Mamta Mehta

दोपहर बिस्तर पर लोटपोट होने के बाद सोच कर कि चल कर जरा हौल की सैर कर आऊंदरवाजा खोल कर बाहर कदम रखा कि किसी चीज से पैर टकराया. मुंह से चीख निकली और मैं बम जैसे फटा, ‘‘यह क्या हाल बना रखा हैघर के आदमी के चलनेफिरने लायक जगह तो छोड़ा कम से कम?’’

उधर से भी जवाबी धमाका हुआ, ‘‘दिनभर सोने से फुरसत मिल गई हो तो थोड़ा काम खुद भी कर लो.’’

मैं भिनभिनाया, ‘‘अभी तो तुम भी दिनभर घर में ही क्यों नहीं थोड़ा साफसफाई पर ध्यान दे लेती.’’

वह तमतमाई, ‘‘आप भी तो दिनभर बिस्तर पर ही हैंआप ही क्यों नहीं थोड़ी साफसफाई कर लेते?’’

मैं सीना फुलाया, ‘‘यह मेरा काम नहीं हैमैं मर्द हूं.’’

सुमि पास आ गई, ‘‘अच्छायह कौन सी किताब में लिखा है कि यह काम मर्दों का नहीं है.’’

मैं ने तन कर कहा, ‘‘मेरी अपनी किताब में.’’

सुमि ने कमर पर हाथ रखे, ‘‘तो कौन से काम मर्दों के करने के हैंये भी लिखा होगा तो बता दो जरा?’’

मैं ने बांहें फैला दीं, ‘‘हांलिखा है न आओबताऊं?’’

सुमि के चेहरे पर ललाई दौड़ गई जिसे उस ने तमतमाहट में छिपा लिया, ‘‘क्वारंटाइन में हो डिस्टैंस मैंटेन करो.’’

मैं ने आहें भरी, ‘‘वही तो कर रहा हूं और कितना करूं? 24 घंटे का साथ फिर भी दूरियां…’’

मैं सुमि की तरफ बढ़ा सुमि ने बीच में ही रोक दिया.

‘‘ये फालतू काम करने के बजाय कुछ काम की बात करो.’’

‘‘ये भी काम का ही काम है.’’

‘‘नहीं अभी बरतन मांजना ज्यादा काम का काम हैआओ जरा बरतन मांज दो.’’

‘‘कहा न यह मेरा काम नहीं है…’’

सुमि तिनक कर बोली, ‘‘यह मेरा काम नहीं वह मेरा काम नहीं कहने से काम नहीं चलेगा. चुपचाप बरतन मांज दो वरना पुलिस को फोन कर दूंगी कि यहां एक कोरोना का मरीज है.’’

मैं थोड़ा डरा पर ऊपर से बोला, ‘‘यह गीदड़ भभकियां किसी और देना. तुम फोन कर सकती हो तो क्या मैं फोन नहीं कर सकतामैं भी फोन कर के बोल दूंगा कि यहां एक कोरोना की मरीज है.’’

सुमि इत्मीनान से बोली, ‘‘बोल दोबढि़या है. वे मेरी जांच करेंगे जांच में कुछ निकलेगा नहीं पर मुझे 14 दिन का आराम मिल जाएगा. यहां घर में सारे काम आप करना. अभी तो पकापकाया मिल रहा है. बड़े ठाठ हैं नवाब साहब के फिर खुद पकानाखुद खाना और बरतन भी मांजना.’’

अब मैं वाकई डर गया, ‘‘छोड़ो न यार मैं तो मजाक कर रहा थादेखो बरतनवरतन मांजना तो अपने बस का है नहींमैं सफाई का काम कर देता हूं.’’

मैं ने डब्बूडिंगी को आवाज लगाई, ‘‘चलो बच्चो मम्मी की हैल्प करते हैं. थोड़ी सफाई कर लेते हैं आ जाओ…’’

सुमि ने टोका, ‘‘कोई जरूरत नहीं हैसफाईवफाई करने की जैसा पड़ा है पड़े रहने दो. आप से जो कह रही हूं वह करो बस.’’

मैं ने जिद की, ‘‘अरे यार सफाई करना मेरे लिए ज्यादा इजी रहेगा. करने दो न देखोकितनी गंदगी पड़ी है हर जगह कितना पसरा पड़ा है.’’

सुमि ने जैसे अल्टीमेटम देते हुए कहा, ‘‘न सफाई करनी है न करवानी है… जैसे पड़ा है पड़ा रहने दोआप अपनी मर्दानगी इन बरतनों पर दिखाओ इन्हें चमका कर.’’

मैं फिर चिनमिनाया, ‘‘देखो एक तो यह सब मेरे काम नहीं हैं फिर भी मैं करने को तैयार हूं तो जो काम मैं कर सकता हूं वही करने दो न.’’

सुमि फिर तुनकी, ‘‘एक बार कह तो दिया सफाई नहीं करनी तो नहीं करनी क्यों पीछे पड़े हैं…’’

मैं भी जोर से बोला, ‘‘क्यों नहीं करनीइतनी गंदगी में तुम कैसे रह सकती हो. तुम्हें आदत होगी तो होगी इतनी गंदगी में रहने की पर मुझे नहीं है तो मैं तो सफाई ही करूंगा.’’

सुमि ने मुंह बिचकाया,‘‘आए बड़े मिस्टर क्लीन. जैसे पहले व्हाइट हाउस में ही रहते थे… मैं भी कोई पाइप में रहती नहीं आई हूं पर अभी मुझे सफाई में नहीं रहना बस.’’

मैं ने भौंहें चढ़ाई, ‘‘क्यों पर क्यों नहीं रहनाक्यों नहीं करनी सफाईइतने गंदे पसरे वाले घर में मन लग जाएगा तुम्हाराअभी तो 24 घंटे तुम भी घर में ही हो…’’

सुमि ने होंठ टेढ़े किए, ‘‘हां तो इसी घर में रहना चाहती हूंकहीं और नहीं जाना चाहती और यह भी चाहती हूं कि आप और बच्चे भी इसी घर में रहें कहीं किसी के घर न जाए.’’

मेरा सिर चकराया, ‘‘कमाल हैसफाई का इस घर या कहीं जाने से क्या संबंध है?

तुम भी न कुछ का कुछ कहीं का कहीं जोड़ती रहती हो.’’

सुमि बोली, ‘‘संबंध कैसे नहीं हैं,

बिलकुल संबंध हैंसौलिड संबंध हैंजबरदस्त संबंध हैं.’’

मैं ने कहा, ‘‘वही तो पूछ रहा हूंक्या संबंध हैतुम्हारी डेढ़ अक्ल ने निकाला है तो बता भी दो…’’

सुमि ने कंधे उचकाए, ‘‘इस में डेढ़ अक्लढाई अक्ल वाली कोई बात नहीं हैसीधीसीधी बात हैदेखो जितनी गंदगी होगी उतना इम्युनिटी सिस्टम अच्छा होगा. इम्युनिटी सिस्टम अच्छा होगा तो कोरोना का प्रभाव कम होगा. हम ऐसी गंदगी में रहेंगे तो न कोरोना होगा न हम कहीं और जाएंगे.’’

मेरा दिमाग घूम गया, ‘‘ये क्या लौजिक हैकिस ने कहा गंदगी में रहने से कोरोना नहीं आएगा?’’

सुमि ने अत्यधिक विश्वास से कहा, ‘‘आप खुद देखो नकोरोना के सब से ज्यादा मरीज कहां थे और कहां पर मरे?’’

मैं ने कहा, ‘‘स्पेनइटली में…’’

‘‘और?’’

‘‘यूएसएफ्रांसब्रिटेन…’’

‘‘तो देखो ये सभी देश साफस्वच्छ देशों में आते हैं कि नहीं. जितने साफ सुथरे थे उतना कोरोना का प्रभाव बढ़ता गयालोगों की सांसें घटती गई.

‘‘एशियाई देशों में देखो चीन को छोड़ करकोरोना के कितने मरीज हैंहमारे यहां भी देखो जो शहर साफसुथरे थे वहां कोरोना छाती ताने घूमता फिर रहा हैपर जो देश और शहर गंदगी को अहमियत देते रहे आज उतना ही कम कोरोना से जूझ रहे हैं. हमारे यहां भी देखोरोज ही तो लोकल न्यूज चैनल पर दिखा रहे हैं कि शहर में कितनी गंदगी हो रही है. अभी पूरा शहर खाली पड़ा है आराम से सफाई हो सकती है पर कोई ध्यान दे रहा क्या?

‘‘नहीं नवह इसलिए कोरोना गंदगी देख कर पलट जाएतो आप घर की सफाई भी रहने दोजितना हम गंदगी में रहेंगे हमारी इम्युनिटी पावर बढे़गी और कोरोना से लड़ने की शक्ति भी. बाद की बाद में देखेंगे. आप तो अभी बरतन मांजो बस.’’

मैं मुंह खोले बेवकूफ सा उस की बात सुनता रहा. समझ नहीं पा रहा था इस का क्या जवाब दूंबेचारे हमारे नेता स्वच्छ भारत मिशन चला कर देश को साफसुथरा बनाने में जीजान से कोशिश कर रहे हैं. यहां इस का यह नया ही फंडा. 

क्या वाकई यह सही कह रही हैसफाई से कोरोना प्रभावशाली व शक्तिशाली हो जाता हैइस पर रिसर्च बाद में करूंगाफिलहाल तो सिंक के पास खड़ा सोच रहा हूं कि बरतन कैसे मांजू?

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