जब देशभर में कोरोना महामारी फैल रही थी, तब लोग काफी एहतियात बरत रहे थे. ऐसे समय में किसी को सर्दीबुखार हो जा रहा था, तो उस से बचने की कोशिश कर रहे थे और सब से बुरी बात यह थी कि ऐसे पीडि़त इनसान से दूरी बना ले रहे थे. लोग एकदूसरे को शक की निगाह से देख रहे थे.
कपड़े के कारोबारी जमनालाल के यहां काम करने वाली रजनी को भी यही सब झेलना पड़ा था. जब उसे सर्दीबुखार के लक्षण दिखाई देने लगे, तो उस के मालिक ने उसे अपने घर से चले जाने के लिए कह दिया था. हालांकि वह उन के घर पर सालों से काम कर रही थी.
रजनी के सामने समस्या पैदा हो गई थी कि वह जाए तो कहां जाए? उस का अपना घर ही कहां था. जब से उस ने होश संभाला था, वह यही जान पाई थी कि वह अनाथ है.
विधवा बूआ ने उस का लालनपालन किया था और दूसरे के घरों में काम करना सिखाया था. तब से वह दूसरे के घरों में काम करते हुए जवानी की दहलीज पर पहुंच गई थी.
उत्तर प्रदेश का रहने वाला विमल उस के मालिक के पुराने घर को मरम्मत करने के लिए आ रहा था. मालिक के दुकान चले जाने के बाद रजनी को ही विमल को बताना पड़ता था कि कौन सा सामान कहां रखा है. इस दौरान उस से बातें होने लगी थीं.
विमल रजनी के खूबसूरत जोबन और चेहरे को देख कर उस की तरफ खिंचने लगा था, जिस का अनुभव उसे भी होने लगा था. वह एक ही सामान के बारे में कई बार जानबूझ कर पूछता था,
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