पहले तो सोचा, डाक के डिब्बे में डाल दूं. फिर जाने क्या मन में आया की खोला और पढ गया.किसी  अज्ञात भारतीय  ने मोदी जी की कार्यप्रणाली पर मन का गुबार निकाला है .मैं ने इसे पढ़कर सोचा, क्यों न हमारे प्रिय पाठक भी इसे एक नजर देख ले. सो नीचे पत्र शब्दश:प्रकाशित किया जा रहा है.

नरेंद्र मोदी साहब!

आप हमारे प्रधानमंत्री हैं.काफी अरसे  से मैं आपके कामकाज पर नजरें गड़ाए हुए हूं .मैं देख रहा हूं आप उस धावक के जैसे व्यवहार कर रहे हैं, जो एक बार में ही 50, 100, 200, 500 मीटर की दौड़ में  गोल्ड मेडल पाना चाहता है. मैं देख रहा हूं, आप उस बाॅलर की तरह है जो एक बाल में सारे खिलाड़ियों को आउट करने पर तुला हुआ है.

क्या यह संभव है?आप जैसा गुणी आदमी, यह कैसी भूल कर रहा है. आप तो हीरे हैं!हीरे!! फिर अपनी चमक, आभा को बढ़ाने के बजाय ऐसी स्थिति क्यों पैदा किए जा रहे हैं की जो आपको देखे वह अपना सर पीटता  रह जाए.

आप तो अपने  समय काल मे सब कुछ बदल देने पर तुले हैं. यह बदल दो, वह बदल दो, इसे ठीक कर दो, उसे फैक दो… यह सब क्या है .

कभी योजना आयोग को  भंग करने की तैयारी करते है. अभी नोटबंदी करते हैं, कभी पाकिस्तान पहुंचकर पाक को नमन करते हैं कभी पाक को नापाक बताते हैं…क्यों ? क्या इसलिए की इस रास्ते पर गांधी, नेहरू, इंदिरा और राजीव चले थे सिर्फ इसलिए  सबकुछ  बदल देना चाहते हैं  ? योजना आयोग को भंग करके आप देश को ऐसी नवीन संस्था देने की चाहत रखते हैं ताकि हम देशवासियों आपको याद करें और उस पहले प्रधानमंत्री को भूल जाएं जो कांग्रेस का प्रतिनिधि था, जो खुद कांग्रेस था, भारत था, देश था. आपके इस देश में क्या हो रहा है कभी गाय  मुद्दा बन जाती है कभी मुसलमान और हिंदू! आज नागरिक संहिता को लेकर सड़कों पर लोग निकल पड़े हैं मोदी साब…  यह क्या हो रहा है संसद में आपके गृहमंत्री मंत्री कुछ कहते हैं और संसद के बाहर आप कुछ कहते हैं.

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क्यों हर उस संस्था पर आपकी निगाह है, जो कांग्रेस  ने खड़ी की है .संविधान  में अगर कमियां हैं तो आप उसे सर्व अनुमति से दुरुस्त करें .आप तो एक सुयोग्य तीक्ष्ण दृष्टि वाले प्रधानमंत्री है. सब जानते हैं, सर्व जानकार हैं , आप  सब कुछ बदलने पर क्यों तुले हुए हैं . इसलिए मुझे आपकी नियत पर शक हो रहा है.

मोदी साब… आप बड़ी चालाकी  से वह सब कुछ करना चाहते हैं जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आपके ‘कान’ में पढता रहा है .मुझे तो लगता है,आप मोहन भागवत के हाथों की “कठपुतली’ मात्र हो. उन्हें खुश किए जा रहे हो .जबकि आपको इस देश ने प्रधानमंत्री चुना है .अब आपका दायित्व देश के प्रति है या किसी संस्था विशेष के प्रति, यह  हम गरीब  गुरबों  को जरुर बताना चाहिए. आपकी आकर्षक बाते, आपके व्यक्तित्व, देश के प्रति समर्पण, विकास की भावना को देखकर हम लोगों ने आपको मत दिया था .

अब आप चतुराई का प्रदर्शन कर रहे हैं. कहते हैं हम सबकुछ  सर्वसम्मति से कर  रहे हैं. मुख्यमंत्रियों की राय ले रहे हैं .अरे!  आपने तो वह सब कर दिखाया है जिसकी तो कल्पना तक हम आम लोगों ने नहीं की थी.

मोदी साब… आपको याद है की नहीं, हमारे देश का नाम भी अब बहुत प्राचीन हो गया है. लगे हाथ इसे भी बदल दीजिए. भारत नाम मे भी शायद आपको कोई बात नजर नहीं आती होगी. या इंडिया… को ही बदल दीजिए. इस पर भी कैबिनेट में फैसला ले लीजिए और ज्यादा हो तो आप अपने आका से परामर्श ले लीजिए.

आप में बदलाव और अपने नाम के प्रति बड़ा आकर्षण है .मुझे लगता है, आप जल्दी बाजी में है और जल्द से जल्द अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखाना चाहते हैं .इसलिए जो भाजपा, भाजपा के नारे लगाता है आपको पसंद नहीं आते और जो मोदी मोदी चिल्लाता है  उसे आप सर आंखों पर बैठा लेते हैं.

गोकि मोदी साब… अब देश का नाम बदल ही दीजिए. आप अमर हो जाओगे .संसार और देश के इतिहास में आपका नाम हमेशा याद किया जाएगा कि आपने प्रधानमंत्री बनने के साथ  भारतवासियों को भारत से निजात दिलाई और एक नए देश का, जो उज्जवल है, उजास से भरा है स्पूर्ति दायक है ऐसा नाम दिया है की सारे देशवासी गर्वान्वीत है! आपका भी काम हो जाएगा और हमारा भी कल्याण हो जाएगा.

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अन्यथा, आप बेवजह परेशान रहेंगे .यह बदल दूं,  वह बदल दूं. क्या करूं जो छा जाऊं क्या करूं की आका प्रसन्न हो, यह सोचते-सोचते आपका टैलेंट चुकने लगेगा और कुछ गलत हो जाएगा .मोदी साब… आप सौ सुनार की एक लोहार की तर्ज पर सीधे देश का नाम ही बदल दे. बस ! हो गया आपका काम.

क्या टुकुर टुकुर. आप  को यह शोभा नहीं देता .यह योजना आयोग, यह राष्ट्रपिता, यह नेहरू की प्रतिमा यह इंदिरा गांधी ये राजीव टर्मिनल क्या-क्या बदलोगे भाई. साठ सालों में इन कांग्रेसियों ने हर चौक चौराहे पर कब्जा कर लिया है आप परेशान हो जाओगे .

मैं आपका एक बहुत बड़ा  फैन  हूं. मैं आपको नित्य प्रति दिन देखता हूं. सुनता हूं. मुझे लगा, आप परेशान हो, मैं आपके मनोविज्ञान को थोड़ा-थोड़ा समझ रहा हूं. इसलिए यह पत्र लिख रहा हूं .कहीं धृष्टता हुई तो क्षमा करना . अच्छा लगे तो लौटती डाक से एक लाईन का ही सही, ‘धन्यवाद’ का पत्र भेजना.

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