सौजन्य- मनोहर कहानियां

विज्ञान और तकनीक के जमाने में बांझ औरत की कोख से बच्चे का पैदा होना कोई अजूबा नहीं रहा. लेकिन 70 साल की औरत द्वारा बच्चे को जन्म देना विज्ञान जगत के लिए भी किसी अचंभे से कम नहीं होगा. ऐसी अचरज भरी एक घटना गुजरात की है, जहां झुर्रियों से भरी चेहरे वाली औरत ने मां बन कर दुनिया की सब से अधिक उम्र में बच्चा जन्म देने वाली औरत का दरजा भी हासिल कर लिया.

जीवुबेन ने पड़ोस में रहने वाली मीराबेन को कराहते हुए आवाज लगाई. उन की आवाज सुनते ही

मीराबेन भागती हुई उन के पास आ कर बोली, ‘‘हां दादी, कोई बात है… कुछ चाहिए क्या?’’

‘‘अरे हां, बहुत दर्द हो रहा बेटा, दर्द वाली दवाई दे दो, वहां ताखे पर रखी होगी,’’ बिछावन पर लेटी जीवुबेन  बोली.

‘‘लेकिन दादी, आप को दर्द की ज्यादा दवा लेने से डाक्टर ने मना किया है. थोड़ा बरदाश्त कर लिया करो… देखो तो तुम्हारा बेटा भी मेरी बात सुन रहा है… कैसा मुसकरा रहा है…’’ मीरा समझाती हुई बोली.

‘‘अभी तक मैं तुम्हारी ही तो बात मानती आई हूं और आगे भी मान… ना… ओह! आह!!’’ जीवुबेन बोलतेबोलते कराह उठी.

‘‘ये दर्द उस दर्द के सामने कुछ भी नहीं है दादी, जो तुम 40 से अधिक सालों से बरदाश्त किए हुए थीं,’’ मीरा बोली.

‘‘तुम तो मेरी भी अम्मादादी बन रही हो. वैसे कह सही रही हो… बेऔलाद होने का दर्द कहीं अधिक बड़ा और तकलीफ देने वाला था. मगर क्या करूं, बरदाश्त नहीं हो रहा है…’’ कहती हुई जीवु करवट बदलने की कोशिश करने लगीं.

मीरा ने उन्हें सहारा दे कर उन का मुंह बगल में लेटे बच्चे की ओर कर दिया.

‘‘लो, अब बेटे को देखती रहो. सारा दर्द छूमंतर हो जाएगा.’’ कहती हुई मीरा भी सिरहाने बैठ बगल में लेटे नवजात शिशु को पुचकारने लगी.

2 दिन पहले ही जीवुबेन का सीजेरियन औपरेशन हुआ था. घर में 45 साल बाद किलकारी गूंजी थी. उन का औपरेशन परिवार के सभी सदस्यों से ले कर डाक्टर तक के लिए खास था, कारण उन की उम्र 70 साल की थी.

इस औपरेशन की सफलता से सभी खुश थे. जच्चाबच्चा दोनों सुरक्षित और स्वस्थ थे. केवल औपरेशन के जख्म हरे होने के कारण जीवुबेन को थोड़ी तकलीफ थी. सब के लिए किसी अचंभे से कम नहीं था उन का औपेरशन.

डाक्टर ने बताया था कि अधिक उम्र में औपरेशन होने से उन का जख्म भरने में समय लग सकता है. डाक्टर ने दूसरी एंटीबायोटिक दवाओं के साथसाथ दर्द की दवा भी दी थी, लेकिन दर्द की दवा ज्यादा खाने से मना करते हुए हिदायत भी दी थी. कहा था कि असनीय या तेज दर्द हो तभी वह दवा खाएं, वरना उस का असर सीधे किडनी पर पड़ेगा.

थोड़ी देर बैठने के बाद मीरा वहां से जाने को उठी, तभी जीवु के पति मालधारी आ गए. मीरा सिर पर दुपट्टा संभालती हुई बोली, ‘‘नमस्ते दादाजी.’’

‘‘कैसी है रे तू?’’ मालधारी मीरा से बोले.

‘‘अच्छी हूं, दादाजी. आप अब तो खुश हैं न?’’ मीरा बोली.

‘‘तू खुश रहने की बात बोल रही है, मैं तो इतना खुश हूं कि तुझे बता नहीं सकता… और बेटा तूने जो औलाद की मुराद पूरी करवाई है वह कभी नहीं भूलने वाला उपकार है.’’ बोलतेबोलते मालधारी भावुक हो गए.

‘‘उपकार किस बात का दादाजी, सब ऊपर वाले की मरजी से हुआ है.’’ मीरा बोली.

‘‘कुछ भी कह लो, लेकिन मेरे घर आई औलाद की खुशी बेटा तेरी ही बदौलत मिली है. जो मैं 75 साल की उम्र में बाप बन गया हूं… और देखो जीवु मुझ से कुछ ही साल तो छोटी है…‘‘ मालधारी ने कहा.

‘‘बस दादाजी, बस. मेरी तारीफ और मत करो…’’ मीरा बोली.

‘‘अरे, मैं तेरी तारीफ नहीं कर रहा हूं बल्कि मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि तू ठहरी निपट अनपढ़ औरत, फिर भी इतनी गहरी बात की जानकारी तुझे मिली कैसे? मैं तो वही सोचसोच कर अचरज में हूं.’’ मालधारी काफी दिनों तक मन में दबी जिज्ञासा को और नहीं रोक पाए.

‘‘अच्छा तो यह बात है. चलो, मैं आज बता ही देती हूं दादादी… मैं जब 2 साल पहले सूरत में काम करने गई थी, तब मुझे एक नर्सिंगहोम में काम मिला था. वहां केवल बच्चा जन्म देने वाली औरतों को ही रखा जाता था. मुझे उन की देखभाल करने की नौकरी मिली थी. वहां और भी कई नर्सें और दाई काम करती थीं. भरती औरतों को समय पर दवाइयां खिलानी होती थी, खानेपीने की देखभाल करनी थी और उन्हें घुमानेफिराने के लिए ले जाना होता था…’’

‘‘तुम भी तो वहां गए थे.’’ बीच में जीवु बोली.

‘‘लगता है, अब दर्द कम हो गया है,’’ मीरा मुसकराती हुई बोली.

‘‘हां, तुम्हारी कहानी सुन कर दर्द चला गया,’’ जीवु गहरी सांस लेती हुई बोली.

‘‘…लेकिन तुम्हें टेस्टट्यूब के बारे में किस ने बताया?’’ मालधारी ने पूछा.

‘‘अरे तुम क्या समझोगे, मैं बताती हूं न सब कि कितने तरह की जांच हुई मेरी. वैसे तुम को भी तो डाक्टर ने बताया ही होगा. तुम्हारी भी तो डाक्टर ने जांच की थी,’’ जीवु बोली.

‘‘मेरी जांच का तो कुछ पता ही नहीं चला. डाक्टर ने सिर्फ बोला कि देखता हूं… अभी कुछ कह नहीं सकता.’’ मालधारी बोले.

‘‘मैं जब मीरा के पास 2 साल पहले गई थी, तब मीरा मुझे एक दिन जहां काम करती थी अपने साथ ले गई थी. वहीं भरती औरतों से मालूम हुआ कि उस के पेट में पलने वाला बच्चा उन का है, जो खुद मांबाप नहीं बन सकते थे. उसे पालने के बदले में पैसे मिले हैं.’’ जीवु बोली.

‘‘उस से क्या हुआ?’’ मालधारी ने पूछा.

‘‘हुआ यह कि जब एक दफा उन को देखने डाक्टर आए तब उन से मीरा ने पूछ लिया कि डाक्टर साहब मेरी दादी ‘मां’ नहीं बन सकती? डाक्टर साहब मुझे देख कर मुसकराए.’’ जीवु बोली.

‘‘..और दादाजी?’’ डाक्टर साहब के मुसकराने का अर्थ मैं समझ गई थी. अगले रोज ही उन के चैंबर में दादी को ले कर चली गई थी. दादी से उन्होंने बहुत देर तक बात की. अब रहने भी दो न दादाजी, वह सब पुरानी बातें हो गईं.’’ मीरा बोली.

‘‘अरे नहीं मीरा, कैसे रहने दूं उन बातों को, जिस से मेरी इस उम्र में औलाद की मुराद पूरी हुई. इस उम्र में कोई बाप बनता है भला! …और इस उम्र में कोई आज तक किसी औरत ने बच्चे को जन्म दिया है क्या? मैं तो अब उस बारे में सब को बताना चाहता हूं… क्या कहते हैं उसे आईवीएफ. उस इलाज के बारे में उन्हें समझाना चाहता हूं, जो बच्चा जन्म के लिए औरत को ही दोषी ठहराते हैं.’’

दरअसल, गुजरात के कच्छ इलाके में रापर तालुका स्थित एक छोटे से गांव मोरा की रहने वाली जीवुबेन रबारी ने सितंबर, 2021 में शादी के 45 साल बाद आईवीएफ तकनीक की बदौलत एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था.

उस के पति मालधारी को पिता बनने का सौभाग्य तब मिला, जब वह 75 साल के हो गए. इस कारण दोनों मीडिया में चर्चा का विषय बन गए.

बच्चे के जन्म के बाद परिवार और रिश्तेदारों में खुशी की लहर दौड़ गई. बच्चा सीजेरियन से हुआ था. उन को यह उपलब्धि आईवीएफ तकनीक के विशेषज्ञ डा. नरेश भानुशाली की देखरेख से मिली, जो सभी के लिए अचंभे से भरी हुई थी. जिस ने भी सुना, सभी जीवुबेन और मालधारी से मिलने को बेचैन हो गए.

जीवुबेन ने जब इस बारे में डा. नरेश भानुशाली से संपर्क किया था, तब उन्होंने अधिक उम्र में मां बनने की मुश्किलों को ले कर सचेत किया था. डा. भानुशाली ने एक तरह से दंपति को शुरू में तो साफतौर पर पर कहा था कि उम्र अधिक होने के कारण बच्चे को जन्म देना मुश्किल होगा, लेकिन वृद्ध दंपति ने डाक्टर पर विश्वास जताते हुए अपनी मजबूत इच्छाशक्ति का हवाला दिया था. यही वजह रही कि प्रजनन का असंभव और कठिन काम संभव बन गया. यह घटना चिकित्सा जगत के लिए भी किसी चमत्कार से

कम नहीं थी. ऐसा कर जीवुबेन और मालधारी ने दुनिया भर में एक मिसाल पेश कर दी.

इसे ले कर ही मीडिया ने जीवुबेन द्वारा दुनिया में सब से अधिक उम्र में मां बनने का दावा किया.

जीवुबेन विवाह के कई सालों तक गर्भवती नहीं हो पाई थीं. उन के द्वारा की गई तमाम कोशिशें बेकार गई थीं. कई डाक्टरी इलाज भी चले थे और पतिपत्नी देवीदेवताओं के पूजापाठ से ले कर धार्मिक स्थलों की कठिन से कठिन यात्राएं तक कर चुके थे. फिर भी असफलता ही हाथ लगी थी.

नतीजा यह था कि उन्हें संतान नहीं होने का दंश सताता रहता था. उन्हें जरा सी भी उम्मीद की किरण दिखती थी, वे उस ओर दौड़ पड़ते थे. उस के उपायों और प्रयासों को आजमाने में कोई भी लापरवाही नहीं बरतते थे. एक बार उन्होंने बच्चा गोद लेने की भी सोची थी, जो उन्हें सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर अच्छा नहीं लगा.

इसी तरह से समय गुजरता गया. एक दिन उन की एक रिश्तेदार मीराबेन के माध्यम से आईवीएफ तकनीक के जरिए से नई उम्मीद जागी थी. इस बारे में उन्हें पहली बार जानकारी मिली थी.

जीवुबेन और मालधारी ने टेस्टट्यूब बच्चा और किराए की कोख के बारे में सुन तो रखा था, लेकिन उस बारे में बहुत अधिक नहीं जानते थे. मीरा की बदौलत वे डा. नरेश भानुशाली के संपर्क में आए. वह आईवीएफ तकनीक से गर्भधारण करवाने और बच्चा प्रसव के स्त्रीरोग विशेषज्ञ थे.

जीवु ने जब डा. भानुशाली को अपनी इच्छा जताई, तब वह भी सोच में पड़ गए. पहली बार में ही उन्होंने कहा कि उन की उम्र काफी अधिक हो गई है. ऐसा कहते हुए उन्होंने एक तरह से सीधेसीधे मना ही कर दिया था. समझाया था कि ज्यादा से ज्यादा 50-55 साल की माहिलाएं मेनोपाज के कारण आईवीएफ अर्थात इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक की मदद से गर्भधारण कर सकती हैं, लेकिन उन की उम्र 70 साल के करीब हो चुकी है. इस उम्र में इस की संभावना नहीं के बराबर रहती है.

डाक्टर द्वारा इनकार करने के बावजूद दंपति ने एक बार जांच करने का जोर दिया. दंपति के कहने पर डाक्टर ने चुनौतीपूर्ण काम के लिए तैयारी शुरू की. मालधारी जांच में स्वस्थ पाए गए. उन के स्पर्म की भी जांच हुई.

महत्त्वपूर्ण जांच जीवुबेन की होनी थी, कारण बच्चा उन्हें जन्म देना था, या फिर उन्हें किसी किराए की कोख का इंतजाम करना था. दंपति चाहते थे कि बच्चे का जन्म भी जीवुबेन की कोख से ही हो, ताकि उन के पीछे बच्चे को किसी तरह की सामाजिक या पारिवारिक उपेक्षा का दंश नहीं झेलना पड़े.

डाक्टर ने जीवुबेन की डाक्टरी जांच शुरू की. उन्होंने पाया कि शरीर के भीतरी अंग सही तरह से काम कर रहे हैं. उन में कोई कमी नहीं है सिर्फ उम्र के अनुसार उन की कोख काफी सिकुड़ चुकी है.

पहले उसे दुरुस्त करने के लिए दवाई खिलाई गईं. उसी के साथ मासिक चक्र को नियमित करने के लिए भी दवाइयां दी गईं. कुछ समय में ही उन का सिकुड़ा हुआ गर्भाशय चौड़ा हो गया. उस के बाद उन के अंडों को निषेचित कर प्रजनन की जगह बना दी गई, फिर उस में उन के पति के अलग से निकाल कर रखे गए स्पर्म को डाला गया.

इस तरह से पूरी हुई गर्भधारण की प्रक्रिया के नतीजे अच्छे आने पर डाक्टर आश्वस्त हो गए.

गर्भावस्था के 8 महीने बाद डाक्टरों से जीवुबेन का सी-सेक्शन किया, जिस से उन को पहली संतान की प्राप्ति हुई.

इस सफलता पर डा. भानुशाली ने हर्ष जताते हुए बताया कि इस में जितना योगदान उन का है, उतना ही जीवुबेन का भी है, उन की हिम्मत और नीयत काम कर गई और एकदो नहीं, पूरे 45 साल के इंतजार के बाद 70 साल की उम्र में उन की सूनी गोद भर गई.

बाझ औरत भी बन सकती है आईवीएफ तकनीक से मां

संतानहीनों के लिए वरदान साबित हुआ आईवीएफ तकनीक का चिकित्सा जगत में पूरा वैज्ञानिक नाम इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहा जाता है. इस तकनीक की मदद से पुरुष के शुक्राणु यानी स्पर्म और महिला के अंडाणु को लैब में मिला कर उसे ऐसी महिला के गर्भाशय में डाला जाता है, जो मां बनना चाहती है.

इस प्रक्रिया को अपनाने के लिए गहन चिकित्सीय सलाह की जरूरत होती है तथा इस का फायदा 5 तरह की शिकायत वालों मिल सकता है. जैसे— किसी महिला की फैलोपियन ट्यूब में ब्लौकेज हो जाना. पुरुष बांझपन यानी स्पर्म की संख्या में कमी का आना. किसी जेनेटिक बीमारी से ग्रसित होना. इनफर्टिलिटी का सही कारण का पता नहीं चलना या फिर महिला को हारमोंस विकार की समस्या से पीसीओएस की समस्या की शिकायत रहना.

इस तकनीक की सफलता भी 5 चरणों में पूरी होती है. जैसे पहले चरण में औरत के कोख को दुरुस्त किया जाता है. यह काम दवाइयों के अलावा माइनर औपरेशन से कर लिया जाता है.

दूसरे चरण में अंडे की पर्याप्त मात्रा को गर्भाशय में डाला जाता है. उस के बाद तीसरे चरण की प्रक्रिया में अंडे के साथ स्पर्म को लैब में अलग से मिला कर फर्टिलाइज करवाया जाता है. उस के बाद बच्चे की चाह रखने वाली महिला के गर्भ में डाल दिया जाता है.

कई बार इसे किसी दूसरी महिला के गर्भ में डाल कर गर्भधारण की प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है. कुछ समय बाद अंतिम चरण के अनुसार महिला के गर्भावस्था की जांच की होती है.

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