कनछेदीलाल ने महसूस किया देश में महंगाई कम होने लगी है. यह अचानक हुआ है , सामने न संसदीय चुनाव है, न ही किसी महापुरुष या सत्तारूढ़ दल के नेता का जन्मदिन. मगर महंगाई कम होने लगी है . दसों दिशाओं में आश्चर्य मिश्रित स्वर सुनाई पड़ने लगे. पेट्रोल के दाम गिर गए टमाटर, सब्जियों के दाम गिरने लगे .प्याज, दाल सहित आवश्यक वस्तुओ खाद्य, जींस के दाम आसमान से जमीं पर उतर आए. चहूं और आश्चर्य का माहौल था.कनछेदी लाल सोचने लगे कि आखिर यह सब क्या हो रहा है ? अगर अति आवश्यक जींस के दाम इस तरह गिरते चले गए तो प्रधानमंत्रीजी का क्या होगा ? अर्थव्यवस्था के मजबूती का परिचायक है- महंगाई .और महंगाई कम हो जाएगी तो देश की अर्थव्यवस्था ही ढह जाएगी.

आज भारत सीना तान कर दुनिया के बाजार में खड़ा है. मुद्रा स्फीती बढ़ रही है. दुनिया सम्मान की दृष्टि से देख रही थी. प्रधानमंत्री जी ने अपने कुशल नेतृत्व में देश को महंगाई दी, देश के आम आदमी में क्रय करने का माद्दा उत्पन्न किया. कहां तो इस देश का आम तो क्या विशिष्ट आदमी भी जेब में चिल्लर लेकर घूमता था. आज दो दो हजार के नोट लेकर घूमता है. इसके पीछे प्रधानमंत्री जी की मनमोहिनी अर्थव्यवस्था का जादू है .

अब जब सभी चीजों के दाम गिरने लगे हैं तो देश में कौतूहल का माहौल बन गया है और लोगों के चेहरे पर आश्चर्य मिश्रित भय के चिन्ह स्पष्ट देखे जा सकते हैं. अगर महंगाई अगर इस तरह कम होती गई तो देश का क्या होगा ?

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