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हितेश की बातें सुन कर मानसी मन ही मन  झल्ला गई थी, पर कुछ कह न सकी, क्योंकि हितेश ने उसे बिस्तर पर गिरा दिया था और मानसी के कपड़े उतार कर सैक्स में लीन हो गया था.

‘‘ऐसा है हितेश... मु झे अभी काम बाकी है. मु झे इसे निबटाने में समय लग जाएगा,’’ अगले दिन की शाम को मानसी ने फोन कर के हितेश से कहा.

‘‘यानी आज मु झे मेरे लिए खुद ही चाय बनानी पड़ेगी,’’ मुसकराते हुए हितेश ने कहा.

रात के 8 बजे नैतिक मानसी को घर छोड़ने आया, तो मानसी ने उसे अपने फ्लैट में बुला लिया. हितेश और नैतिक अपनी पुरानी यादें ताजा करने लगे थे और दोनों के बीच जम कर हंसी के ठहाके गूंज रहे थे. देर रात तक नैतिक उन दोनों के साथ बातें करता रहा.

कई दिनों तक मानसी को औफिस में देर हो जाती और अकसर नैतिक उसे छोड़ने के लिए आता. मानसी को रोज नैतिक के साथ आता देख कर हितेश के मन में शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा और वह मानसी और नैतिक के बढ़ते हुए रिश्ते से मन ही मन चिढ़ने लगा था.

हितेश को लगने लगा था कि उन दोनों के बीच प्रेम संबंध पनप रहा है, इसलिए उस ने मानसी और नैतिक पर निगाहें रखनी शुरू कर दीं और हितेश मानसी के मोबाइल और ह्वाट्सएप संदेशों की भी जांच बराबर करने लगा.

मानसी आज एक माल में गई थी. वहां मानसी को देख कर एक कोने में खड़े लड़के आपस में कुछ कानाफूसी करने लगे. वे लड़के बारबार मानसी को देखते और फिर अपने मोबाइल की स्क्रीन पर देखते मानो किसी की शक्ल से मानसी की शक्ल मिलाने की कोशिश कर रहे हों. उन की यह हरकत मानसी ने भी नोट की थी, पर उस ने उन लोगों पर ध्यान न देना ही उचित सम झा.

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