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लेखक: शकीला एस हुसैन

उन दिनों मैं जिला गुजरांवाला के थाना सदर में तैनात था. मेरा थाना जीटी रोड के मोड़ पर था. सर्दी का मौसम था. जब मैं थाने पहुंचा तो 2 लोग मेरे इंतजार में बैठे मिले. उन्होंने खबर दी कि नहर के किनारे एक लाश बरामद हुई है.

जिन दिनों अपर चिनाब नहर अपने किनारों तक भर कर बह रही होती है, उस वक्त उस की गहराई करीब 20 फीट होती है. मैं फौरन एएसआई नबी बख्श और एक हवलदार को ले कर मौकाएवारदात पर पहुंच गया. मेरी तजुर्बेकार निगाहों ने लाश को देखने के बाद अंदाजा लगा लिया कि मृतक को एक झटके में मौत के घाट उतारा गया है.

कातिल जो भी था, पहलवान या कबड्डी का अच्छा खिलाड़ी था, क्योंकि मकतूल को गरदन का मनका तोड़ कर मौत के घाट उतारा गया था. यह टैक्निक किसी आम आदमी के बस की बात नहीं है. मकतूल की उम्र 30 के आसपास थी. वह मजबूत जिस्म का स्मार्ट आदमी था, शानदार मूंछों वाला. उस के बदन पर गरम लिबास था, स्वेटर भी पहन रखा था.

पूरी तरह से तलाशी लेने के बाद मृतक के कपड़ों में ऐसी कोई चीज नहीं मिल सकी जो काम की होती. उस के जिस्म पर कोई जख्म भी नहीं था. अब तक वहां काफी लोग जमा हो चुके थे. मैं ने सभी से लाश के बारे में पूछा, लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका. एक बूढ़े आदमी ने गौर से देखने के बाद कहा, ‘‘सरकार, मैं इसे पहचनता हूं. मैं ने इसे देखा है. यह फरीदपुर के चौधरी सिकंदर अली के यहां काम करता था.’’

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