पिछले अंक में आप ने पढ़ा था:
सनीचरी की तेरहवीं कराने के चक्कर में सुखदेव एक तांत्रिक बाबा के हत्थे चढ़ गया. बाबा ने उसे भूतप्रेत का डर दिखाया. सुखदेव का बेटा कार्तिक इस अंधविश्वास को नहीं मानता था. उसे पता था कि उस की मां को कैंसर है, पर सुखदेव उसे डाक्टर के बजाय तांत्रिक बाबा के पास ले गया. कार्तिक को अपने पिता को धूर्त बाबा से बचाना था. वह अपनी मौसी के गांव गया, जो एक बिंदास औरत थी.
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‘‘हां मौसी, पहले मुझे बैठ तो लेने दे, थक गया हूं,’’ कार्तिक बोला. नानी भी अब तक दालान में आ गई थीं. कार्तिक का यहां बड़ा मन लगता है. मौसी के दालान के एक किनारे मुरगियों के दड़बे और कुएं के पास बकरियों के रहने के ठिकाने हैं. कुल 7 बकरियां हैं. मौसी इन्हें बेचती भी है.
दालान से ऊपर चबूतरा और उस से लगे 2 बड़े हवादार कमरे हैं. पलंग, कुरसी, बड़ा शीशा, पंखा, टैलीविजन सबकुछ है मौसी के पास. मोपैड भी है, जो अब मौसी ही चलाती है.
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कार्तिक ने मौसी को ढोंगी बाबा और अपने बापू की सारी बातें बताईं. मौसी ने कहा, ‘‘देख बेटा, तेरा भविष्य तो जीजा के पास एकदम चौपट है. कहीं तांत्रिक तेरे बापू से तुझे ही न मांग ले.
‘‘नशा इनसान का दिमाग खराब कर देता है. वह ढोंगी गांव वालों को नशे का आदी इसलिए बनाता होगा, ताकि अपनी मनमानी करता रहे.
‘‘तू अब हमारे पास ही रुक जा. मैं तुझे कसबे के बड़े वाले स्कूल में भरती करवा दूंगी.’’