कहानी-हास्य

दोस्तों! तकदीर सबकी यूं ही नहीं खुलती,अब देखो आप और मैं, हम में कितना अंतर है .आप आम आदमी हैं, मैं भाग्य से मुख्यमंत्री हूं.आपने व्होट दिया, आप अगर वोट न देते,तो मैं मुख्यमंत्री भला कैसे बनता ? मगर, आप प्रदेश की तरक्की में अपनी भूमिका निभाईये मैं रोहरानंद मुख्यमंत्री, आपके व्होट की बदौलत दुनिया जहान के सुख भोग रहा हूं... मैं अमेरिका जा रहा हूं .हे! मतदाताओं...!! मैं आपको बताकर, अधिकारपूर्वक विदेश जा रहा हूं. आपने अपना कर्तव्य, ईमानदारी से निभाया है. आपने अपने बहुमूल्य मत का उपयोग किया, विधायक चुने, फिर विधायकों ( माफ करिए आलाकमान, पार्टी ) ने मुझे अपना वफादार सेवक माना और मैं मुख्यमंत्री बन गया. प्रदेश का मुखिया बनने के पश्चात, हालांकि आपकी और हमारे बीच की दूरियां बढ़ गई हैं. यह स्वभाविक है. यही लोकतंत्र है, जैसे ही मैं मुख्यमंत्री बना मेरी अंतरात्मा ने करवट बदली... मैं विशिष्ट बन गया .अब मैं आपसे दूर दूर रहता हूं. आप मुझसे सीधे नहीं मिल सकते.

दोस्तों...! यह सच है, कि मैंने कभी स्वपन में भी कल्पना नहीं की थी, कि मैं कभी मुख्यमंत्री बन जाऊंगा. मैं साफगोई से स्वीकार करता हूं कि मेरी तो लॉटरी ही निकल आईं है.मेरे इस सत्य स्वीकारोक्ति का प्लीज बतंगड़ मत बनाना. मैं स्पष्ट शब्दों में साहस के साथ कहना चाहूंगा कि मैं मुख्यमंत्री बनते ही, आप लोगों से बहुत बहुत दूर हो गया हूं. रूपक स्वरूप इस तरह समझे जैसे मनुष्य से चांद दूर है,जैसे आम आदमी से अमेरिका दूर है. मगर मैं ईमानदार इंसान हूं. राजनीतिज्ञ की बात में नहीं करता . राजनीतिज्ञ के रूप से मेरे चेहरे पर अनेकानेक मुखोटे लगे हुए हैं.

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