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सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड्स 2025
सोशल स्टोरी

पुरस्कार: जिम्मेदारियों का बोझ

विदाई समारोह में साथियों तथा अधिकारियों ने उन्हें फूल- मालाएं पहनाई थीं और कुछ ने उन के प्रति भावभीने उद्गार जाहिर किए थे.

  • Digital Team
  • ,
  • Feb 11, 2022
prurskar
भाग - 1

बह जब वह दफ्तर के लिए तैयार होने कमरे में जाते तो उन का साफ- सुथरा कुरता- पजामा, रूमाल, पर्स, चश्मा, कलम ही नहीं बल्कि पालिश किए जूते भी करीने से रखे मिलते और वह गद्गद हो उठते.

prurskar
भाग - 2

मैं तुम्हें समझाता हूं बेटे. 10 साल पहले की बात है. तुम्हारे पिता दफ्तर जाते हुए कभीकभी मेरे खोखे पर एक कप चाय पीने के लिए रुक जाते थे.

prurskar
भाग - 3

लालाजी ने जब उस युवक से क्षोभ जाहिर किया तो वह लज्जित हो कर बोला, ‘क्या करूं, बाबूजी. साहित्य में एम.ए. कर के भी नौकरी न मिली. घर में मां बिस्तर पर पड़ी मौत से संघर्ष कर रही हैं.

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