Funny Story : आज सौभाग्य या कहें दुर्भाग्य से, सत्ता के एक “अंध समर्थक” से मुलाकात हो गई.
हमने छुटते ही कहा,- आपके “आलाकमान” और पार्टी नेताओं को सोशल मीडिया ने बड़ी बुरी तरह घेरा है .
उन्होंने कहा- यह सब षड्यंत्र है .
हमने कहा- षड्यंत्र ? क्या विदेशी….
अंध समर्थक- नहीं, सत्ता की लालच में विपक्षी दल .
हमने कहा- मगर हमने सुना है, वे तो विपक्षियों की पोल भी खोल रहे हैं .
अंध समर्थक- अरे! आप नहीं समझेंगे . बड़ी ऊंची राजनीति और खेल चल रहा है .
हमने कहा- खैर! छोड़िए हम आपकी प्रतिक्रिया चाहते हैं, आप क्या कहेंगे .
अंध समर्थक- मैं सोशल मीडिया के बारे में यही कहूंगा की पहले अपना गिरेबां झाके . यह लोग खुद करप्ट हैं और सम्मानीय नेताओं पर आक्षेप लगाते हैं.
हमने कहा- मगर उनकी बात में दम तो है . सारा देश चर्चा करने लगा है, यह उनकी विश्वसनीयता का परिचायक नहीं है क्या ?
अंघ समर्थक- अरे! आप बहुत भोले हैं . यह स्वयं पार्टी बनाकर, सत्ता का उपभोग करने की रणनीति के तहत काम कर रहे हैं . यह लोग, कोई महान देशभक्त पैदा नहीं हुए हैं .
हमने कहा- मगर यह तो देखिए उनकी बात में,सबूतों में कितना दमखम है . उनकी बात, आप काट नहीं सकते.
अंध समर्थक- मेरी निगाह में उनके पास कोई खास साक्ष्य नहीं है .
हमने कहा- क्या बात करते हो, आपकी पार्टी के दांए जी के सुपुत्र 50 लाख से 500 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक बन गए और कहते हो कोई साक्ष्य नहीं है .इस देश में दूसरा कोई है जो रातों-रात इस तरह करोड़पति हो गया….
अंध समर्थक- आप हमारे आलाकमान के बारे में कहिए, नाते रिश्तेदार अगर कमा रहे हैं तो पार्टी दोषी नहीं है, यह उनका व्यक्तिगत मामला है .
हमने कहा- मगर यह भी सत्य है कि अगर वे “सुपुत्र” नहीं होते तो अरबों रुपए कतई नहीं कमा सकते थे. उन्हें निःसंदेह सत्ता का लाभ मिला है.
अंध समर्थक- नो कॉमेंट्स . मै आप की सोची हुई अवधारणा कल्पना पर, कोई टिप्पणी नहीं कर सकता.
हमने कहा- सच को नकारने से, सच झूठ नहीं हो जाता . आप जानते हैं पार्टी की कितनी साख गिरी है .यही हाल रहा तो आपके नेता और आप जमीन पर होंगे .
अंध समर्थक- हमने देश सेवा का व्रत लिया है. जनता जिस भूमिका में रखेगी, हम रहेंगे.हम तो जनता के सेवक हैं .सेवा करते रहेंगे .
हमने कहा- अर्थात देश का पिंड नहीं छोड़िएगा .
अंध समर्थक- भाई क्या कहते हो .बापू जी ने कहा था -नि:स्वार्थ सेवा करते रहो, सो हम करते रहेंगे…
हमने कहा- मगर नि:स्वार्थ भावना कहां है, आपकी प्रत्येक सेवा का कर्ज, देश की जनता को बेतरह उतारना पड़ता है.
अंध समर्थक- ही ही ही ( हंसते हुए ) क्या बात कर रहे हो . अगर हम पर कोई उंगली भी उठाए तो हम सर झुका कर विनम्रता पूर्वक प्रतिउत्तर करते हैं .हमारे खून में ईमानदारी और सच्ची भावना समाई हुई है .
हमने कहा- अर्थात भ्रष्टाचार को आपने ईमानदारी का समनार्थी बना दिया है .कोई गंभीर आरोप लगता है तो आप तब भी सहज रहते हैं .
अंध समर्थक- तो क्या करें ? हाथ तो चला नहीं सकते, सरे राह तो उठवा नहीं सकते, पिटवा नहीं सकते, इसलिए हमने सहजता को अंगीकार कर लिया है .हमारे आलाकमान और वरिष्ठ नेताओं का यही प्रेम भरा संदेश है. किसी भी हालत में आपा नहीं खोना है .
हमने कहा- मगर हमारी बात तो वहीं की वहीं रह गई. हम जानना चाहते हैं निजी करण की आड़ में देश को लूटने का संगीन आरोप आप के नेताओं और पर लग रहे हैं . आप दो टूक शब्दों में बताइए आरोप सही मानते हैं या गलत .
अंध समर्थक- गलत! में हमेशा गलत ही कहूंगा. अगर मुझे पार्टी में रहना है तो गलत ही कहूंगा . क्योंकि यह पार्टी लाइन है.
हमने अंध समर्थक को हाथ जोड़े और दीर्ध नि:श्वास लेकर यह कहते आगे बढ़ गए-” इस “देश” को भगवान ही बचा सकता है.”