सावन की सुबह थी. हलकीहलकी बूंदाबांदी धरती को गीला कर रही थी. बागों में खिले फूलों को छू कर निकली महक भरी हवा दिल के कोनेकोने में टीस सी उठा देती. जवान लड़कियां झूलों पर मतवाली नागिनों की तरह लिपटी हुई थीं. ऐसे समय में मेरे दिमाग में बीते समय की याद किसी किताब के पन्ने की तरह फड़फड़ाने लगी. आंखों में बीते कल के दृश्य झिलमिलाने लगे. क्या चाहने वाले मंजिल तक पहुंच पाते हैं? शायद ऐसा तो कभीकभी ही होता होगा, क्योंकि ज्यादातर प्रेमी प्रेम कर के अपने साथी को पूरी जिंदगी तिलतिल कर मरने के लिए छोड़ जाते हैं.

ऐसे में कुछ लोग जहां बिछुड़न की आग में जल कर अपने जीवन को ही खत्म कर देते हैं, तो कुछ लोग समय से समझौता कर लेते हैं. अकसर प्यार की मंजिल अधूरी क्यों होती है? प्रेम के बंधन में बांध कर कोई पहले तो सहारा देता है, फिर तूफानी थपेड़ों में क्यों छोड़ जाता है? ठीक ऐसा ही किया था मेरी नीलम ने. हम लोगों ने खूब चैटिंग की, खूब रातें साथ बिताईं. प्रेम से पहले उस ने मुझे सहारा दिया, पर 2 साल बाद ही वह मेरा साथ छोड़ कर भाग गई. क्या उस ने मुझे धोखा दिया? क्या वह बेवफा थी? बेवफाई लड़कियां करती हैं, सजा लड़कों को भुगतनी पड़ती है. उस के बाद मैं बड़े डिप्रैशन में रहा था. आज का प्यार नकली है. मैं ने तो नीलम से मुहब्बत की और उस के साथ शादी कर बच्चे करने का वादा किया, मगर वह तो बेवफा निकली.

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