देवेंद्रराज सुथार  

चाइनीज मांझे से  कटती जिंदगी  की डोर  पूरे देश में चाइनीज मांझे पर बैन है, लेकिन आज भी चाइनीज मांझे की खुलेआम बिक्री हो रही है, जिस के चलते आएदिन हादसे हो रहे हैं.  एक मामला दिल्ली के शाहदरा इलाके से सामने आया है, जहां के 46 साल के विजय शर्मा खेड़ा गांव में रहते हैं. वे नंद नगरी की तरफ जा रहे थे. 212 बसस्टैंड के पास चाइनीज मांझा उन के स्कूटर  चला रहे दोस्त के आगे आया, तो उन्होंने हाथ से पीछे की तरफ कर दिया.  वह मांझा विजय के चेहरे को काटता चला गया. इस से उन की भौंहें, पलकें और नाक बुरी तरह से जख्मी हो गईं.   जीटीबी अस्पताल और दयानंद अस्पताल के डाक्टरों ने पलक पर टांके लगाने में दिक्कत बताई, तो प्राइवेट नर्सिंगहोम में इलाज करवाया. उन के चेहरे पर 23 टांके आए.

34 साल के राधेश्याम दिल्ली के जगतपुरी ऐक्सटैंशन में रहते हैं. 5 जून, 2021 की शाम दुर्गापुरी से आते समय नत्थू कालोनी फ्लाईओवर पर पहुंचे. अचानक ही उन के आगे चाइनीज मांझा आ गया, जिस से उन की गरदन पर  कट लग गया. उन्होंने तुरंत अपनी मोटरसाइकिल रोक दी और खुद को मांझे से अलग किया. उन के गले का घाव पूरी तरह से भरा नहीं है.

33 साल की गीतांजलि आईएसबीटी की तरफ से स्कूटर पर अपने मायके दिलशाद गार्डन जा रही थीं. वे मार्शल आर्ट की इंटरनैशनल खिलाड़ी हैं और कोचिंग भी करती हैं. जब वे वैलकम फ्लाईओवर से नीचे उतर रही थीं, तो अचानक मांझा उन के आगे आ गया.  उन्होंने तुरंत स्कूटर में ब्रेक लगाए और गरदन को साइड करने की कोशिश की, इसलिए उन की गरदन को साइड की तरफ से मांझा चीरता चला गया. वे 10 दिन तक घर से बाहर नहीं निकल सकीं.

38 साल के वहीद दिल्ली के ब्रह्मपुरी इलाके की गली नंबर 21 में रहते हैं. शास्त्री पार्क फ्लाईओवर पर उन के गले में मांझा उलझ गया. गले में कट लगने से जलन होने लगी, तो उन्होंने हाथ से हटाने की कोशिश की.  मांझे से उन की उंगली भी कट गई. जख्मी हालत में उन्हें जगप्रवेश चंद्र अस्पताल ले जाया गया, जहां उन की उंगली में 3 टांके आए. चांदनी चौक का चैरिटी बर्ड्स अस्पताल दिल्ली का एकलौता ऐसा अस्पताल है, जहां हर नस्ल के पक्षी  का मुफ्त इलाज किया जाता है. इस अस्पताल में रोजाना तकरीबन 70 से  80 पक्षियों को इलाज के लिए लाया जाता है. दिल्ली के खुले आसमान में उड़ रहे इन परिंदों पर चाइनीज मांझा  कहर बन कर टूट जाता है.  पिछले साल 13, 14 और 15 अगस्त के इन 3 दिनों में चाइनीज मांझे की चपेट में आने से तकरीबन 550 पक्षी घायल हो गए, जिन्हें इस अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था.  सब से चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि इन 3 दिनों में तकरीबन 200 पक्षियों की चाइनीज मांझे की चपेट में आने से मौत हो गई, जिन में तोता, मैना, कबूतर, चील और दूसरे पक्षी शामिल हैं.  ज्यादातर मामलों में इन बेजबान पक्षियों की गरदन और पंख मांझे की चपेट में आए. सैकड़ों ऐसे पक्षी भी हैं, जो अब कभी खुले आसमान में उड़ नहीं पाएंगे. प्लास्टिक की डोर में पक्षियों के पंख उलझ जाते हैं और वे इस डोर को काट नहीं पाते, जिस के चलते उन की जान चली जाती है.

नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जुलाई, 2017 में खतरनाक चीनी मांझे की बिक्री पर पूरे देश में बैन लगा दिया था. पीपल्स फोर एथिकल ट्रीटमैंट औफ एनिमल यानी ‘पीटा’ की अर्जी पर यह आदेश आया था. इस में कहा गया था कि पतंग उड़ाना देश की परंपरा रही है, लेकिन खतरनाक चीनी मांझे से पशुपक्षी और लोग बुरी तरह जख्मी हो जाते हैं. मांझा बनाने वाली कंपनियां सुप्रीम कोर्ट गईं, जिन्हें वहां से राहत नहीं मिली. चाइनीज मांझा, जिसे कुछ लोग ‘प्लास्टिक मांझा’ भी कहते हैं, में कुल  5 तरह के कैमिकल और दूसरी धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है. इन में सीसा, वजरम नामक औद्योगिक गोंद, मैदा फ्लौर, एल्युमीनियम औक्साइड और जिरकोनिया औक्साइड का इस्तेमाल होता है. इन सभी चीजों को मिला कर कांच के महीन टुकड़ों से रगड़ कर तेज धार वाला चाइनीज मांझा तैयार किया जाता है. सामान्य मांझे की अपेक्षा चाइनीज मांझा सस्ता होने से इस की बिक्री तेजी से होती है. यह मजबूत तो होता ही है, इस में धार भी काफी होती है. इस की डिमांड ज्यादा होती है.

चीनी मांझे की 6 रील की एक चरखी (एक रील में तकरीबन 1,000 मीटर होता है) 500 रुपए की आती है. देशी मांझे की 6 रील की चरखी 1,500 रुपए तक की आती है.  चाइनीज मांझे पर दुकानदारों का मार्जिन ज्यादा है, इसलिए वे इसे चोरीछिपे बेच रहे हैं. जरूरत है कि प्रशासन चाइनीज मांझे की हो रही गैरकानूनी बिक्री को ले कर अपनी कार्यवाही तेज करे. ऐसे दुकानदारों पर तुरंत शिकंजा कसे, जो नियमों की सीमा लांघ कर गैरकानूनी तौर पर चाइनीज मांझे का कारोबार  करते हैं.  पतंगबाजी सामूहिक रूप से किसी खुले मैदान में एक निश्चित समय  सीमा में हो, ताकि इन पक्षियों की हंसतीखिलखिलाती दुनिया सलामत रह सके और इनसान जख्मी होने व अपनी जान से हाथ धोने से बच सकें.

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