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‘‘अगले महीने मैं और रोहिणी घूमने जाने वाले थे.’’ कहते हुए धनंजय ने प्रकाश राय को चेकबुक थमा दी. उन्होंने चेकबुक देखा. वह सही कह रहा था. आशीष शर्मा को चेकबुक देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आशीष, इस चेकबुक को भी कब्जे में ले लो और ‘एवन ट्रैवेल्स’ के एजेंट का स्टेटमेंट भी ले लो. रकम बरामद होने पर प्रमाण के रूप में यह सब काम आएगा.’’

प्रकाश राय किचन में आए. एसआई दयाशंकर और आशीष शर्मा किचन का निरीक्षण कर रहे थे. प्रकाश राय ने धनंजय से कहा, ‘‘धनंजय साहब, बुरा मत मानिएगा. मैं एक बात जानना चाहता हूं. तुम और रोहिणी सिर्फ 2 लोग हो, इस के बावजूद इतना सारा गोश्त और मछली?’’

‘‘साहब, आज मेरे घर पार्टी थी. मेरे औफिस के 2 अधिकारी आशीष तनेजा और देवेश तिवारी अपनीअपनी बीवियों के साथ खाना खाने आने वाले थे. बारीबारी से हम तीनों एकदूसरे के घर अपनी पत्नियों सहित जमा होते हैं और खातेपीते हैं. इस रविवार को मेरे यहां इकट्ठा होना था.’’

‘‘तुम हमेशा फाइन चिकन एंड मीट शौप से ही मीट लाते हो?’’

‘‘जी सर.’’

थोड़ी देर में आशीष तनेजा और देवेश तिवारी अपनीअपनी पत्नियों के साथ धनंजय के घर आ पहुंचे. रोहिणी की हत्या के बारे में सुन कर वे कांप उठे. सक्सेना उन्हें अपने फ्लैट में ले गए. सवेरे 9 बजे धनंजय के मातापिता भी अलकनंदा आ पहुंचे थे.

अधिकारियों ने आपस में सलाहमशविरा किया और अन्य सारी काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. इस के बाद एसएसपी और एसपी तो चले गए, लेकिन सीओ और इंसपेक्टर प्रकाश राय सहयोगियों के साथ कोतवाली आ गए. सभी चाय पीतेपीते इसी मर्डर केस के बारे में विचारविमर्श करने लगे.

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