राधा को आज राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया जा रहा था. चारों तरफ तालियों की आवाज से हाल गूंज रहा था. राधा सोच रही थी कि काश, इस समय उस की मां भी साथ होतीं.

राधा का मन यादों का सफर तय करने लगा. राधा की मां कलावती ऊंचे कुल में पैदा हुई थीं. घर में नौकरचाकर काम करते थे. उन्हीं में से एक नौकर था रामू. वह कलावती को स्कूल लेने और छोड़ने जाता था. वह कलावती से 2 साल बड़ा था और थोड़ाबहुत पढ़नालिखना भी जानता था.

वे दोनों साथसाथ बडे़ हो रहे थे और पता ही नहीं चला कि कब उन की दोस्ती प्यार में बदल गई.

कलावती ने 10वीं क्लास पास कर ली थी. उन के घर वालों को इस प्यार का पता चल गया था. रामू को बहुत मारा गया था और नौकरी से भी निकाल दिया था. कलावती की पढ़ाई भी रोक दी थी.

रामू ने कहा भी था, ‘‘मैं अब कलावती से नहीं मिलूंगा, आप लोग उन की पढ़ाई नहीं रोकें,’’ लेकिन कलावती के पिता ने किसी की भी नहीं सुनी और कलावती के लिए लड़का देखना शुरू कर दिया.

कलावती रामू के अलावा किसी से भी शादी नहीं करना चाहती थीं. वे रामू से भी नहीं मिल सकती थीं, क्योंकि उन के घर से बाहर जाने पर रोक लगा दी गई थी.

कलावती ने अपनी सहेली के हाथ रामू को चिट्ठी दी कि ‘तुम मुझे लेने घर आ जाओ और साथ में सिंदूर जरूर लाना. तुम जैसे ही आओगे, तो मैं दौड़ कर तुम्हारे पास आ जाऊंगी. तुम जल्दी से मेरी मांग में सिंदूर भर देना. इस के बाद पिताजी कुछ नहीं कर पाएंगे और हमें माफ कर देंगे, फिर वे हमारी शादी कर देंगे’.

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