शाम को घर पहुंची तो मीनाक्षी ने बताया कि सुदीप निकिता की हां सुनने के बाद आगे की बात करने अभिनव के घर चले गए हैं. वहां अभिनव के दादाजी की तबीयत अचानक बिगड़ गई. 2-3 दिन से चल रहा बुखार इतना तेज हो गया कि वे बेहोशी की हालत में पहुंच गए. इस कारण उन्हें हौस्पिटल में भरती करना पड़ा. सुदीप भी अभिनव के पिता के साथ हौस्पिटल में ही थे.
2 दिन बाद दादाजी को हौस्पिटल से छुट्टी मिल गई. वे धीरेधीरे स्वस्थ हो रहे थे. इस बीच एक दिन अभिनव के मम्मीपापा निकिता के घर मिठाई का डब्बा ले कर आ गए. उन्होंने बताया कि दादाजी ने अभिनव का विवाह शीघ्र ही कर देने की इच्छा व्यक्त की है. मीनाक्षी और सुदीप तो स्वयं ही चाह रहे थे कि वह विवाह जल्द से जल्द हो जाए. फिर निकिता की हां कहीं न में न बदल जाए, इस का भी उन्हें भय सता रहा था.
डाक्टर से दादाजी की तबीयत के विषय में बात कर 2 महीने बाद ही विवाह
की तिथि तय कर दी गई. इस बीच एकदूसरे से खास बातचीत का अवसर नहीं मिला अभिनव व निकिता को. दोनों वीजा औफिस में मिले, किंतु वहां औपचारिकताएं पूरी करतेकरते ही समय बीत गया. अभिनव का विवाह के बाद एक प्रोजैक्ट के सिलसिले में फ्रांस जाने का कार्यक्रम था. दोनों परिवारों के कहने पर इसे हनीमून ट्रिप का रूप दे दिया गया. निकिता भी साथ जा रही थी. उस ने भी अपनी प्रकाशन संस्था द्वारा पर्यटन पर प्रकाशित होने वाली एक पुस्तक के लिए फ्रांस पर लिखने में रूचि दिखाते हुए वह काम ले लिया. यों निकिता का मन भी नहीं था विवाह से पहले अभिनव से मिलनेजुलने का. क्या बात करती वह उस से? मातापिता की खुशियों का खयाल न होता उसे तो क्या वह शादी का फैसला लेती? शायद कभी नहीं.