अखबार में बड़ेबड़े अक्षरों में छपा था, ‘एक टीचर ने नंगा कर के एक लड़का और लड़की की पिटाई की. टीचर और प्रिंसिपल को हटाने की मांग.’

इस खबर से जिला शिक्षा के अफसर हरकत में आ गए और जीप भर कर स्कूल में जा पहुंचे.

सरकारी अफसर के पहुंचते ही गांव भी उमड़ आया. नए टीचर और पुराने हैडमास्टर को अब नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा.

अफसर ने वहां पहुंचते ही दोपहर का खाना चखा. इस में स्कूल को बेदाग पाया गया. इस के बाद असली सवाल आया कि वह कौन टीचर है, जिस ने बच्चों को नंगा कर के मारा? ऊपर से उंगली तक लगाने की मनाही है और उस ने नंगा कर के पीटा.

गांव के सरपंच के साथ पीडि़त बच्चों के मांबाप ने एक दुबलेपतले टीचर की ओर इशारा किया.

वह टीचर हाथ जोड़ कर बोला, ‘‘नंगा करने की बात झूठ है. मैं ने जो देखा, उस के लिए फटकारा.’’

गांव वाले चिल्लाचिल्ला कर बोलने लगे, ‘इन्हें सस्पैंड करो. हमें नहीं चाहिए ऐसे टीचर, जो बच्चों को कुत्तेबिल्ली समझ कर मारते हैं. दोपहर का खाना कच्चापक्का देते हैं. हैडमास्टर बरसों से यहीं जमे हैं. इन्हें भी बदलो.’

शिक्षा अफसर बोले, ‘‘आप लोग चुप रहें. जो कुछ कहना है, लिखित में दे दें. हम लोग इसी मामले की जांच करने के लिए आए हैं.’’

इस के बाद वे हैडमास्टर से बोले, ‘‘आप तो पुराने हैं. तजरबेकार हैं. आप ने इस मामले में क्या किया?’’

हैडमास्टर बोले, ‘‘ये जितने लोग चिल्ला रहे हैं, मैं ने सब को पढ़ाया है. जहां तक इन टीचर महाशय की बात है, तो मैं थोड़े दिनों में इन्हें जान गया हूं. ये बहुत ही मेहनती हैं.

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