Hindi Family Story: ‘‘नलिनी...’’ अपने नाम की पुकार के साथ ही नलिनी के हड़बड़ाते कदम ठिठक गए और उस की नजरें पुकार की दिशा में घूम गईं.
‘‘इन लोगों ने मु झे जबरदस्ती पकड़ लिया है. मैं बेकुसूर हूं. मैं ने कुछ नहीं किया. इन्हें सम झाओ...’’
‘‘मैडम, क्या आप इसे पहचानती हैं?’’ एक पुलिस वाले ने नलिनी से पूछा.
अपने पति जतिन की आंखों में सवालिया निशान देख कर नलिनी के चेहरे पर घबराहट दिखने लगी और ‘हां’ में हिलने वाली उस की गरदन कब ‘न’ के अंदाज में इधर से उधर तेजी से हिल उठी, खुद नलिनी को भी पता नहीं चला.
रेहान का चेहरा लटक गया. आंखों में उभरे आशा के दीप अचानक से बुझ गए.
जिस सवाल से नलिनी पूरा दिन बचने की कोशिश करती रही, रात को बिस्तर पर आते ही जतिन ने वही सवाल बंदूक की गोली सा दाग दिया, ‘‘तुम वाकई उस शख्स को नहीं जानती?’’
‘‘किस को?’’ नलिनी ने अनजान बन कर पूछा, लेकिन उस के दिल की गड़गड़ाहट बेकाबू हुए जा रही थी.
‘‘वही जिसे मौल से पुलिस पकड़ कर ले जा रही थी.’’
‘‘आप मु झ पर शक कर रहे हैं?’’
‘‘नहीं. अगर तुम कह रही हो, तो वाकई तुम उसे नहीं जानती. आओ, अब सो जाते हैं,’’ जतिन हमेशा की तरह नलिनी को अपनी बांहों में ले कर सुलाने लगे, पर नलिनी का दिल रो उठा.
‘कितना प्यार और भरोसा करते हैं जतिन मु झ पर... और मैं उन के भरोसे का यह सिला दे रही हूं... सिर्फ उन का ही नहीं, बल्कि मैं ने रेहान का भी भरोसा तोड़ दिया है. कितनी उम्मीद से उस ने मु झे पुकारा था और मैं ने उसे पहचानने से ही इनकार कर दिया...’ गहराती रात के साथ नलिनी के दिल का दर्द बढ़ता जा रहा था. वह जतिन के सीने से लग कर फफक उठी.
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