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लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

भले ही शुभी की लड़कियों को बिजनैस में शामिल कर लिया गया था और वे दोनों बिजनैस की बारीकियां सीख रही थीं, पर शुभी को हमेशा ही ये डर खाए जाता था कि हो न हो, नरेश को ही इस जायदाद का असली वारिस घोषित किया जाएगा और वो तो ऐसा बिलकुल नहीं चाहती थी, पर उस के पास अभी कोई और चारा नहीं था, इसलिए शुभी अपने अगले वार के लिए सही वक्त का इंतजार कर रही थी.

और वो सही वक्त कुछ महीनों बाद आ ही गया, जब नरेश की शादी तय करा दी गई और बड़ी धूमधाम से उस की शादी हो गई, विजय और अजय अरोड़ा के साथ में कितना नाची थी शुभी? उस की खुशी देख कर जान पड़ता था कि जैसे उस के सगे बेटे की शादी हो, पूरे शहर में नरेश की शादी की भव्यता की चर्चा कई दिन तक होती रही.

घर के मेहमान भी जा चुके थे और आज नरेश और उस की पत्नी बबिता अपना हनीमून मनाने के लिए स्विट्जरलैंड के लिए जाने वाले थे. सुबह से ही शुभी सारी तैयारियां करवा रही थी. मन में खुशियों का सागर हिलोरे ले रहा था नरेश और बबिता के, इसलिए फ्लाइट के समय से पहले ही नरेश एयरपोर्ट पहुंच जाना चाहता था. उस ने अपना सारा सामान एक जगह इकट्ठा कर लिया और अपनी पत्नी बबिता की प्रतीक्षा करने लगा. शुभी के साथ नरेश को अपनी पत्नी आती दिखाई दी तो नरेश ने राहत की सांस ली.

“ये लो... इसे समयसमय पर खाते रहना... तुम्हें अभी ताकत की बहुत जरूरत पड़ेगी,” शुभी ने नरेश के हाथ में एक थैली पकड़ाते हुए कहा, “पर, चाची इस में है क्या?”

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