21 अप्रैल, 2017 को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के थाना मिसरोद के थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह कुशवाह गश्त से लौट कर क्वार्टर पर जाने की तैयारी कर रहे थे कि 35-36 साल का एक आदमी उन के सामने आ खड़ा हुआ. उस के सीने से खून रिस रहा था.

ऐसा लग रह था, जैसे उसे चाकू मारे गए हों, पर ठीक से लगे न हों. वहां गहरे घाव के बजाय गहरे खरोंच के निशान थे. उसे देख कर राजबहादुर सिंह को यह आपसी मारपीट का मामला लगा.

उस व्यक्ति ने अपना नाम सौदान सिंह कौरव बताया था. राजबहादुर सिंह ने थाने आने की वजह पूछी तो उस ने कहा, ‘‘साहब, मैं कौशलनगर के पास रहता हूं. आज रात 3 बजे 4 लोग मेरे घर में घुस आए और मेरी पत्नी मंगला से जबरदस्ती करने लगे. मैं ने और मेरी पत्नी ने विरोध किया तो उन्होंने हम दोनों की बुरी तरह से पिटाई कर दी. उस मारपीट में मेरी पत्नी को अधिक चोट लगी, जिस से वह बेहोश हो गई है.’’

घायल मंगला की मौत हो सकती थी, इसलिए थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह ने तुरंत एसआई राजकुमार दांगी को कौशलनगर भेजा. वहां पहुंच कर पता चला कि मकान की दूसरी मंजिल पर सौदान सिंह पत्नी मंगला और 2 बच्चों के साथ रहता था. राजकुमार कमरे पर पहुंचे तो देखा सामने पलंग पर मंगला लेटी थी. उन्होंने उसे नजदीक से देखा तो लगा वह मर चुकी है.

उन्होंने इधरउधर देखा तो कमरे की स्थिति देख कर कहीं से नहीं लगता था कि वहां किसी तरह का झगड़ा या मारपीट हुई थी. संदेह हुआ तो उन्होंने फोन द्वारा इस बात की जानकारी थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह को दे दी.

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