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उस लड़की ने कंपकंपाते हाथों से पानी का गिलास लिया और एक ही सांस में पूरा गिलास खाली करते हुए बोली, ‘‘वे लोग मेरे पीछे पड़े हैं. वे मु झे भी जान से मार डालना चाहते हैं. लेकिन किसी तरह मैं अपनी जान बचाते हुए यहां तक पहुंची हूं, ताकि पुलिस को सब बता सकूं.’’

‘‘हांहां, मैं सम झ गया. लेकिन तुम डरो मत, क्योंकि अब तुम पुलिस के पास हो.’’

पर, घबराहट के मारे उस लड़की के मुंह से ठीक तरह से आवाज भी नहीं निकल पा रही थी. उस का पूरा शरीर कांप रहा था. चेहरा पीला पड़ गया था. होंठ काले पड़ गए थे. आंखें सूजी हुई थीं.

लड़की को घबराया हुआ देख कर इंस्पैक्टर माधव ने हवलदार को इशारा किया कि दरवाजे पर 2 और बंदूकधारी तैनात कर दो, ताकि इस लड़की का डर थोड़ा कम हो.

जब वह लड़की थोड़ा शांत हुई और लगा कि यहां उस की जान को कोई खतरा नहीं है, तो वह बताने लगी, ‘‘इंस्पैक्टर साहब, मैं अमृता हूं और वे दोनों हत्यारे मेरे भाई हैं. उन्होंने ही मेरे अतुल्य की हत्या...’’ बोल कर वह फूटफूट कर रोने लगी.

इंस्पैक्टर माधव को अमृता की बात से यह तो सम झ में आने ही लगा था कि जरूर यह इश्कमुहब्बत का मामला है, लेकिन वे उस लड़की के मुंह से सारी कहानी सुनना चाहते थे.

अपने आंसू पोंछ कर अमृता बताने लगी कि वह और अतुल्य एकदूसरे से प्यार करते थे और जल्द ही दोनों अपने रिश्ते के बारे में परिवार वालों को बताने ही वाले थे कि यह सब हो गया.

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