27 फरवरी, 2022 को सुबह ही भाई सोनू कुमार का नंबर देखते ही सोनिया चहक उठी. उस ने फोन उठाया तो सोनू ने कहा, ‘‘आज रात मैं ने नीशू और उस की मां जयंती की हत्या कर दी. उन दोनों की लाशें घर में पड़ी हुई हैं. मैं बच्चों को साथ ले कर तेरे पास आ रहा हूं.’’

भाई का फोन रिसीव करते ही उस की खुशियां काफूर हो गईं. इस से पहले कि सोनिया उस से कुछ बात कर पाती, सोनू ने फोन काट दिया.

भाई की बात सुनते ही उस का माथा घूम गया. उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उस का भाई जो कह रहा था, वह सच था या वह मजाक कर रहा था.

भाई की बात सुनते ही सोनिया सदमे में पहुंच गई. उस ने उस के बाद कई बार भाई के मोबाइल पर काल लगाने की कोशिश की, लेकिन उस ने रिसीव नहीं की. उस के बाद सच्चाई जानने के लिए उस ने अपने ममेरे भाई रामपाल को फोन कर भाई सोनू के घर की स्थिति जानने के लिए भेजा.

ममेरा भाई रामपाल उस के घर पहुंचा तो घर पर बाहर से ताला लगा हुआ था. उस ने उस के पड़ोसियों से सोनू के बारे में जानकारी लेनी चाही तो किसी से भी कुछ जानकारी नहीं मिल पाई. उस के बाद रामपाल सिंह सीधे जसपुर कोतवाली पहुंचा.

कोतवाली पहुंचते ही उस ने कोतवाल जे.एस. देऊपा के सामने सारी हकीकत रख दी.

एक घर में दोहरे हत्याकांड की बात सुनते ही कोतवाल देऊपा पुलिस टीम के साथ जसपुर कस्बे में मोहल्ला नत्था सिंह पंडों वाले कुएं के पास स्थित सोनू के घर पहुंचे और उन्होंने उस के बंद घर का ताला तुड़वाया.

पुलिस जैसे ही घर के अंदर घुसी, वहां का दृश्य दिल को दहलाने वाला था. एक कमरे में सोनू की 35 वर्षीय पत्नी नीशू की खून से लथपथ लाश पड़ी हुई थी. लाश के पास ही रक्तरंजित पाटल (गंडासा) पड़ा हुआ था.

दूसरे कमरे में उस की 55 वर्षीय सास जयंती की चारपाई पर लाश पड़ी हुई थी. जयंती का शव रजाई से ढंका हुआ था. दोनों की एक ही तरह पाटल से काट कर हत्या की गई थी. दोनों के गरदन और शरीर पर पाटल के कई निशान मौजूद थे.

दोनों को मौत की नींद सुलाने के बाद सोनू घर से फरार हो गया था. इस दोहरे हत्याकांड की जानकारी लगते ही पूरे शहर में सनसनी फैल गई. जिस ने भी सुना, वह घटना की जानकारी लेने के लिए सोनू के घर पहुंचने लगा.

देखते ही देखते वहां पर लोगों का हूजूम उमड़ पड़ा. इस घटना की सूचना पर एसपी चंद्रमोहन सिंह, सीओ वीर सिंह भी जानकारी लेने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे.

पुलिस ने ही इस घटना की जानकारी सोनू की ससुराल जिला मुरादाबाद, गांव टांडा अफजल ठाकुरद्वारा निवासी वीरसिंह की दी. अपनी पत्नी और बेटी की हत्या की सूचना पाते ही वीर सिंह ऊधमसिंह नगर के कस्बा जसपुर पहुंच गए.

पुलिस ने घटनास्थल की बारीकी से जांचपड़ताल करने के बाद सोनू के बारे में जानकारी ली. इस से पहले कि पुलिस सोनू के पास पहुंच पाती, वह अपने तीनों बच्चों को अपनी बहन सोनिया के पास छोड़ कर फरार हो गया था.

पुलिस पूछताछ के दौरान पता चला कि सोनू की नीशू के साथ दूसरी शादी हुई थी. उस की पहली पत्नी उसे छोड़ कर चली गई थी. सोनू नेटवर्किंग करता था. जिस में वह युवकयुवतियों को भी अपने साथ जोड़ता था. उसी काम के चलते उस ने कई युवतियों से अवैध संबंध बना रखे थे.

सोनू की बीवी नीशू उस की इन हरकतों से परेशान थी. जिस के कारण वह अपनी पत्नी से नफरत करने लगा था. उसी नफरत के चलते उस ने अपनी पत्नी नीशू और सास की हत्या कर दी होगी.

सोनू कुमार के बारे में विस्तृत जानकारी जुटा कर पुलिस ने सासबहू दोनों की लाशों का पंचनामा भर कर उन्हें पोस्टमार्टम हेतु भिजवा दिया था. इस डबल मर्डर मामले के जल्दी खुलासे के लिए काशीपुर एसपी चंद्रमोहन सिंह ने एसओजी टीम को भी लगा दिया.

आरोपी सोनू की गिरफ्तारी के लिए एसओजी की कई टीमें गठित की गईं. एसओजी प्रभारी कमलेश भट्ट ने सोनू के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाया तो उस का मोबाइल स्विच्ड औफ मिला.

उसी दौरान पता चला कि सोनू बिजनौर के धामपुर कस्बे में देखा गया था. लेकिन मोबाइल बंद होने के कारण पुलिस उस की लोकेशन का पता नहीं कर पा रही थी.

पुलिस जांचपड़ताल के दौरान सोनू की बहन सोनिया ने पुलिस को बताया कि सोनू ने उस से बात करते वक्त कहा था कि उस ने अपनी पत्नी और सास को खत्म कर दिया है, अब वह स्वयं भी आत्महत्या करने जा रहा है. उस के बाद से ही उस का मोबाइल बंद आ रहा है.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने सोचा कि कहीं सोनू ने कुछ जहरीला पदार्थ खा कर आत्महत्या तो नहीं कर ली. उस के बाद पुलिस ने उसे हरसंभव स्थान पर खोजा, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं लग सका.

पुलिस को जानकारी मिली थी कि सोनू अपनी बीवी और सास की हत्या कर अपने बच्चों को एक कार में बैठा कर अमरोहा पहुंचा था. लेकिन वह कार किस की थी, इस बात की जानकारी किसी को नहीं थी. पुलिस ने हरसंभव स्थान पर उस की तलाश की, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं चल सका.

रेलवे ट्रैक पर मिली लाश

उसी दौरान 28 फरवरी, 2022 को मृतका नीशू के भाई सौरभ कुमार ने सोनू कुमार के खिलाफ जसपुर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करा दी.

सोनू के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होते ही एसओजी टीम एक्शन में आ गई. पुलिस की कई टीमें जिला बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा आदि क्षेत्रों में रवाना हुईं, लेकिन कहीं से भी उस की लोकेशन ट्रेस नहीं हो पाई.

पुलिस सोनू की तलाश में इधरउधर भटक रही थी, उसी दौरान पहली मार्च को गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के नजदीक रेलवे ट्रैक पर रेलवे पुलिस फोर्स (आरपीएफ) के जवानों को एक व्यक्ति की लाश पड़ी मिली. आरपीएफ के जवानों ने उस की सूचना कविनगर थानाप्रभारी आनंद प्रकाश मिश्र को दी.

लाश की सूचना पर कवि नगर थाना पुलिस घटनास्थल पर पहुंची. पुलिस ने पहुंचते ही मृतक की जेब की तलाशी ली तो उस में एक पौकेट डायरी और आधार कार्ड मिला. उस की जेब से एक सुसाइड नोट भी मिला, जिस में लिखा था, ‘मैं सोनू कुमार नीशू की मौत का जिम्मेदार हूं.’

आधार कार्ड के माध्यम से मृतक की पहचान जसपुर, उत्तराखंड निवासी सोनू के रूप में हुई.

कविनगर थानाप्रभारी आनंद प्रकाश मिश्र ने उत्तराखंड एसओजी प्रभारी कमलेश भट्ट को फोन पर मामले की जानकारी दी.

इस जानकारी के मिलते ही जसपुर कोतवाल जे.एस. देऊपा ने मृतक सोनू के घर वालों को इस की सूचना दी. सोनू के आत्महत्या करने की जानकारी मिलते ही उस के घर वाले और जसपुर पुलिस तुरंत ही गाजियाबाद पहुंची, जहां पर पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए उस की लाश उस की बहनों को सौंप दी.

सोनू के खत्म होते ही एक परिवार पूरी तरह से खत्म हो गया. मृतक सोनू के तीनों बच्चे उस की बहन के पास अमरोहा में थे. सोनू ने अपने सुसाइड नोट में लिखा, ‘नीशू, मैं तुझे बहुत ही प्यार करता था.’

फिर ऐसा क्या हुआ कि अचानक दोनों के बीच की डोर इतनी कमजोर पड़ गई कि सोनू को इतना बड़ा कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा.

इस की जो हकीकत सामने आई, वह इस प्रकार थी.

उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर का एक कस्बा है जसपुर. इसी कस्बे में ठाकुर मंदिर के ठीक पीछे स्थित मोहल्ले में रहता था कैलाशनाथ का परिवार.

कैलाशनाथ के 5 बच्चे थे. 4 बेटियां और इकलौता बेटा निखिल उर्फ सोनू कुमार. कैलाशनाथ ने समय से ही सभी बच्चों की शादी कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली थी.

बच्चों की शादी होने के बाद ही कैलाशनाथ और उन की पत्नी की मौत हो गई थी. मांबाप की मौत के बाद सोनू अपनी बीवी राजवती के साथ रह रहा था.

सोनू की शादी अब से लगभग 10 साल पहले जिला बिजनौर के गांव झालू निवासी राजवती से हुई थी. सोनू शुरू से ही तेजतर्रार था. राजवती के साथ शादी करने के कुछ समय तक तो उन दोनों के बीच सब कुछ सही रहा था. लेकिन फिर सोनू उसे परेशान करने लगा था.

सोनू शुरू से ही आवारा किस्म का युवक था. वह कामधंधा कुछ नहीं करता था. शादी के बाद उस के खर्चे बढ़े तो वह परेशान रहने लगा. घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए राजवती ने कई बार उस से कुछ काम तलाशने को कहा. लेकिन उसे कहीं भी कोई काम नहीं मिला. उस के बाद वह राजवती के पास रखे पैसे भी अपने खर्च के लिए ले लेता था.

उसी बीच राजवती एक बच्ची स्पर्श की मां भी बन गई थी. बच्ची के घर में आने के बाद आए दिन दोनों के बीच में खटपट रहने लगी थी. मियांबीवी में मनमुटाव के चलते ही कई बार राजवती अपने मायके भी चली गई थी.

घर में विवाद ज्यादा बढ़ा तो जल्दी ही दोनों के बीच तलाक की नौबत आ गई थी. उसी सब के चलते राजवती एक दिन अपने मायके चली गई, फिर वापस नहीं आई.

सोनू की हरकतों से आजिज आ कर राजवती के मायके वालों ने सोनू पर मुकदमा डाल दिया था, जिस के कारण उसे जेल की हवा भी खानी पड़ी थी.

जेल से आने के बाद वह कुछ ज्यादा ही परेशान रहने लगा था. उस का सब से बड़ा कारण था उस की बेटी स्पर्श, जो राजवती के मायके जाने के बाद उसी के पास रह रही थी. राजवती के मायके वालों ने काफी कोशिश की कि किसी भी तरह से दोनों के संबंध बने रहें. लेकिन सोनू अपनी हरकतों से बाज नहीं आया.

उस की हरकतों से परेशान हो कर राजवती ने कोर्ट के माध्यम से उस से तलाक ले लिया. बीवी से तलाक लेने के बाद वह अकेला पड़ गया था. उस की सभी बहनों की शादी हो चुकी थी. उस की बेटी स्पर्श उसी के साथ थी, जिस की परवरिश करना उस के लिए टेढ़ी खीर हो रही थी.

उसी मुसीबत के दौर में सोनू की मुलाकात बिजनौर निवासी पंकज राजपूत से हुई. पंकज राजपूत एक मार्केटिंग कंपनी में एरिया मैनेजर था. पंकज के संपर्क में आते ही उसे उसी कंपनी में सेल्स एग्जीक्यूटिव की नौकरी मिल गई. लेकिन उस की नौकरी ऐसी नहीं थी, जिस से उसे हर माह बंधाबंधाया वेतन मिल सके. वह एक मार्केटिंग कंपनी थी, जिस में कंपनी में टिके रहने के लिए एक टारगेट पूरा करना होता था.

उस मार्केटिंग कंपनी का औनलाइन काम था, जिस में कंपनी का काम करते हुए खुद अपना भविष्य बनाना होता था. अपना कैरियर बनाने के लिए सोनू को युवकयुवतियों से संपर्क करने के लिए दिनरात एक करना पड़ा.

सोनू हर रोज घर से निकलता और नएनए ग्राहकों की तलाश करता. कुछ ही दिनों में उस की मेहनत रंग लाई. जल्दी ही उस के कई युवकयुवतियों से संपर्क बन गए थे.

सोनू शुरू से ही ऐशोआराम की जिंदगी जीने वाला शख्स था. वह इस से पहले कई जगह काम कर चुका था. लेकिन वह कहीं पर भी ज्यादा दिन नहीं टिक पाता था.

मार्केटिंग का काम चालू होते ही उस के घर पर युवकयुवतियों का आनाजाना शुरू हो गया था. उसी नेटवर्किंग के काम के चलते वह महिलाओं के करीब हो जाता. उसी काम के चलते उस की मुलाकात नीशू से हुई.

सोनू की प्रेम दीवानी हो गई नीशू

नीशू देखनेभालने में सुंदर थी. नीशू ने इंटरमीडिएट पास कर लिया था. उस के बाद वह भी किसी जौब की तलाश में थी.

कुछ अनौपचारिक मुलाकातों के बाद ही सोनू ने नीशू को नौकरी दिलाने का झांसा दे कर अपने जाल में फंसा लिया था. फिर धीरेधीरे अपने दिल की पीड़ा उस के सामने रखते हुए उस के दिल में भी अपने प्रति प्यार जगा दिया था.

सोनू के संपर्क में आने के बाद नीशू उस की प्रेम दीवानी हो गई. सोनू ने नीशू के सामने अपनी पिछली जिंदगी पर परदा डालते हुए बताया कि वह अभी कुंवारा ही है. जिस के बाद नीशू पूरी तरह से अपनी जिंदगी की बागडोर उस के हाथ में थमाने पर मजबूर हो गई थी.

नीशू के संपर्क में आने के बाद सोनू भी उस के साथ अपनी जिंदगी गुजारने के सपने संजोने लगा. दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चालू होते ही सोनू कई बार नीशू को अपने साथ अपने घर पर भी ले जाता था.

उस दौरान कई बार नीशू ने सोनू से उस की नौकरी लगाने की बात कही तो उस ने साफ शब्दों में कहा कि अब उसे नौकरी की चिंता करने की जरूरत नहीं. वह जल्दी ही उस के साथ शादी कर के अपना घर बसाते ही उसे नौकरी भी दिला देगा.

इस के बाद नीशू पूरी तरह से निश्चिंत हो गई थी. सोनू ने नीशू से प्रेम जताते हुए उस के साथ अवैध संबंध भी स्थापित कर लिए थे.

कुछ समय तक तो दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चोरीछिपे चलता रहा. लेकिन समय के गुजरते उन दोनों की हकीकत नीशू के घर वालों के सामने आ गई.

नीशू की हकीकत सामने आते ही उस के घर वालों को बहुत ही बुरा लगा. लेकिन नीशू ने अपने घर वालों को समझा दिया कि वह अब बालिग हो चुकी है, अपनी जिंदगी का फैसला स्वयं ले सकती है. उस ने घर वालों से साफ कह दिया कि सोनू उस से शादी करने को तैयार है.

नीशू की यह बात उस के पिता वीर सिंह को बहुत बुरी लगी. लेकिन वह भी अपनी बेटी को बहुत प्यार करते थे. उन्हें पता था कि अगर उन्होंने अपनी बेटी के अरमानों का गला घोटने की कोशिश की तो वह कुछ भी कर सकती है. यही सोच कर उन्होंने सोनू के साथ शादी करने की हामी भर ली.

सोनू लंगोट का था कच्चा

उस के बाद वीर सिंह ने 10 अप्रैल, 2014 को आर्यसमाज रीतिरिवाज के अनुसार सोनू कुमार के साथ अपनी बेटी नीशू की शादी कर दी. नीशू और सोनू शादी कर के खुश थे. कुछ समय तक दोनों के बीच सब कुछ ठीकठाक चला. समय के साथ नीशू 2 बच्चों की मां भी बन गई.

उस की नौकरी तो नहीं लग पाई. लेकिन वह अपने 2 बच्चों स्तुति और ओम सिंह के साथसाथ सोनू की पहली बीवी की बेटी स्पर्श का भी ठीक प्रकार से लालनपालन कर रही थी.

सोनू का नेटवर्किंग का काम था. उस की कमाई अपने ग्रुप में सदस्य जोड़ने के बाद ही हो पाती थी. इसी कारण वह हर वक्त नए सदस्यों की तलाश में जुटा रहता था.

वह अपने संपर्क में आने वाले युवकयुवतियों को कंपनी में काम दिलाने का झांसा दे कर फंसा लेता, फिर उन पर काफी खर्च भी करता था. जिस से युवकयुवतियां उस के रहनसहन और ठाटबाट को देख कर जल्दी ही उस से प्रभावित हो जाते थे.

सोनू लंगोट का बहुत ही कच्चा था. कोई भी सुंदर युवती उस के संपर्क में आती तो उसे देख कर उसे पाने की लालसा जाग जाती थी. नौकरी का लालच दिखा कर वह हर युवती के साथ यौन संबंध बनाने की लालसा करने लगता था. जिस के कारण कमाई से ज्यादा वह खर्च करने लगा था.

यही कारण रहा कि जल्दी ही उसे आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा. वह पैसों के लिए तरसने लगा. उस के बाद वह नीशू से पैसों की मांग करने लगा था. यह बात नीशू के पिता वीर सिंह के सामने पहुंची तो उन्होंने भी उसे समझाने की कोशिश की.

उस की आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद वीर सिंह ने गांव से ही अपने मिलने वाले से ब्याज पर एक लाख रुपए उसे दिला दिए, जो कुछ ही दिनों में उस ने खर्च कर दिए. उस के बाद वह फिर से नीशू पर और रुपयों की मांग करने लगा था.

वीर सिंह आर्थिक रूप से इतना मजबूत नहीं था कि वह बारबार उस की सहायता करता. वीर सिंह ने सोनू को रुपए देने से इनकार किया तो उस ने नीशू के साथ मारपीट करनी शुरू कर दी.

सोनू की हरकतें देख वीर सिंह का परिवार परेशान हो उठा. उस के बाद वीर सिंह ने अपनी बेटी का भविष्य देखते हुए अपनी जुतासे की जमीन बेच कर सोनू को 5 लाख रुपए दिए. लेकिन सोनू फिर भी सीधे रास्ते पर नहीं आया था.

उस ने वह रुपए भी शीघ्र ही अय्याशी में उड़ा दिए. उस पैसे के बल पर उस ने कई युवतियों के साथ अवैध संबंध बना लिए थे. दूसरी युवतियों पर रुपए खर्च करने को ले कर उस के ससुराल वाले खफा हो गए. उस के बाद वह अपनी बीवी को एक नजर तक नहीं देखना चाहता था. उस के बावजूद वह हर रोज नईनई युवतियों को घर लाने लगा था. एक दिन नीशू किसी काम से बाजार गई हुई थी. घर आई तो सोनू के साथ एक युवती भी थी, जिसे देखते ही नीशू के तनबदन में आग लग गई.

उस युवती को ले कर दोनों में काफी विवाद भी हुआ. उस की हरकतों से आजिज आ कर नीशू ने अपनी मां जयंती से शिकायत की तो उस की मां जयंती उसे बच्चों सहित अपने साथ ले गई.

कुछ दिन गुजरने के बाद सोनू फिर से अपनी ससुराल गया और भविष्य में नीशू को तंग न करने की बात कहते हुए फिर से बुला लाया. इस बार नीशू की मां जयंती भी उस के साथ आ गई थी. घर आते ही सोनू के तेवर फिर से बदल गए.

पत्नी और सास की कर दी हत्या

वह जल्दी ही अपनी हरकतों पर आ गया. अय्याशी में आड़े आने पर सोनू ने अपनी पत्नी को रास्ते से हटाने के लिए पहले ही योजना बना ली थी. जिस की नीशू को भनक तक नहीं लगी.

26 फरवरी, 2022 की रात को खाना खाने के बाद सोते वक्त मांबेटी का सोनू से किसी बात पर झगड़ा हो गया. सोनू ने उसी समय मांबेटी को मौत की नींद सुलाने का मन बना लिया था.

27 फरवरी, 2022 की सुबह 5 बजे उस ने अपने बच्चों को एक कमरे में सुला दिया. उस के बाद गहरी नींद में सो रही सास जयंती और पत्नी नीशू की पाटल से काट कर हत्या कर दी.

हत्या करने के बाद उस ने बच्चों को साथ लिया और कार में बिठा कर सीधा अमरोहा निवासी अपनी बहन सोनिया के पास चल दिया. उस ने रास्ते में ही फोन कर के जानकारी दी कि उस ने अपनी पत्नी नीशू और उस की मां जयंती की हत्या कर दी है.

अमरोहा पहुंचते ही अपने तीनों बच्चों को बहन के पास छोड़ कर कार से फरार हो गया. उसी दौरान उसे पता चला कि पुलिस उस की तलाश में आई थी. यह सुनते ही उस ने अपना मोबाइल स्विच्ड औफ कर लिया.

अमरोहा से सोनू कार ले कर सीधा अपने दोस्त पंकज के पास पहुंचा. पंकज को गंगा जल लाने हरिद्वार जाना था. वह उस के साथ ही हरिद्वार भी गया.

हरिद्वार से वापसी में उस ने अपने दोस्त को सास और पत्नी की हत्या वाली बात बता दी. जिस से पंकज नाराज हो गया और उस ने सोनू को भलाबुरा कहते हुए रास्ते में ही उतार दिया. जिस के बाद सोनू सीधा गाजियाबाद पहुंच गया.

गाजियाबाद पहुंचने के बाद ही उसे अपने किए पर पश्ताचाप होने लगा था. उसे यह भी पता था कि वह चाहे कितनी भी भागदौड़ कर ले, पुलिस एक दिन उसे गिरफ्तार कर ही लेगी. उस के बाद उसे उम्र भर के लिए जेल में ही रहना पड़ेगा.

यही सोच कर उस ने अपनी जिंदगी का आखिरी रास्ता देखते हुए खुद भी सुसाइड करने का फैसला लिया. उसी फैसले के तहत उस ने चलती ट्रेन के आगे कूद कर अपनी जान दे दी.

सोनू के आत्महत्या करने के साथ ही एक हंसताखेलता परिवार पूरी तरह से बिखर गया. उसी के साथ एक गृहस्थी पूरी तरह से खत्म हो गई थी. फिलहाल मृतक के तीनों बच्चे उस की बहन के पास रह रहे थे.

वैसे तो सोनू ने जो जघन्य अपराध किया था, उस की कड़ी सजा थी. लेकिन उस ने मरने से पहले पौकेट डायरी के 7 पन्नों में अपने दिल की जो व्यथा लिखी थी, क्या वह उसे माफ करने लायक थी.

उस ने लिखा कि उस की मृत्यु के बाद यह डायरी जिस किसी भी भाई को मिले, कृपया इस में लिखे नंबरों पर फोन मिला कर मेरे रिश्तेदारों को सूचित कर देना.

‘नीशू, तू मेरी पत्नी थी, मैं तुझे बहुत ही प्यार करता था. लेकिन तूने अपनी बहन पिंकी के कहने में आ कर मुझे यह सब कुछ करने पर मजबूर कर दिया. मुझे पता था कि तुझे और तेरी मां को पिंकी ही चढ़ाती थी, जिस के कारण बारबार समझाने के बाद भी तेरी मां मेरी एक भी बात मानने को तैयार न थी.

‘अगर पिंकी तुम लोगों को बारबार न उकसाती तो हमारे बीच बारबार लड़ाई नहीं होती. मैं सोनू तेरी मौत का जिम्मेदार हूं. मैं मजबूर हो गया था. नीशू तू मेरी पत्नी थी. मैं तुझे बहुत ही प्यार करता था, फिर भी मैं ने तुझे मार दिया. मैं माफी के काबिल नहीं. मैं तेरे पास ही आ रहा हूं. हो सके तो मुझे माफ कर देना.’

सुसाइड नोट में सोनू ने जो लिखा था, उस में कितनी सच्चाई थी, यह तो पता नहीं लेकिन परिवार के खत्म होते ही सब खत्म हो गया.

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