बुजुर्गों की तरफ से तो रिश्ता तय हो चुका था. कुंडली मिलान, लेनदेन सब कुछ. बस, अब सब लड़कालड़की की आपसी बातचीत पर निर्भर था. बुजुर्गों ने तय किया कि लड़कालड़की आपस में बात कर एकदूसरे को समझ लें. कुछ पूछना हो तो आपस में पूछ लें. उन्हें एकांत दिया गया.

लड़के को शांत देख लड़की ने कहा, ‘‘आप कुछ पूछना चाहते हैं?’’ लड़का शरमीला था. मध्यमवर्गीय परिवार से था. उस ने कहा, ‘‘नहीं, बुजुर्गों ने तो सब

देखपरख लिया है. उन्होंने तय किया है तो सब ठीक ही होगा. आप दिखने में अच्छी हैं. मुझे पसंद हैं, बस इतना पूछना था कि…’’ लड़का पूछने में लड़खड़ाने लगा तो उस पढ़ीलिखी सभ्य लड़की ने कहा, ‘‘पूछिए, निस्संकोच पूछिए, आखिर हमारीआप की जिंदगी का सवाल है.’’

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लड़के ने पूछा, ‘‘यह शादी आप की मरजी से… मेरे कहने का अर्थ यह है कि आप राजी हैं, आप खुश हैं न.’’

‘‘हां, लड़की ने बड़ी सरलता और सहजता से कहा. नहीं होती तो पहले ही मना कर देती.’’ लड़का चुप रहा. अब लड़की ने कहा, ‘‘मैं भी कुछ पूछना चाहती हूं आखिर मेरी भी जिंदगी का सवाल है. उम्मीद है कि आप बुरा नहीं मानेंगे.’’

‘‘नहींनहीं, निस्संकोच पूछिए,’’ लड़के ने कहा. वह मन ही मन सोचने लगा, ‘लड़की पढ़ीलिखी है तो तेज तो होगी ही लेकिन इतनी बिंदास और बेबाक.’

‘‘आप का शादी के पहले कोई चक्कर, मेरा मतलब कोई अफेयर था क्या?’’

‘‘क्या,’’ लड़के ने लड़की की तरफ देखा.

‘‘अरे, आप घबरा क्यों गए? कालेज में पढ़े हो. इश्क वगैरा हो जाता है. इस में आश्चर्य की क्या बात है? सच बताना. एकदूसरे से क्या छिपाना?’’

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‘‘जी, वह एक लड़की से. बस, यों ही कुछ दिन तक. अब सब खत्म है,’’ लड़के ने झेंपते हुए कहा.

‘‘मेरा भी था,’’ लड़की ने बेझिझक कहा.

‘‘अब नहीं है.’’

लड़का लड़की का मुंह ताकने लगा.

‘‘क्यों, क्या हुआ? जब आप ने कहा तब मैं ने तो ऐसा रिएक्ट नहीं किया जैसा आप कर रहे हैं. आप ने तो पूछने पर बताया, मैं ने तो ईमानदारी से बिना पूछे ही बता दिया.’’

‘‘अच्छा, यह बताओ कि महीने में कितना कमा लेते हो?’’ लड़की ने आगे पूछा.

‘‘जी, 10 हजार रुपए.’’

‘‘मैं ने वेतन नहीं पूछा, टोटल कमाई पूछी है.’’

‘‘जी, मैं घूस नहीं लेता,’’ लड़के ने ताव से कहा.

‘‘अच्छा, पैदाइशी हरिश्चंद्र हो या अन्ना आंदोलन का असर है या फिर, डरते हो’’ लड़की हंस कर बोली.

‘‘यह क्या कह रही हैं आप?’’

‘‘तो आप ईमानदार हैं.’’

‘‘जी, बिलकुल.’’

‘‘फिर घर कैसे चलाएंगे 10 हजार रुपए में, खासकर शादी के बाद. कम से कम 5 हजार रुपए तो मेरे ऊपर ही खर्च होंगे. क्या शादी के बाद अपनी पत्नी को घुमाने नहीं ले जाएंगे. बाजार, सिनेमा, कपड़े, जेवर वगैरावगैरा.’’

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लड़के बेचारे के तो होश गुम थे. अच्छाखासा इंटरव्यू हो रहा था उस का. अब उसे लड़की बड़ी बेशर्म और उजड्ड मालूम हुई.

लड़की ने कहा, ‘‘देखो, शादी के बाद मुझे कोई झंझट नहीं चाहिए. अपनी मांबहन को पहले ही समझा कर रखना. मुझे सुबह आराम से उठने की आदत है और हां, शादी के बाद अकसर लड़झगड़ कर लड़के अलग हो जाते हैं. और सारी गलती बहुओं की गिना दी जाती है. सो अच्छा है कि हम पहले ही तय कर लें कि किसी भी बहाने से बिना लड़ाईझगड़े के अलग हो जाएं. तुम्हारा तो सरकारी जौब है, ट्रांसफर करा लेना. दूसरी बात रही पहनावे की तो मुझे साड़ी पहनने की आदत नहीं है. कभी शौक से, कभी मजबूरी में पहन ली तो और बात है. मैं सलवारसूट, जींस पहनती हूं और घर में बरमूड़ा, रात में नाइटी. बाद की टैंशन नहीं चाहिए, यह मत पहनो, वह मत करो, पहले ही बता देती हूं कि पूजापाठ मैं करती नहीं.’’

लड़की कहे जा रही थी और लड़का सुने जा रहा था. लड़के को लगा कि वह भी क्या समय था कि जब लड़की लजाते, शरमाते उत्तर देती थी, हां या न में. लड़का पूछता था, खाना बनाना आता है, गाना गाना जानती हो, कोई वाद्ययंत्र गिटार, सितार वगैरा बजा लेती हो, सिलाईबुनाई आती है, मेरे मातापिता का ध्यान रखना होगा और लड़की जीजी, हांहां करती रहती थी और अब जमाना इतना बदल गया.

उसे तो यह लगा मानो वह साक्षात्कार दे रहा हो. यह भी सही है कि अधिकतर जोड़े शादी के बाद अलग हो जाते हैं. दुल्हनें अपनी मांगों पर अड़ कर परिवार के 2 टुकड़े कर देती हैं. फिर अपनी मनमरजी का ओढ़नेपहनने से ले कर खाने में नमक, मिर्च कम ज्यादा होने पर सासबहू की खिचखिच शुरू हो जाती है. यह कह तो ठीक ही रही है, लेकिन शादी से पहले ही इतनी बेखौफ और निडर हो कर बात कर रही है तो बाद में न जाने क्या करेगी? यह तो नीति और मर्यादा के विरुद्ध हो गया. अभी पत्नी बनी नहीं और पहले से ही ये रंगढंग. लड़का तो फिर लड़का था. उस ने भी कहा, ‘‘शादी से पहले का भी बता दिया और शादी के बाद का भी. तुम से शादी करने का मतलब मांबाप, भाईबहन सब छोड़ दूं, तुम्हारे शौक पूरे करता रहूं. कर्तव्य एक भी नहीं और अधिकार गिना दिए. यह क्या बात हुई?’’

लड़की ने कहा, ‘‘जो होता ही है वह बता दिया तो क्या गुनाह किया. सच ही तो कहा है, इस में क्या जुर्म हो गया.’’

‘‘यह कोई तरीका है कहने का. यह कहती कि तुम्हारा घर संभालूंगी, बड़ेबूढ़ों का आदर करूंगी, सब का ध्यान रखूंगी तो अच्छा लगता.’’

‘‘ये सब तो आया के काम हैं. बाई है घर पर काम वाली या हमेशा मुझ से ही सब करवाने के चक्कर में हो. धोबिन भी मैं, बरतन, झाड़ूपोंछा वाली भी मैं. पत्नी चाहिए या नौकरानी,’’ लड़का भी उत्तर देने लगा, ‘‘क्या जो पत्नियां अपने घर का काम करती हैं वे नौकरानी होती हैं?’’

‘‘अरे, आप तो नाराज हो गए,’’ लड़की ने अपनी हंसी दबाते हुए कहा. सरकारी नौकरी में हो, ऊपरी कमाई तो होगी ही. फिर मेरे पिता दहेज में वाशिंग मशीन तो देंगे ही, कपड़े धुलाई का काम आसान हो जाएगा. मैं तो कुछ बातें पहले से ही स्पष्ट कर रही हूं जैसे मुझे 3-4 सीरियल देखने का शौक है और उन्हें मैं कभी मिस नहीं करती. अब ऐसे में कोई काम बताए तो मैं तो टस से मस नहीं होने वाली, अपने दहेज के टीवी पर देखूंगी. चिंता मत करना. किसी और के मनपसंद सीरियल के बीच में नहीं घुसूंगी.

लड़के के चेहरे के बदलते रंग को देख कर लड़की ने कहा, ‘‘आप को बुरा तो लग रहा होगा, लेकिन ये सब नौर्मल बातें हैं जो हर घर में होती हैं. मेरी ईमानदारी और साफगोई पर आप को खुश होना चाहिए और आप हैं कि नाराज दिख रहे हैं.’’

‘‘नहीं, मैं नाराज नहीं हूं मुझे कुछ कहना है,’’ लड़के ने कहा.

‘‘हां, मुझे गोलगप्पे, चाट, पकोड़ी खाने का बड़ा शौक है, कम से कम हफ्ते में एक बार तो ले ही जाना होगा.’’

लड़की बोले जा रही थी, बोले जा रही थी. बेवकूफ थी, कमअक्ल थी. समझ नहीं आ रहा था लड़के को.

लड़की ने फिर पूछा, ‘‘सुनो, तुम शराब, सिगरेट तो नहीं पीते. तंबाकू तो नहीं खाते.’’

‘‘जी…जी…’’ लड़के की जबान फिर लड़खड़ाई.

‘‘जी…जी, क्या हां या नहीं,’’ लड़की ने थोड़े तेज स्वर में पूछा.

अब आप ने इतना सच बोला है तो मैं भी क्यों झूठ बोलूं. कभीकभी दोस्तों के साथ पार्टी वगैरा में.

‘‘देखो, मुझे शराब और सिगरेट से सख्त नफरत है. इस की बदबू से जी मिचलाने लगता है. तंबाकू खा कर बारबार थूकने वालों से तो मुझे घिन आती है. सब छोड़ना होगा. पहले सोच लो. तुम्हारे मातापिता को ये सब पहले बताना चाहिए था, वे तो कह रहे थे कि लड़का बड़ा शरीफ और सज्जन है. झूठ बोलने की क्या जरूरत थी?’’

‘‘आप मेरे मातापिता को अभी से झूठा कह रही हैं,’’ लड़के ने गुस्से में कहा. आप में शर्म नाम की कोई चीज ही नहीं है. लड़की भी गुस्से में बोली, ‘‘शराबीकबाबी, तुम झूठे और तुम्हारे मांबाप भी. शर्म तुम्हें आनी चाहिए कि मुझे. तगड़ा दहेज भी चाहिए. लड़की भी ऐसी चाहिए कि तुम कुछ भी करो. लड़की मुंह बंद कर के रहे. कल शराब पी कर हाथ भी उठाओगे. फिर सुबह माफी मांगोगे कि नशे में हो गया. ये सब मैं सहने वाली नहीं. सीधा रिपोर्ट करूंगी. सब के सब अंदर हो जाओगे. नए जमाने की पढ़ीलिखी लड़की हूं. अपने राइट्स जानती हूं.’’

इस से ज्यादा सुनना लड़के के बस में नहीं था. वह गुस्से से बाहर निकल आया. मांबाप कुछ समझतेपूछते कि उस ने कहा, ‘‘यह शादी नहीं हो सकती. फौरन वापस चलिए,’’ लड़का गाड़ी में बैठ गया.

‘‘क्या हुआ? क्या हुआ?’’ कहते हुए लड़की के परिवार वाले दौड़े.

लड़के ने कहा, ‘‘अपनी लड़की से पूछ लेना.’’

लड़का अपने परिवार के साथ गाड़ी में बैठ कर उड़नछू हो गया.

‘‘अरे, अभागिन, क्या कह दिया तूने,’’ लड़की की मां ने गुस्से से लड़की से कहा. इतना अच्छा रिश्ता हाथ से निकल गया. जन्मपत्री भी मिल रही थी. सरकारी नौकरी वाला लड़का मिलता कहां है आजकल.

लड़की ने अपने बचाव में कह दिया लागलपेट कर, ‘‘अरे मां, अच्छा हुआ, बात करवा दी आप ने. लड़का एक नंबर का शराबीकबाबी है. किसी लड़की से अफेयर की बात भी कह रहा था और भी न जाने क्याक्या बताया मां उस ने.’’

लड़की के मांबाप ने मान भी लिया. जब अपनी ही लड़की बताए तो मांबाप विश्वास क्यों नहीं करेंगे. फिर कौन सी लड़की होगी जो अपनी शादी अपने हाथ से तोड़ कर अपना भविष्य बरबाद करेगी.

रात को लड़की ने अपने कमरे में जा कर मोबाइल लगाया.

‘‘हाय, जानेमन कैसे हो?’’

‘‘क्या हुआ?’’

‘‘होना क्या था. उलटे पांव भगा दिया साले को.’’

‘‘वैरी गुड डार्लिंग, लेकिन अब आगे?’’

‘‘आगे क्या? प्यार करते हो तो आ कर बात करो मेरे मांबाप से.’’

‘‘नहीं माने तो.’’

‘‘नहीं माने तो हमें कौन सा लैलामजनूं बन कर भटकना है. कोर्ट मैरिज कर लेंगे.’’

‘‘लेकिन उस में 1 महीना लगता है. उस के पहले कोई और आ गया तो.’’

‘‘तो ठीक है यार, मंदिर में कर लेंगे.’’

‘‘लेकिन यह बताओ, आखिर तुम ने कहा क्या उस लड़के से जो वह भाग गया.’’

‘‘सच कहा, केवल सच.’’

‘‘सच सुन कर भाग गया.’’

‘‘अरे, आजकल सच बरदाश्त कौन करता है.’’

‘‘और तुम्हारा सच बरदाश्त कर लेता तो.’’

‘‘तो कर लेती.’’

‘‘क्या…क्या…कहा?’’

‘‘हां, कर लेती यार, आजकल सच्चा आदमी मिलता कहां है?’’

‘‘और मेरा क्या होता?’’

‘‘तुम कौन से देवदास बने घूमते. ढूंढ़ लेते कोई और.’’

‘‘बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करतेकरते हम सचमुच कितने प्रैक्टिकल हो गए हैं. दिल तो जैसे है ही नहीं. न आत्मा, न मन, न जमीन, बस मुनाफा मोटी तनख्वाह, कितनी बेशर्म और बेहया हो गई है हमारी सोच. बिलकुल मशीन हो गए हैं हम लोग,’’ उधर से पे्रमी का दार्शनिक स्वर सुनाई दिया.

लड़की ने कहा, ‘‘ओए, ज्यादा जज्बातजमीर की बातें मत कर. जल्दी से कंपनी का टारगेट पूरा कर. 4 भोलेभाले, भविष्य की चिंता करने वालों को सपने दिखा, कमा, लूट और अपनी जगह पक्की कर.’’

‘‘मान लो, मैं किसी वजह से तुम से शादी न कर सकूं, मना कर दूं किसी मजबूरी के कारण या कोई और पसंद आ जाए, तब क्या होगा तुम्हारा,’’ पे्रमी का स्वर गंभीर था.

‘‘तो क्या होगा कुछ नहीं, मुझे पुरानी फिल्मों की मीनाकुमारी समझ रखा है क्या? तुम नहीं तो और सही, नहीं तो…’’

‘‘अच्छा, ठीक है. अब यह बकवास बंद कर. रात बहुत हो गई है. आई लव यू बोल और फोन रख,’’ लड़का हंसते हुए बोला.

‘‘ओ के कल मिलते हैं.’’

‘‘ओ के, बाय गुडनाइट.’’

‘‘बाय, स्वीट ड्रीम्स’’

‘‘और दोनों तरफ से मोबाइल बंद हो गया.’’

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