Hindi Funny Story: शाम हुई और हीरो जैसे कपड़े पहन कर, उन्हीं की तरह बनावसिंगार कर के वह मियां मजनू सड़क पर खड़ा नजर आने लगा.
कुछ दिनों तक मामला केवल नजरें फेंकने तक ही सिमटा रहा. एक दिन दिल पर हाथ रख कर वह आहें भी भरने लगे और फिर अपनी हथेली पर चुम्मा ले कर सुहानी की तरफ उछालने का सिलसिला भी उस ने शुरू कर दिया.
सुहानी उस मजनू की इन हरकतों के एवज में कभीकभी उस के सामने एकाध मुसकान भी फेंक देती थी. मुसकान पा कर तो वह निहाल हो जाता था. ठंडीठंडी आहें भरने लगता और दीवानगी की ढेर सी हरकतें करने लगता.
जब यह सिलसिला चलते हुए बहुत दिन हो गए, तो मुझे सड़क पर गोश्त और रोटी बेचने वाले नसीम भटियारे से कहना पड़ा, ‘‘नसीम चाचा, इन मियां मजनू को समझाओ, नहीं तो मैं बदनाम हो जाऊंगी.’’
नसीम भटियारा हंस कर बोला, ‘‘बेटी, ऐसी बात है, तो मैं कल ही उसे फटकारता हूं. नजारे तो मैं भी रोज ही देखता रहा हूं. मैं ने समझा था कि शायद ताली दोनों हाथ से बज रही है.’’
‘‘नहीं चाचा, भला ऐसे सड़कछाप मजनुओं से मेरा क्या लेनादेना,’’ सुहानी ने कहा.
दूसरे दिन सुहानी ने देखा कि जब उस का आशिक आए और खिड़की की तरफ मुंह कर के ‘दिल तड़प रहा है, आ भी जा…’ गाने पर ऐक्टिंग शुरू की तो नसीम भटियारे ने उसे समझाया, ‘‘जनाब, यह शरीफों का महल्ला है. यहां शरीफ औरतें रहती हैं. आप अपनी ये बेहूदा हरकतें कहीं और जा कर कीजिए.’’
शायद उस हीरो में दिलीप कुमार जाग उठा. वह उसी की तरह धीरे से बोला, ‘‘ऐ मुहब्बत के दुश्मन, तू नहीं जानता कि प्यार करना कोई बुरा काम नहीं है. मैं भी एक शरीफ घराने का लड़का हूं. तुम क्यों विलेन बनते हो? हटो, प्यार के रास्ते से हटो और अपनी गोश्तरोटी बेचो.’’
दूसरे दिन मेरे एक चचेरे भाई ने उसे समझाया, तो उस ने राजेश खन्ना की तरह कहा, ‘‘अरे बेवकूफ, प्यार करना या न करना, न तेरे बस में है, न मेरे बस में. प्यार तो ऊपर वाला कराता है. हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जो उसी के इशारे पर नाचती हैं.’’
सुहानी की गली के उस हीरो ने उस के बाद हर तरह के लोगों को कई सिनेमा हीरो के अंदाज में प्यार को सही बता कर चुप करा दिया और चलता बना.
वैसे, उसे रोकना जरूरी था, क्योंकि तब सुहानी की बदनामी तय लग रही थी. इसीलिए अपने एक अन्य चचेरे भाई से उसे कहना पड़ा. वह थोड़ा अक्खड़ मिजाज का था.
उस ने गली के उस हीरो को समझाते हुए कहा, ‘‘देख बे मजनू की औलाद, यहां मनमोहन नाम का एक लड़का तेरी तरह आशिकी बघारने आता था, हम ने उस की वह धुनाई की थी कि उस का नाम ही लोगों ने मनमोहन ‘घायल’ रख दिया. कल से अगर तू ने इस गली में कदम रखा, तो समझ ले
कि तेरे नाम के आगे भी ‘अधमरा’ या ‘अधकुचला’ लग जाएगा.’’
‘‘प्यार में तो लोग शहीद भी हो जाते हैं,’’ उस ने हंसते हुए कहा था.
सुहानी के उस चचेरे भाई को उस दिन एक जरूरी काम था, इसलिए उस दिन तो वह चला गया, लेकिन दूसरे दिन उस के अपने तकरीबन 20 साथियों के साथ गली के उस हीरो को उस समय घेर लिया, जब वह सुहानी की तरफ चुम्मा उछाल रहा था.
गली का वह हीरो इतनी भीड़ देख कर घबराया नहीं, बल्कि उस ने मुसकरा कर सुहानी की ओर देखा, फिर अपनी कमीज की बांहों को ऊपर की ओर खींचा.
शायद तब उस में धर्मेंद्र जाग उठा था. उस ने अपनी ओर बढ़ रही भीड़ में से एक के जबड़े पर हथौड़ा मार्का घूंसा जड़ दिया.
‘‘वाह…’’ सुहानी के मुंह से अचानक निकला, ‘‘सचमुच, धर्मेंद्री हथौड़ा है.’’
चोट खाने वाले लड़के के 2 दांत हथेली पर निकल आए थे. बेचारा कराह कर एक तरफ गिर पड़ा था. सुहानी को लगा कि ठीक हिंदी फिल्मों की तरह ही अब उस की गली का वह हीरो एकएक की धुनाई कर देगा, लेकिन हुआ उस का उलटा ही.
भीड़ में शायद इंकलाब जाग उठा था. उन सब ने एकएक ही हाथ उस पर चलाया. किसी ने जबड़े पर घूंसा मारा, तो किसी ने पेट पर या पीठ पर, कुछ लोगों ने लातें भी चलाई थीं.
इन सब का फल भी तब हिंदी फिल्मों के फल के उलटा निकला था. बेचारा वह… गली का हीरो सचमुच अधमरा हो गया था. उस की देह पर केवल जांघिया और बनियान ही नजर आ रहे थे.
‘‘यह सब क्या चल रहा है?’’ दारोगाजी ने प्रेमनाथ की तरह पूछा. वे उसी समय अपने एक दीवान और सिपाही के साथ उधर से गुजर रहे थे.
‘‘हुजूर…’’ दीवानजी और सिपाही के चेहरों को देखता हुआ नसीम भटियारा मुकरी की तरह मिमियाया, ‘‘यह रोटीसालन खा कर बिना पैसे दिए भाग रहा था. जब मेरे आदमियों ने इसे रोका, तो इस ने एक के 2 दांत तोड़ दिए. मेरे आदमी ने इसे पकड़ रखा था. बस, इतनी सी बात है हुजूर.’’
‘‘क्यों बे लफंगे की औलाद…’’ इस बार दारोगाजी अमरीश पुरी की तरह गुर्राए, ‘‘चोरी, ऊपर से सीनाजोरी,’’ फिर सिपाही की तरफ देख कर उन्होंने कहा, ‘‘इसे गिरफ्तार कर लो.’’
और सचमुच, सुहानी के गली के उस हीरो पर मुकदमा हो गया. गवाहों की क्या कमी थी. फिर उस ने जुर्म तो किया ही था, इसलिए बेचारे को सजा हो गई.
कुछ समय बाद सजा काट कर जब वह एक बार सुहानी की गली में गलती से चला आया, तो बच्चे उस के पीछे दौड़े, ‘अधमराजी… अधमराजी…’
तब वह बेचारा भाग खड़ा हुआ. वह फिर कभी सुहानी की गली में नहीं दिखा. Hindi Funny Story