मैं अपना वादा नहीं निभा पाया. मैं तुम से शादी नहीं कर सकता हूं. मैं अपने मातापिता का दिल दुखा कर तुम्हें खुशी नहीं दे पाऊंगा. ‘अगर मैं ने तुम से शादी की, तो मेरी मां अपनी जान दे देंगी. मैं अपनी मां की मौत की वजह नहीं बनना चाहता. तुम अपना ध्यान रखना. यूपीएससी की तैयारी मन लगा कर करना. मुझे उम्मीद है कि तुम एक अच्छी आईएएस साबित होगी. किसी काबिल लड़के से शादी कर के जिंदगी में आगे बढ़ जाना.’ खत पढ़ते हुए सुनंदा की आंखों से लगातार आंसू बहने लगे. आंसुओं से खत भी भीग गया. सुनंदा के खत पढ़ने के बाद वह औरत बोली,
‘‘अब रोना बंद करो और अंशुल को भुला कर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ो.’’ इतना कह कर जब वह औरत मुड़ कर अपनी कार की तरफ जाने लगी, सुनंदा ने पीछे से आवाज लगाई, ‘‘शालिनी दीदी...’’ इतना सुन कर उस औरत के कदम थम गए और वह पीछे मुड़ी. वह कुछ कहती, इस से पहले सुनंदा बोली, ‘‘मैं आप को पहचान गई हूं दीदी. मैं ने जरूर आप को कभी नहीं देखा, लेकिन जिस तरह अंशुल के शब्दों से, बातों से आप मेरी आकृति पहचान गईं, ठीक वैसे ही मैं ने भी आप की छवि पा ली. ‘‘यहां से जाने से पहले बस इतना बता दीजिए कि अंशुल कैसा है और कहां है? मैं आप से वादा करती हूं कि मैं कभी भी उस से मिलने की कोशिश नहीं करूंगी.’’ सुनंदा के इतना कहते ही शालिनी की आंखें भर आईं और वे लंबी सांस लेते हुए बोलीं, ‘‘सुनंदा... सच तो यह है कि अंशुल तुम से बेइंतहा प्यार करता था और तुम से ही शादी करना चाहता था, लेकिन जब उस ने मम्मीपापा को तुम्हारे बारे में बताया, तो वे दोनों ही इस शादी के लिए राजी नहीं हुए.