Short Story : मोहन 22-23 साल का नौजवान था जो चौधरी सुरजीत सिंह के फार्महाउस पर खेती के काम में मजदूरी करता था. मोहन का चेहरामोहरा अच्छा था. 6 फुट की लंबाई, भरापूरा ताकतवर बदन, चेहरे पर हलकी मूंछ व दाढ़ी.

मोहन दिनभर फार्महाउस पर कभी फसल को पानी लगाता तो कभी फसल की निराईगुड़ाई करता रहता. कभी पशुओं के लिए बरसीम तो कभी चरी खेत से काट कर बिजली से चलने वाले गंड़ासे से काट कर पशुओं के लिए तैयार कर घर भिजवाता यानी दिनभर मोहन अपने काम में लगा रहता था.

सुरजीत सिंह ने फार्महाउस पर ही मोहन के रहने का इंतजाम कर दिया था. बढि़या कमरा, टैलीविजन, कूलर, पंखा सभी चीजों का इंतजाम. खाना भी सुरजीत सिंह के घर से वहां पहुंचा दिया जाता था.

मोहन गरीब घर से था. उस की अभी तक शादी नहीं हुई थी. वह अपने गांव, जो यहां से 28 किलोमीटर दूर था, कभीकभार ही जाता था, वरना सारा समय उस का फार्महाउस पर ही गुजरता था.

मोहन खेती के काम में सुबह जल्दी उठ कर लग जाता था और दोपहर में कुछ देर आराम कर लेता था. उस की मौजूदगी के चलते फार्महाउस को कोई नुकसान पहुंचाने की सोच भी नहीं सकता था पर गांव की 5-6 लड़कियों का एक ग्रुप था जो अकसर इस फिराक में रहता था कि मोहन कब दोपहर में आराम करने जाए और वे मौके का फायदा उठा कर फार्महाउस में घुस कर जल्दीजल्दी घास काट कर गट्ठर बना कर घर लौटे. लेकिन मोहन ने कभी भी इस ग्रुप की चाल को कामयाब नहीं होने दिया.

इस ग्रुप की काम करने की रणनीति भी अलग ही थी. यह ग्रुप दोपहर के समय घर से खेतों के लिए निकलता था जबकि लोग सुबह जल्दी काम पर जा कर दोपहर तक वापस घरों को लौटने लगते थे. सुनसान पड़े खेतों में घुस कर ये लड़कियां मनमाने तरीके से घास काट कर गट्ठर बना कर ले आती थीं.

माया, मेनका, सरिता, मंजू और गीता ये सभी इस ग्रुप की सदस्य थीं. इन की उम्र भी 18-20 साल की थी.

सरिता इन में सब से खूबसूरत थी. सुराहीदार गरदन, पतलेपतले होंठ, गोरा रंग और भरापूरा बदन बरबस किसी का भी ध्यान अपनी तरफ खींच लेता था.

मोहन का रोजाना इन लड़कियां से सामना होता था लेकिन वह इन्हें घास नहीं डालता था. उस को पता था कि एक बार वह उन की मीठीमीठी बातों में आया तो वे पूरी फसल का सत्यानाश कर देंगी.

यही सोच कर मोहन उन से बात नहीं करता और न ही उन को फार्महाउस में घुसने देता था.

लेकिन मोहन कनखियों से सरिता को हसरत भरी निगाहों से देखता रहता था. इस का अंदाजा न केवल सरिता को था बल्कि उस की दूसरी सहेलियों को भी था. घर लौटते वक्त वे सरिता से मजाक करती रहतीं.

एक दिन मंजू ने कहा, ‘‘सरिता, मोहन तुझ पर दिलोजान से मरता है. आज मैं ने देखा था कि वह तेरी छाती पर नजरें गड़ाए हुए था.’’

‘‘चल हट…’’ सरिता ने कहा, ‘‘ऐसावैसा कुछ नहीं है. मोहन बहुत ही सीधासादा लड़का है.’’

लेकिन इश्क और मुश्क छिपाए थोड़े ही छिपते हैं. सरिता भी मोहन को पसंद करती थी. उस को भी वह प्यारा लगता था. वह उस का लंबातगड़ा शरीर देख कर रोमांचित हो उठती थी.

अब मोहन को इस ग्रुप के आने का इंतजार रहने लगा था. सरिता घास काटने के बहाने पीछे रह जाती और उस की बाकी सहेलियां आगे निकल जातीं.

मोहन भी सरिता के करीब पहुंच कर घास कटवाने में उस की मदद कराने के बहाने उस से बातचीत करने लग जाता. दोनों के बीच प्यार पनपने लगा था.

सरिता अब फार्महाउस के अंदर आ कर मोहन के साथ बतियाती रहती. दोनों ने एकदूसरे के घरपरिवार के बारे में जान लिया था. सरिता चाहती थी कि मोहन से उस की जल्दी ही शादी हो जाए, वहीं मोहन का मानना था कि पहले उस के बड़े भाई की शादी होगी, फिर बहन की, उस के बाद उस का नंबर आएगा. उधर सरिता की शादी करने के लिए लड़के की तलाश चल रही थी.

उन दोनों की मुलाकातों का समय बढ़ने लगा था लेकिन ये केवल मुलाकातें थीं, इस से आगे कुछ नहीं.

उस दिन मोहन फार्महाउस पर ट्यूबवैल चला कर खेतों में पानी लगा रहा था. सरिता और उस की सहेलियों का घास काटते बुरा हाल हो गया था.

माया ने मेनका की तरफ आंख दबा कर कहा, ‘‘सरिता, चलो वहां मोहन खेत में पानी लगा रहा?है. ट्यूबवैल चल रहा है. वहां नहाते हैं, कुछ तो राहत मिलेगी.’’

यही सोच कर वे सारी लड़कियां फार्महाउस में ट्यूबबैल के पास बने हौज में नहाने के लिए कूद गईं. पानी में काफी देर तक वे मस्ती करती रहीं. हौज में एकदूसरी को छेड़ती रहीं.

इसी छेड़खानी में सरिता की अंगिया की पट्टी टूट गई. वह हौज से बाहर आ गई. उधर से मोहन भी वहां आ गया था.

मोहन ने उस की अंगयि टूटी देखी तो सरिता ने कहा, ‘‘कल नई ले कर आऊंगी तब देखना.’’

इस के बाद सभी सहेलियां वहां से अपनेअपने गट्ठर उठा कर घर के लिए चल पड़ीं.

अगले दिन सरिता ने नई अंगिया पहनी और अपनी सहेलियों के साथ घास लेने खेतों की तरफ चल पड़ी. दोपहर में वे फार्महाउस पहुंचीं. उस वक्त मोहन अपने कमरे में आराम कर रहा था.

सरिता को देख कर मोहन ने पूछा, ‘‘नई अंगिया पहन कर आई है?’’

सरिता ने हां में सिर हिलाया. फिर कमीज ऊपर कर के मोहन को अपनी नई अंगिया दिखाई.

मोहन ने दूर से देखते हुए कहा, ‘‘अच्छी है.’’

सरिता ने उस का हाथ पकड़ कर अंगिया में घुसाते हुए कहा. ‘‘हाथ लगा कर देख न कितनी मुलायम है.’’

सरिता ने महसूस किया कि मोहन के हाथ में कोई हरकत नहीं है. उसे वह हाथ बेहद ठंडा लगा. काफी देर तक जब कोई हरकत नहीं हुई तो सरिता ने मोहन का हाथ झटक दिया और अपनी कमीज नीचे कर ली. वह वहां से तेजी से निकल कर अपनी सहेलियों के पास पहुंच गई. उसे मोहन बड़ा ही ठंडा आदमी लगा.

इस के बाद सरिता कभी भी मोहन से नहीं मिली.

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