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सोमल ने कहा, ‘‘तारु, क्या हमारा भी बच्चा हो सकता है?’’

‘‘पता नहीं... मगर बच्चा तो मां के गर्भ में ही पलता है न... फिर कैसे होगा?’’ तारेश ने कहा.

‘‘विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है, कोई तो रास्ता होगा... क्या हम सैरोगेसी तकनीक का सहारा नहीं ले सकते?’’

‘‘हो सकता है यह संभव हो, मगर इस में कई कानूनी अड़चनें भी आ सकती हैं. क्या कानून हम जैसे लोगों को सैरोगेसी की इजाजत देता है और सब से बड़ी बात यह कि हम सैरोगेट मां कहां से लाएंगे? हमारे तो सब रिश्तेदार भी हम से किनारा कर चुके हैं. खैर अभी तुम ये सब बातें छोड़ो... किसी दिन किसी विशेषज्ञ से मिलते हैं,’’ कह कर तारेश ने एक बार तो चर्चा को विराम दे दिया, मगर बात उस के दिमाग से निकली नहीं. उस ने ठान लिया कि अगर संभव हुआ तो वह सोमल की इस इच्छा को जरूर पूरा करेगा.

एक दिन तारेश किसी काम से एक नामी हौस्पिटल गया. वहां आईवीएफ सैंटर देख कर उस के पांव ठिठक गए. उसे सोमल का सपना याद आ गया. उस ने वहां की हैड डा. सरोज से अपौइंटमैंट लिया और सोमल के साथ उन से मिलने पहुंच गया.

डा. सरोज ने उन की पूरी बात ध्यान से सुनी और बताया कि सोमल का सपना आईवीएफ और सैरोगेसी तकनीक के माध्यम से पूरा हो सकता है.

दोनों के चेहरे पर आई उम्मीद की रोशनी को परखते हुए वे आगे बोलीं, ‘‘देखिए, सरकार ने हाल ही में सैरोगेसी बिल पास किया है जिस के अनुसार सिंगल पेरैंट और समलैंगिक जोड़ों को इस की इजाजत नहीं होगी. हालांकि अभी यह कानून नहीं बना है, लेकिन निकट भविष्य में यह परेशानी आ सकती है. वैसे आप ने सुना होगा कि पिछले दिनों ही फिल्म अभिनेता तुषार कपूर इसी तकनीक के माध्यम से पहले सिंगल पिता बने हैं. हमारे पास और भी कई सिंगल महिलाओं और पुरुषों ने मातापिता बनने के लिए रजिस्ट्रेशन करा रखा है. आप भी करवा सकते हैं.’’

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