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Writer- डा. भारत खुशालानी

हवाई जहाज दुर्घटना- भाग 1: आकृति का मन नकारात्मकता से क्यों घिर गयाआकृति ने अपना ध्यान विमान को नियंत्रित रखने पर केंद्रित किया और रनवे पर लगी बत्तियों को सामने के शीशे के बीचोंबीच रखने का प्रयास किया. उस ने ऊंचाईसूचक यंत्र की तरफ जल्दी से नजर डाली. यंत्र की सूई 500 फुट से गिर कर 400 फुट हुई, फिर 300 फुट, फिर 200 फुट और फिर 100 फुट.

100 फुट के बाद आकृति ने विमान को रनवे की रोशनियों के सहारे बिलकुल बीच में लाने का प्रयास किया. यंत्र की सूई 50 फुट तक आई, फिर 25, फिर 10 और फिर विमान तीव्रता से रनवे से आ कर मिला. एक गतिरोधक के ऊपर से गुजरने वाली वेदना के साथ विमान ठोस धरती से टकराया और रनवे पर दौड़ने लगा.

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विमान की उतरन बदसूरत थी. आकृति ने जोर से ब्रेक दबाए. उस ने तेज गति से और  झटके से विमान को मोड़ा, ताकि विमान के पंख अपने निर्धारित रनवे की रेखाओं के अंदर आ जाएं. अगर उतरने के बाद भी विमान को काबू में न रखा गया तो वह आसपास के रनवे पर जा कर दूसरी चीजों से टकरा सकता था.

विमान सुरक्षित तो नीचे उतर गया था, लेकिन उतरने के बाद जोर से ब्रेक लगने और  झटके से मुड़ने के कारण वह रनवे पर अस्थिर रूप से इधरउधर दौड़ रहा था.

आकृति ने अपना हौसला नहीं खोया. इंजन में आग लग जाने के बावजूद भी वह विमान को सुरक्षित तरीके से नीचे ले आने में कामयाब हो पाई थी, इस बात से उस का आत्मविश्वास अब काफी हद तक बढ़ गया था. उस ने जोत को कस कर पकड़ लिया और उसे एकदम सीधे मजबूती से पकड़ कर रखा. इस से विमान की लहरदार चाल पर लगाम लग गई और विमान धीरेधीरे कर के रनवे के बीच की रेखा में सीधा आ गया.

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