Writer- Er. Asha Sharma
कालेज से आते ही निम्मो ने अपना बैग जोर से पटका तो सरला सम झ गई कि जरूर आज फिर कालेज में कुछ ऐसावैसा घटित हुआ है.
‘‘क्या हुआ?’’ सरला ने पूछा.
‘‘अवनि... अवनि... अवनि... पता नहीं यह जिन्न मु झे कब छोड़ेगा,’’ निम्मो गुस्से में बड़बड़ाई.
‘‘लेकिन हुआ क्या है?’’ सरला ने फिर पूछा.
‘‘वही, जो आज तक होता आया है. हमारी तुलना और क्या? मु झे मैम ने ऐनुअल फंक्शन में होने वाले रैंप शो का शो स्टौपर बनने से आउट कर दिया,’’ निम्मो ने बताया.
‘‘अरे, कल तक तो तुम्हीं शो स्टौपर थी, पिछले 10 दिनों से तुम लगातार प्रैक्टिस कर रही हो, तुम्हारी तो कौस्ट्यूम भी फाइनल हो चुकी थी फिर अचानक ऐसा क्या हुआ?’’ सरला ने आश्चर्य से पूछा.
‘‘आज जब फाइनल रिहर्सल हो रहा था तो अचानक अवनि ने रैंप पर आ कर कहा कि मैं बताती हूं तुम्हें कैसे वौक करना चाहिए.
‘‘फिर उस ने रैंप पर वौक कर के दिखाया तो प्रिंसिपल मैम को बहुत पसंद आया. उन्होंने कहा कि इस फैशन शो में शो स्टौपर के लिए अवनि को ही फाइनल कर दो और मु झे आउट कर दिया गया,’’ निम्मो ने मुंह सिकोड़ते हुए कालेज का सारा घटनाक्रम कह सुनाया.
‘‘यह तो दुनिया की बहुत पुरानी रीत है. लोग 2 बहनों में तुलना करते ही हैं,’’ कहते हुए सरला ने उसे सहज करने की कोशिश की.
‘‘लेकिन क्यों? मैं मैं हूं और अवनि अवनि. हम दोनों अलग हैं. फिर लोग क्यों हमें एकदूसरे से जोड़ कर देखते हैं? मैं खुद के जैसी ही रहना चाहती हूं किसी और के जैसी नहीं बनना चाहती,’’ निम्मो आवेश में आ गई.