रात के 2 बजे थे. अचानक सोनी खातून की बेटी शबनम, जो महज 7 साल की थी, की आंख खुली, तो उस ने देखा कि एक कंबल ऊंचा उठा हुआ था और उस में से तरहतरह की आवाजें आ रही थीं.

शबनम ने जब वह कंबल हटाया, तो देखा कि अंदर उस की मां और दूर का मामा इम्तियाज बिना कपड़ों के पड़े थे.

शबनम ने पूछा, ‘‘मां, तुम कपड़े उतार कर इम्तियाज मामा के साथ क्या कर रही हो?’’

सोनी खातून ने शबनम को समझाते हुए कहा, ‘‘बेटी, तेरे मामा के सीने में दर्द हो रहा था, तो मैं मालिश कर रही थी.’’

अगले दिन शबनम ने अपने अब्बा ताहिर को इस घटना के बारे में फोन कर के बता दिया.

ताहिर ने घर आ कर जब सोनी से इस बारे में पूछा, तो उस ने बात को टालते हुए कहा, ‘‘शबनम ने कोई बुरा सपना देखा होगा, इसलिए वह ऐसा बोल रही है.’’

सोनी खातून की यह बात सुन कर ताहिर आगबबूला हो गया और गुस्से में उसे उलटासीधा बोलने लगा, तो सोनी खातून भी गुस्से में आ गई और बोली, ‘‘ठीक है, मुझे तुम्हारे साथ नहीं रहना. मैं इम्तियाज के साथ जा रही हूं.’’

सोनी खातून की यह बात सुन कर ताहिर डर गया. वह अपनी बीवी को बहुत प्यार करता था. उस ने उसे सम?ाते हुए कहा, ‘‘ठीक है, तुम मुझे छोड़ कर मत जाओ. तुम्हारा जो दिल करे, वह करो, पर मुझे और मेरे बच्चों को छोड़ कर मत जाना.’’

अब सोनी खातून को हरी झंडी मिल चुकी थी और वह अपनी मरजी से घर में इम्तियाज के साथ गुलछर्रे उड़ाने लगी.

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