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नंदिता ने अंदाजा लगाया संजय से ही बात कर रही होगी, ''नहीं, अब एग्जाम्स के बाद ही मिलेंगे, बहुत मुश्किल है पहली बार में पास होना, बहुत मेहनत करेंगे.‘’

संजय ने क्या कहा, वह तो नंदिता कैसे सुनती, पर कान पीहू की बात की तरफ लगे थे जो कह रही थी, ''नहीं, नहीं, मैं इतना हलके में नहीं ले सकती पढ़ाई. मुझे पहली बार में ही पास होना है. तुम भी सब छोड़ कर पढ़ाई में ध्यान लगाओ.''

नंदिता जानती थी कि उस ने हमेशा पीहू को स्वस्थ माहौल दिया है. वह अपने पेरैंट्स से कुछ भी, कभी भी कह सकती थी. यह बात भी पीहू नंदिता को बताने आ गई, बोली, ''मुझे अभी बहुत गुस्सा आया संजय पर, कह रहा है कि सीए के एग्जाम्स तो कितने भी दे सकते हैं. फेल हो जाएंगें तो दोबारा दे देंगे.'' और फिर अपने रूम में जा कर पढ़ने बैठ गई.

नंदिता पीहू की हैल्थ का पूरा ध्यान रखती, देख रही थी, रातदिन पढ़ाई में लग चुकी है पीहू. संजय कभी घर आता तो भी उस से सीए के चैप्टर्स, बुक, पेपर्स की ही बात करती रहती. संजय इन बातों से बोर हो कर जल्दी ही जाने लगा. वह कहीं आइसक्रीम खाने की या ऐसे ही बाहर चलने की ज़िद करता तो कभी पीहू चली भी जाती तो जल्दी ही लौट आती. जैसेजैसे परीक्षा के दिन नजदीक आने लगे. वह बिलकुल किताबों में खोती गई. और सब के जीवन में वह ख़ुशी का दिन आ भी गया जब पीहू ने पहली बार में ही सीए पास कर लिया. संजय बुरी तरह फेल हुआ था. पीहू को उस पर गुस्सा आ रहा था, बोली, “मम्मी, देखा आप ने, अब भी उसे कुछ फर्क नहीं पड़ा, कह रहा है कि अगली बार देखेगा, नहीं तो अपना दूसरा कैरियर सोचेगा.''

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