जैसे ही सोमवती ने दीनू की चोटों पर सिंकाई करने के लिए गरम फाहा रखा, तो वह दर्द से कराह उठा. कुछ बदमाशों ने उसे लाठियों से पीट कर अधमरा कर दिया था.

दीनू से इतना ही कुसूर हुआ था कि कुछ साल पहले उस ने गांव के महाजन से खेती के लिए कुछ पैसा कर्ज लिया था, लेकिन तय समय बीत जाने के बाद भी कर्ज नहीं उतार सका था.

नतीजतन, धीरेधीरे कर्ज पर सूद की रकम मूल रकम से कई गुना ज्यादा हो गई, जो दीनू की जान के लिए बवाल बन गई.

आज दीनू ने महाजन से सूद की रकम चुकाने का वादा था, लेकिन किसी वजह से वह अपना वादा पूरा न कर सका, इसलिए महाजन ने अपने लठैतों को भेज कर उस की पिटाई कराई थी.

दीनू की पत्नी सोमवती की जवानी उफनती नदी की तरह चढ़ी है. उस की गठीली देह पर जवान मर्दों के साथसाथ बड़ेबूढ़ोें की नजर भी ठहर जाती है.सोमवती का ब्याह दीनू के साथ 5 साल पहले हुआ था, लेकिन उस के अभी तक कोई बच्चा नहीं था.

उसे यह टीस हमेशा सालती रहती थी.महाजन के गुरगे जबतब आते और दीनू पर लाठियां बरसा जाते. यह चिंता सोमवती को अंदर से खाए जा रही थी. वह इस परेशानी से नजात पाना चाहती थी, लेकिन उसे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था.

एक दिन महाजन का मुनीम दीनू के प्रति हमदर्दी का मरहम लगाने उस वक्त सोमवती के पास आया, जब दीनू बैलों का चारा लाने गांव के हाट गया था.मुनीम बोला, ‘‘अकसर महाजन के गुरगे दीनू को बेरहमी से पीट जाते हैं.

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