Hindi Story : ‘‘सौरभ, हम कब तक इस तरह मिलतेजुलते रहेंगे...’’ चंपा से आखिरकार रहा न गया, ‘‘अब हमें जल्दी ही शादी कर लेनी चाहिए.’’
‘‘शादी भी कर लेंगे चंपा,’’ सौरभ बोला, ‘‘पहले हम बीए कर लें.’’
‘‘तुम नहीं जानते हो सौरभ, मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली हूं...’’
‘‘क्या कह रही हो तुम?’’ हैरानी से सौरभ बोला, ‘‘चलो, अस्पताल जा कर बच्चा गिरा देते हैं.’’
‘‘नहीं सौरभ, यह हमारे प्यार की निशानी है...’’ चंपा बोली, ‘‘मैं बच्चा नहीं गिराना चाहती हूं.’’
‘‘मगर, मैं तुम से शादी नहीं कर सकता,’’ सौरभ ने कहा.
‘‘क्यों नहीं कर सकते? क्या परेशानी हैं तुम्हें?’’ चंपा जरा तेज आवाज में सौरभ से बोली.
‘‘तुम हमारी हैसियत के बराबर नहीं हो,’’ सौरभ बोला.
‘‘जब मैं तुम्हारी हैसियत के बराबर नहीं थी, तब तुम ने क्यों प्यार किया मुझ से...’’ नाराज हो कर चंपा बोली, ‘‘अब तुम्हें शादी तो करनी ही पड़ेगी मुझ से.’’
‘‘शादी करूं और तुम से... किसी और का पाप मुझ पर क्यों डाल रही हो?’’ जब सौरभ ने यह कहा, तब चंपा का गुस्सा भीतर ही भीतर बढ़ गया. वह गुस्से से बोली, ‘‘क्या कहा तुम ने कि शादी नहीं करोगे? मतलब, तुम्हारा प्यार केवल मेरे जिस्म तक ही था.’’
‘‘हां, यही समझ लो. अब कभी मिलने की कोशिश मत करना,’’ चंपा से इतना कह कर सौरभ गाड़ी में बैठ कर नौ दो ग्यारह हो गया.
चंपा ठगी सी रह गई. जिस सौरभ पर चंपा ने पूरा विश्वास किया, आगे रह कर उस ने प्रेम के अंकुर बोए, उस ने ही उसे धोखा दे दिया.
चंपा और सौरभ एक ही कालेज में पढ़ते थे. दोनों एक ही गांव में रहते थे.
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