‘पजामा पार्टी के नाम पर घर को होस्टल बना कर रख दिया इन लड़कियों ने. रिया भी पता नहीं कब समझदार बनेगी. जब देखो तब ले आती है इन लड़कियों को. जरा भी नहीं सोचती कि मेरा सारा शेड्यूल गड़बड़ा जाता है. अपने कमरे को कूड़ाघर बना दिया. खुद तो सब चली गईं मूवी देखने और मां यहां इन के फैलाए कचरे को साफ करती रहे.’ बेटी रिया के बेतरतीब कमरे को देखते ही उषा की त्योरियां चढ़ आईं.
एक बारगी तो मन किया कि कमरे को जैसा है वैसा ही छोड़ दें, रिया से ही साफ करवाएं. तभी उसे एहसास होगा कि सफाई करना कितना मुश्किल काम है. मगर फिर बेटी पर स्वाभाविक ममता उमड़ आई, ‘पता नहीं और कितने दिन की मेहमान है. क्या पता कब ससुराल चली जाए. फिर वहां यह मौजमस्ती करने को मिले न मिले. काम तो जिंदगीभर करने ही हैं.’ यह सोचते हुए उषा ने दुपट्टा उतार कर कमरे के दरवाजे पर टांग दिया और फैले कमरे को व्यवस्थित करने में जुट गई.
2 दिन पहले ही रिया के फाइनल एग्जाम खत्म हुए हैं. कल रात से ही बेला, मान्यता और शालू ने रिया के कमरे में डेरा डाल रखा है. रातभर पता नहीं क्या करती रहीं ये लड़कियां कि सुबह 10 बजे तक बेसुध सो रही थीं. अब उठते ही तैयार हो कर सलमान खान की नई लगी मूवी देखने चल दीं. खानापीना सब बाहर ही होगा. पता नहीं क्या सैलिब्रेट करने में लगी हैं.
अरे, एग्जाम ही तो खत्म हुए हैं, कोई लौटरी तो नहीं लगी. उषा बड़बड़ाती हुई एकएक सामान को सही तरीके से सैट कर के रखती जा रही थी कि अचानक शालू के बैग में से एक फोल्ड किया हुआ कागज का टुकड़ा नीचे गिरा. उषा उसे वापस शालू के बैग में रखने ही जा रही थी कि जिज्ञासावश खोल कर देख लिया. कागज के खुलते ही जैसे उसे बिच्छू ने काट लिया. उस फोल्ड किए हुए कागज के टुकड़े में इस्तेमाल किया हुआ कंडोम था. देख कर उषा के तो होश ही उड़ गए. उस में अब वहां खड़े रहने का भी साहस नहीं बचा था.