हांफते हुए जयप्रकाश ने देवराज के घर की घंटी बजाई. सुबह 6 बजे का समय हो रहा था. आंखें मलते हुए देवराज ने दरवाजा खोला. दरवाजा खुलते ही झट से जयप्रकाश बदहवासी की हालत में घर के अंदर छिपने की जगह ढूंढ़ने लगा.