनहीं, मैं कभी ऐसा नहीं करूंगा,’’ अचानक शकील मन ही मन बुदबुदाया और उठ कर दुकान बढ़ाने लगा, क्योंकि उसे पहले मेराज भाभी के यहां जाना था और फिर वहां से सीधा घर पहुंच कर शायना से माफी भी मांगनी थी. आज उसे ऐसा लग रहा था, जैसे वह बहुत बड़े गुनाह से बच गया है.

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