‘‘कारखाने का हिसाबकिताब तो सही है न?’’ पत्नी ने गंभीरता से पूछा.
‘‘हां, मगर तुम पूछ क्यों रही हो?’’ पति ने पूछा.
‘‘क्योंकि, आज शाम को ही पिताजी आने वाले हैं. भाई और मम्मी की हादसे में मौत के बाद वे किसी बिजनैसमैन से ही मेरी शादी करना चाहते थे, ताकि उन की फैक्टरी ठीक ढंग से चल सके. पर कालेज में मेरी एक भूल के चलते वे तुम जैसे बेरोजगार से मेरी शादी करने को मजबूर हुए.
‘‘पिछली बार भी जब वे आए थे, तो बिजनैस में गिरावट देख कर चिंतित हो गए थे. पैसा भी काफी फालतू के कामों में खर्च किया गया था.’’
‘‘नहींनहीं, इस बार ऐसा कुछ नहीं है. तुम टैंशन मत लो. वैसे भी टैंशन लेने से होने वाले बच्चे पर बुरा असर पड़ता है. डाक्टर ने तुम्हें बैड रैस्ट बोला है.
‘‘चलो, आराम कर लो,’’ पति पत्नी को कुरसी पर से उठने में मदद करता हुआ बोला, ‘‘तुम लेट कर आराम करो. मैं प्रमिला को बोल कर अनार का जूस भिजवा देता हूं.
‘‘अब इस मुसीबत से कैसे छुटकारा पाया जाए?’’ किचन में घुसता हुआ वह आदमी बड़बड़ा रहा था.
‘‘क्या हुआ सरजी?’’ रसोईघर में काम करते हुए नौकरानी प्रमिला ने पूछा.
‘‘अरे, इस काली मोटी भैंस को संभालतेसंभालते तो मैं परेशान हो गया हूं. ऊपर से शाम को इस का बाप भी आ रहा है. मैं तो पागल ही हो जाऊंगा,’’ वह आदमी झुंझलाता हुआ बोला.
‘‘वह सब तो ठीक है सरजी, मुझे भी आज से दूसरा महीना चढ़ गया है. अब बहुत ज्यादा दिनों तक यह बात छिप नहीं पाएगी. यह बात भी मैं पहले ही साफ कर चुकी हूं कि मैं यह बच्चा किसी भी कीमत पर नहीं गिराऊंगी,’’ कहतेकहते प्रमिला की आवाज में धमकीनुमा तेजी आ गई.
‘‘अरे पगली, तुझ जैसी सुंदरी तो बड़े नसीब वालों को ही मिलती है. मैं तो जिंदगीभर तुझे अपने साथ अपनी जान बना कर रखूंगा. इस समय समस्या यह है कि इस भैंस से पीछा कैसे छुड़ाया जाए?’’ वह आदमी धीरे से प्रमिला के कंधे पर हाथ रखता हुआ बोला.
‘‘मैं क्या करूं… यह सब सोचना तुम्हारा काम है,’’ प्रमिला उस आदमी के और नजदीक आते हुए बोली.
‘‘मेरी जान, जो करना है वह तो तुम्हीं को करना है,’’ वह आदमी अपनी आवाज में भरपूर शहद घोलते हुए बोला. ‘‘मतलब…?’’ प्रमिला ने पूछा.
‘‘मतलब यह कि उस भैंस को हमें रास्ते से हटाना ही होगा. बिना इस के तुम इस बंगले की मालकिन नहीं बन सकती…’’ अपनी तरफ से प्रमिला को लालच के सब्जबाग दिखाता हुआ वह आदमी बोला, ‘‘अच्छा बताओ, तुम मेरे प्यार के लिए क्या कर सकती हो?’’
‘‘मैं तो अपनी जान भी दे सकती हूं,’’ प्रमिला बोली.
‘‘जान देनी नहीं, जान लेनी है. अनार के जूस में तुम्हें यह जहर मिलाना होगा,’’ वह आदमी अपनी जेब से रूमाल के बीच रखी एक शीशी निकाल कर प्रमिला की मुट्ठी में बंद करता हुआ बोला.
‘‘अरे, पुलिस का लफड़ा हो गया तो…?’’ प्रमिला ने पूछा.
‘‘इतना पैसा किस काम आएगा. मैं ने पुलिस को पूरी तरह से सैट कर दिया है,’’ वह आदमी बोला. प्रमिला ने मुट्ठी पूरी ताकत से बंद कर ली.
‘‘शाबाश… और सुन, यह हीरे के कंगन तू अपने पास रख. इन्हें पहन कर ही तू मेरी दुलहन बनेगी,’’ वह आदमी बोला, ‘‘अब जल्दी से अनार का जूस दे आ, ताकि उस के बाप के आने से पहले उस का काम तमाम हो जाए.’’
‘‘ठीक है. अभी जूस दे कर आती हूं,’’ प्रमिला बोली.
‘‘गुड गर्ल…’’ वह आदमी गिलास ले कर जाती हुई प्रमिला की पीठ चूमते हुए बोला, ‘‘मैं बाजार से मिठाई व नाश्ता ले कर आता हूं. इस का बाप आने वाला है. दिखावा तो करना ही पड़ेगा न. तेरे लिए कौन सी मिठाई लाऊं?’’
‘‘मुझे तो काजूकतली पसंद है,’’ प्रमिला मुसकराते हुए बोली और जहर मिले हुए जूस का गिलास ले कर देने चली गई.
तकरीबन 3 घंटे बाद वह आदमी लौट आया. तब तक 2-3 खून की उलटियां होने के बाद उस की पत्नी मर चुकी थी.
उस ने अपनी योजना को कामयाब होते देख तुरंत ही बड़े शातिर तरीके से पुलिस को चित कर दिया और शक के तौर पर प्रमिला का नाम लिखवा दिया.
जहर की शीशी पर प्रमिला की उंगलियों के निशान उसे कुसूरवार साबित करने के लिए काफी थे. हीरे के कंगन उस के पास से मिलने के चलते उस पर चोरी करने का आरोप भी साबित हो गया.
एक ही घर में 3 लोगों के अलगअलग चरित्र देख कर अदृश्य कुत्ता हैरान था. एक वह औरत थी, जो अपने प्यार की खातिर दौलत के अंबार को छोड़ कर प्रेमी से शादी करने को तैयार हुई और आखिरी सांस तक उस के प्रति वफादार रही.
दूसरा वह आदमी, जिस की नजर में प्यार मतलब सिर्फ हवस था. उस का मकसद धोखा दे कर दौलत हासिल करना और मिले हुए पैसों से ऐयाशी करना था.
तीसरी प्रमिला, जो अपने फायदे और कभी न मिल पाने वाले सुख की खातिर एक मासूम को मौत के घाट उतारने तक से नहीं चूकी.
कुत्ते को अब अपने कुत्ता होने पर फख्र हो रहा था. कम से कम उन की दुनिया में लालच जैसी कोई बुराई तो नहीं है. स्वामीभक्ति और वफादारी जैसे शब्द उन के नामों के साथ जुड़े हुए हैं.
वह अदृश्य कुत्ता दूसरी जगह के लिए रवाना हो गया. दूसरा वाला बंगला भी बहुत बड़ा था. इस के बाहर लगे कटआउट से लग रहा था कि यह किसी राजनीतिक हस्ती का घर था.
अंदर जा कर उस ने देखा कि वही कटआउट की फोटो वाला आदमी सफेदझक कपड़ों में 10-20 चमचों से घिरा हुआ बैठा था. कुत्ते को याद आया कि यह तो वही शख्स था, जो कुछ महीने पहले गलियों में लोगों के पैरों में गिरगिर कर वोट मांग रहा था. अपने विरोधियों पर भ्रष्ट होने के आरोप लगाते हुए खुद को देश का सब से बड़ा ईमानदार साबित कर रहा था.
‘‘हां तो कितना ऐस्टीमेट बन रहा है इस ब्रिज का?’’ नेताजी ने सामने बैठे सूटबूटधारी से पूछा.
‘‘यह इस इलाके का सब से बिजी ब्रिज रहेगा. इस पर ट्रैफिक लोड भी बहुत ज्यादा रहेगा. हमारी कंपनी इस तरह के ब्रिज बनाने में माहिर है. हमारे हिसाब से इस ब्रिज की लागत 500 करोड़ के आसपास की आएगी,’’ वह कंपनी वाला आदमी बोला.
‘‘इस में हमारा हिस्सा कितना होगा?’’ नेताजी ने पूछा.
‘‘जी, एक फीसदी… मतलब,
5 करोड़,’’ वह आदमी बोला.
‘‘किसी की मैयत में बैठने के लिए आए हो, जो इतनी सी रकम दे रहे हो. इतने की तो शराब ही हो जाती है नेताजी की पार्टी में,’’ एक चमचा बोला.
‘‘देखिए श्रीमानजी…’’ नेताजी गंभीरता से बोले, ‘‘हमें फालतू की बात करने की और भावताव करने की आदत तो है नहीं. हम 20 फीसदी मतलब 100 करौड़ से कम तो लेंगे नहीं.’’
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