दिवाकर को एक ही मलाल था कि वह ज्यादा पढ़लिख नहीं पाए. अपनी इस कमी को ले कर उन्होंने घरवालों की आंखों में दूसरों के सामने शर्मिंदगी का एहसास देखा था.