उषा ने शालू के प्रति अपनी जो सोच बना डाली थी, वह एक गांठ बन गई थी उस के मन में. बेशक आज शालू का वह नया रूप देख रही थी लेकिन फिर भी कुछ था जो उषा को उसे गले लगाने से रोक रहा था.