भोर के मातापिता की एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी. भैयाभाभी ने भोर की जिम्मेदारी संभाल ली थी. भोर आकाशवाणी में काम करना चाहती थी, पर भैया के बिस्तर पर आ जाने से उस के सपने बिखर गए. ऊपर से भाभी अलग ही चालें चल रही थीं. क्या भोर की जिंदगी में कभी उजाला हो पाया?

मां बाप ने उस का नाम भोर रखा था, पर भोर की जिंदगी में अभी तक  अंधियारा ही छाया हुआ था. आज भोर 20 साल की हो गई थी, पर अपने जन्मदिन की उस के मन में बिलकुल भी खुशी नहीं थी. बारबार उस का मन रोने को कर रहा था, क्योंकि आज से 4 साल पहले जब वह 16 साल की थी, तभी उस के मम्मीपापा एक सड़क हादसे में गुजर गए थे.

मम्मीपापा की मौत के बाद भोर के एकलौते बड़े भाई विपिन ने उस की पढ़ाईलिखाई और पालनपोषण की जिम्मेदारी ले ली थी और तब से आज तक भोर अपने भैयाभाभी के साथ ही रह रही थी.

भोर के भैया विपिन एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे और भाभी नमिता हाउसवाइफ थीं. मम्मीपापा के गुजर जाने के बाद भोर की पढ़ाईलिखाई और पालनपोषण का जिम्मा जब उस के भैयाभाभी ने उठाया, तब पूरे महल्ले में विपिन और नमिता की खूब तारीफ हुई थी.

‘विपिन ने एक बड़े भाई का फर्ज निभाते हुए अपनी छोटी बहन को अपने पास रख लिया है. कितना अच्छा है विपिन. आजकल के जमाने में ऐसे भाईभाभी मिलते ही कहां हैं...’ पूरे महल्ले में ऐसी बातें होने लगी थीं.

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