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मैत्री ने अपने बेटे की मृत्यु की दुखभरी त्रासदी फेसबुक पर पोस्ट कर दी, अपनी तकलीफ और जीवन गुजारने की यथास्थिति भी लिख दी.

उमंग ने पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी, ‘जो कुछ आप के जीवन में घटित हुआ, उस के प्रति संवेदना प्रकट करने में शब्दकोश छोटा पड़ जाएगा. जीवन कहीं नहीं रुका है, कभी नहीं रुकता है. हर मनुष्य का जीवन केवल एक बार और अंतिम बार रुकता है, केवल खुद की मौत पर.’

इसी तरह की अनेक पोस्ट लगातार आती रहतीं, मैत्री के ठहरे हुए जीवन में कुछ हलचल होने लगी.

एक बार उमंग ने हृदयरोग के एक अस्पताल की दीवारों के चित्र पोस्ट किए जहां दिल के चित्र के पास लिखा था, ‘हंसोहंसो, दिल की बीमारियों में कभी न फंसो.’

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एक दिन उमंग ने लिखा, ‘मैडम, जीवनभर सुवास की याद में आंसू बहाने से कुछ नहीं मिलेगा. अच्छा यह है कि गरीब, जरूरतमंद और अनाथ बच्चों के लिए कोई काम हाथ में लिया जाए. खुद का समय भी निकल जाएगा और संतोष भी मिलेगा.’

यह सुझाव मैत्री को बहुत अच्छा लगा. नकुल से जब उस ने इस बारे में चर्चा की तो उस ने भी उत्साह व रुचि दिखाई.

जब मैत्री का सकारात्मक संकेत मिला तो उमंग ने उसे बताया कि वे खुद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, प्रधान कार्यालय, जयपुर में बड़े अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं. वे उस की हर तरह से मदद करेंगे.

उमंग ने पालनहार योजना, मूकबधिर विद्यालय, विकलांगता विद्यालय, मंदबुद्धि छात्रगृह आदि योजनाओं का साहित्य ईमेल कर दिया. साथ ही, यह भी मार्गदर्शन कर दिया कि किस तरह एनजीओ बना कर सरकारी संस्थाओं से आर्थिक सहयोग ले कर ऐसे संस्थान का संचालन किया जा सकता है.

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