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‘‘ओह, और आप की पत्नी भी जौब में हैं?’’ रचना ने पूछा तो शिखर ने कहा, ‘‘नहीं, वह हाउसवाइफ है.’’

‘‘हाउसवाइफ नहीं, होममेकर कहिए शिखरजी, अच्छा लगता है,’’ बोल कर रचना खिलखिला पड़ी.

शिखर उसे देखता ही रह गया. रचना से बातें करते हुए शिखर के चेहरे पर अजीब सी संतुष्टि नजर आती थी. लेकिन वहीं, अपनी पत्नी से बातें करते हुए वह झल्ला पड़ता था.

अमन को औफिस भेज कर, घर के काम जल्दी से निबटा कर, रचना अपनी जगह पर जा कर बैठ जाती, उधर शिखर पहले से ही उस का इंतजार करता रहता और उसे देखते ही खिड़की के पास आ कर खड़ा हो जाता. फिर दोनों बातें करने लगते. लेकिन जैसे ही शिखर को अपनी पत्नी की आवाज सुनाई पड़ती, वह भाग कर अपनी जगह पर बैठ जाता और फिर दोनों इशारोंइशारों में बातें करने लगते. कहीं न कहीं दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित होने लगे थे. कोरोना के चलते घर में क्वारंटाइन होने की वजह से उन के प्यार की गाड़ी अटक गई थी. लेकिन, उन्होंने इस का भी हल निकाल लिया.

दोनों कागज पर लिख कर अपने दिल का हाल बयां करते और उस खत को रोल कर एकदूसरे की तरफ फेंकते. कभी मोबाइल से दोनों बातें करते, कभी चैटिंग करते. जोक्स बोल कर हंसतेहंसाते. लेकिन इस पर भी जब उन का मन नहीं भरता, तो दोनों अपनीअपनी छत पर खड़े हो कर लोगों के घरों में ताकझांक करते कि इस लौकडाउन में वे अपने घरों में क्या रहे हैं. कहीं पतिपत्नी साथ मिल कर खाना पका रहे होते. कहीं काम को ले कर सासबहू में झगड़े हो रहे होते. और एक घर में तो हसबैंड पोंछा लगा रहा था और उस की पत्नी उसे बता रही थी कि और कहांकहां पोंछा लगाना है. देख कर दोनों की हंसी रुक ही नहीं रही थी. रचना का तो पेट ही दुखने लगा हंसहंस कर. बड़ा मजा आ रहा था उन्हें लोगों के घरों में ताकझांक करने में. अकसर दोनों छत पर जा कर लोगों के घरों में ताकतेझांकते और खूब मजे लेते.

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