लच्छू आज ही अपने गांव से लौटा था. वह अपने मालिक से 4 दिन की छुट्टी ले कर गया था. कह रहा था कि उस के मकान पर भाइयों ने कब्जा जमा लिया था, सो अब की बार उसे बेच कर ही आएगा. एक खरीदार से उस की बात भी हो रखी थी.

बड़े सवेरे ही लच्छू वकील साहब, जो कि उस के मालिक थे, की कोठी पर आ गया. साथ में उस का 8 साल का बेटा भी था, जिसे उस ने घर पर छोड़ने के बजाय साथ लाना ही उचित समझा, क्योंकि अगर वह पहले बेटे को घर पर छोड़ता तो कोठी के काम में देरी से पहुंचता, जिस से वकील साहब नाराज होते और ऐसा वह चाहता नहीं था.

वकील साहब की पत्नी लच्छू को देख कर खुश हुईं. वे बोलीं, ‘‘लच्छू, तुम गार्डन में काम करो, तब तक मैं तुम दोनों के लिए चाय बनाती हूं.’’

वकील साहब का 7 साल का बेटा, जो स्कूल जाने की तैयारी में था और कुरसीमेज पर बैठ कर ब्रेकफास्ट कर रहा था.

लच्छू और वकील साहब के बेटों ने एकदूसरे को देखा. वकील साहब के बेटे को महसूस हुआ कि लच्छू का बेटा रामू उस के नाश्ते की प्लेट को ललचाई आंखों से देख रहा?है. उस ने भूख न होने का बहाना बना कर अपनी मां से बचा हुआ सैंडविच रामू को दे देने को कहा.

इतने में ही वकील साहब नहा कर बाथरूम से बाहर आ गए. उन्होंने जब लच्छू के बेटे को चायसैंडविच खाते देखा तो उन्होंने अपनी पत्नी को बुराभला कहा, ‘‘अमीर लोगों की कोठियों में काम कर के इन जैसे लोगों के दिमाग हाई हो जाते हैं, क्योंकि बढि़या भोजन और कपड़े लुटाने में मालकिनों का ही हाथ होता है.

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