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‘‘तुम होती तो हैरान होती, तुम होती तो खुश होती, तुम होती तो ये खाती, तुम होती तो वो...’’ वह अमिताभ बच्चन के डायलौग के अंदाज में बोलते हुए मुसकरा रहा था.

‘‘अच्छाअच्छा, बस. कल की तैयारी कर ली? कपड़े कल प्रैस होने के लिए दे दिए थे न?’’ वह हंसते हुए बोली.

उसे ध्यान आया कपड़े, मशीन में कब से पड़े रह गए, भूल ही गया था, मरा...

‘‘हांहां डियर, बस, आता ही होगा चंदू. शायद वही आया, मैं बाद में बात करता हूं.’’ सच बोल कर मरता क्या, उस ने झट से झूठ बोल कर मौली के आगे अपनी साख बना ली. वाश्ंिग मशीन की ओर लपका. पानी ड्रेन आउट होने पर जो देखा, खाना बनाते वक्त लाउड म्यूजिक के शौक ने मार डाला था, कपड़ों पर नजर पड़ी तो सारा मूड खराब हो गया. उस की नई गुलाबी शर्ट इतरा कर कई कपड़ों पे अपना रंग जमा चुकी थी. उस ने सिर पकड़ लिया. साफ पानी में 2 बार निकाला पर रंग न गया. उस के चेहरे का रंग अलबत्ता उड़ गया. मौली तो बेहद गुस्सा करेगी, बर्थडे पर उस की दी पैंटशर्ट दोनों ही खराब हो गईं. सारे कपड़े जल्दीजल्दी तार पर फैला डाले. इन में से तो कोई कल पहन के जाने लायक नहीं होंगी. कोई पहले की शर्टपैंट ही उस ने छांट कर प्रैस करवा ली. पर इस काम में पूरी अलमारी, पूरे कमरे की ऐसीतैसी हो गई थी. पर वह खुश था, चलो काम तो बन गया. उस ने पास बिखरे कपड़ों में से थोड़ेबहुत उठा कर अलमारी में ठूंस दिए.

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