पहले भाग पढ़ें- बेवफा भाग 1: आखिर क्यों सरिता ने छोड़ा दीपक का साथ?
भाग 2
उस व्यक्ति के मुंह से अपना नाम सुन कर मैं जैसे आसमान से गिरी... आवाज गले में ही अटक कर रह गई.
‘‘मेरा नाम सुमित है. मांजी और दीपक कैसे हैं? आप का इस शहर में कैसे आना हुआ? आप की शादी तो मुंबई में होने वाली थी न?’’
सवाल तो मैं पूछने आई थी, मगर मुझे नहीं मालूम था कि मुझे ऐसे सवाल सुनने पड़ेंगे... तो क्या सरिता ने अपने पति को सबकुछ बता दिया है?
‘‘आप इतना सबकुछ मेरे बारे में...’’ मेरे हलक से आवाज ही नहीं निकल पा रही थी और फिर मैं बिना कुछ और कहे वहीं सोफे पर धम्म से बैठ गई.
तभी सामने दिखी वह तसवीर, जो हम ने अपने फेयरवैल वाले दिन खिंचवाई थी. मैं दीपक भैया और सरिता... एक क्षण में मैं समझ गई कि मैं इस घर के लिए अपरिचित नहीं हूं. मगर यह नहीं समझ में आया कि ‘प्यार दोस्ती है,’ कहने वाली सरिता ने अपने प्यार और दोस्ती दोनों के साथ विश्वासघात क्यों किया? वादे को क्यों तोड़ा उस ने?
‘‘अभी 1 घंटा पहले ही सरिता ने आ कर मुझे बताया कि तुम उस के पार्लर में आई हो... वह समझ गईर् थी कि तुम यहां आओगी जरूर. तभी वह यहां से चली गई है.’’
‘‘आप ठीक कह रहे हैं. आखिर वह कौन सा मुंह ले कर मेरा सामना कर पाएगी,’’ मेरे मन की कड़वाहट शब्दों में स्पष्ट घुल गई थी.
‘‘सरिता ने जैसा बताया था आप बिलकुल वैसी ही हैं. इतने वर्षों में न तो आप बदलीं और न ही आप की सहेली,’’ सुमित ने कहा तो मैं ने अपनी नजरें उस पर टिका दीं. आखिर कौन सी खूबी है इस में जिस के लिए सरिता ने दीपक भैया के प्यार को ठुकरा दिया?
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