मुन्नी केवल रघु का प्रेम और जिम्मेदारी ही नहीं थी बल्कि एक ऐसा हमसफर बन चुकी थी जिस के लिए रघु अपनी जान तक देने पर उतारू था. लेकिन, क्या पूरा हो सका रघु के जीवन का यह अधूरा अध्याय?