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पिछले अंक में आप ने पढ़ा था : एक पुरानी फैक्टरी में किसी नौजवान की लाश मिलती है. उस की हत्या की गई थी. पुलिस को पता चला कि वह नौजवान अतुल्य था, जो अपने बूढ़े मांबाप की एकलौती औलाद था.

पुलिस को इस हत्या का कोई सुराग नहीं मिला, तभी एक लड़की अमृता ने थाने में जा कर बताया कि उस के भाइयों ने ही अतुल्य की हत्या की है, क्योंकि वे एकदूसरे से प्यार करते थे... अब पढि़ए आगे...

इंस्पैक्टर माधव ने उठ कर उसे चुप कराते हुए पानी पीने को दिया, तो वह जरा सामान्य हुई. उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा था कि जिन पिता और भाइयों ने उसे इतना प्यार दिया, उन्होंने ही उस की खुशियों का कत्ल कर दिया.

अपने बहते आंसू पोंछ कर अमृता फिर बताने लगी कि पढ़ाईलिखाई में तो उस का मन कभी लगा ही नहीं. लेकिन अपने प्यार की खातिर उस ने शहर के कालेज में दाखिले की जिद की थी, ताकि अतुल्य के और करीब रह सके.

कई बार अतुल्य ने कहा भी था कि उन का मिलन होना इतना भी आसान नहीं है, क्योंकि वह एक ठाकुर परिवार की बेटी है और वह एक कुम्हार का बेटा. दोनों ही परिवारों के बीच में जमीनआसमान का फर्क है.

लेकिन अमृता का कहना था कि प्यार का कोई धर्मजाति, मजहब नहीं होता. प्यार का तो एक ही जातिधर्म है और वह है प्यार. अब अंजाम चाहे कुछ भी हो, वह पीछे नहीं हटने वाली.

उस दिन कालेज में इम्तिहान का आखिरी परचा देने के बाद वे दोनों अकेले में कुछ समय बिताना चाहते थे. वे तारों से भरी चांदनी रात में दीनदुनिया से बेखबर एकदूसरे में खोए हुए थे. लेकिन कब और कैसे दोनों मर्यादा का बांध तोड़ कर तनमन से एक हो गए, पता ही नहीं चल पाया उन्हें.

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