कम्मो ने जब दोनों हाथ जोड़ कर होंठों पर भीनीभीनी हंसी बिखेरते हुए नमस्कार किया, तो जवाब देने के बजाय मैं उस के जिस्म को अपनी ललचाई आंखों से देखता ही रह गया.
‘‘चाय लीजिए,’’ कह कर वह दरवाजे पर झूलते रेशमी परदे को एक किनारे सरका कर कमरे में चली गई.
मेरे बदन में अजीब सी सिहरन पैदा हो गई. उस की सुरीली, मीठी आवाज सुन कर मेरे कानों में जैसे घंटियां बजने लगीं. चाय खत्म कर के मैखाने से निकले दीवानों की तरह अपने बेकाबू दिल को काबू में रखते हुए और अपनी जिंदगी को कोसते हुए मैं घर की तरफ चल दिया.
मैं ने सोचा, ‘काश, मेरी बीवी भी कम्मो जैसी नाजनखरे वाली चंचल और हसीन होती तो जीने का मजा कुछ और ही होता.’
‘मोहन ने क्लर्क होते हुए भी पहली बीवी को छोड़ कर अपनी मनपसंद लड़की से शादी की है. मैं तो कैशियर होते हुए भी पहली ही बीवी को अपना जीवनसाथी मान कर, समाज के सड़ेगले रिवाजों के दलदल में फंस कर जिंदगी की हकीकत से मुंह मोड़ चुका हूं.’
मेरी बीवी प्रभा को आजकल के फैशन से सख्त नफरत थी. वह थोड़े ही खर्च में अपना काम चला लेती. कहती, ‘‘अमीर बन कर गरीबी के दिनों को बिसारना नहीं चाहिए.’’
‘लेकिन, वक्त के साथ जिस में बदलाव नहीं आया, उस की भी कोई जिंदगी है,’ मैं रास्तेभर यही सोचता रहा.
प्रभा के लिए मेरे दिल में नफरत भर गई थी, इसलिए ठान लिया कि अब नई हसीन बीवी ला कर ही रहूंगा. मैं यह सब सोचसोच कर खुशी से झूमने लगा.